वाराणसी के मदनपुरा मंदिर विवाद में प्रशासन ने कागजी कार्रवाई शुरू कर दी है. अधिकारियों को कई अहम पेपर मिले हैं. उधर हिंदू संगठनों ने सोमवार को मंदिर में जलाभिषेक और पूजा अर्चना की अनुमति मांगी है. इलाके में तनाव की स्थिति को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की जा रही है. बेचीं गई संपत्ति में मंदिर का कोई जिक्र नहीं है. महेंद्र रंजन रॉय और राधिका रॉय से ताज मोहम्मद ने संपत्ति खरीदी थी. 23 मई 1932 को दाखिल खारिज का आदेश दिया गया था. बेची गई सम्पत्ति में मंदिर का कोई जिक्र नहीं है.
एडीएम सिटी आलोक वर्मा ने बताया कि 1932 के डॉक्यूमेंट देखे जा रहे हैं. कुछ और आवश्यक पेपर भी देख रहे हैं. दो दिन में D31/65 के पेपर्स की जानकारी उपलब्ध करा दी जाएगी. फिलहाल अभी तक पेपर्स देखने से तो यही लग रहा है कि प्रॉपर्टी की दाखिल खारिज 23 मई 1932 को हुई थी. बंगाल के महेंद्र रंजन रॉय और राधिका रॉय से सम्पत्ति खरीदी गई थी. लेकिन उसमें मंदिर का कोई जिक्र नही था.
1932 में बदला मकान नंबर
‘ढूंढे काशी’ के अजय शर्मा ने बताया कि उनकी संस्था ने नगर निगम से 1927 से 1935 तक के दस्तावेज निकाले हैं. नगर निगम के असस्मेंट रजिस्टर में कहीं भी मंदिर के बेचे जाने का कोई जिक्र नही है. नगर निगम से मिले दस्तावेज में अप्रैल 1932 तक इस मकान का नंबर 33/273/274 हुआ करता था. मई 1932 से इस मकान का नंबर D 31/65 हो गया. काशी विद्वत परिषद और सनातन रक्षक दल जैसे संगठन भी मंदिर के सार्वजनिक सम्पत्ति बताने का दावा कर रहे हैं. काशी विद्वत परिषद का प्रतिनिधि मंडल वहां जाने वाला है और ढूंढे काशी ने प्रशासन को सोमवार को जलाभिषेक करने की अर्जी दी है.
काशी खंड में वर्णित सिद्धिश्वर महादेव का मंदिर!
हिन्दू पक्ष मदनपुरा के गोल चबूतरा स्थित ताले में बंद मंदिर को काशी खंड में वर्णित सिद्धिश्वर महादेव बता रहा है और अब वहां पूजा पाठ कराने की मांग तूल पकड़ते जा रही है. ढूंढे काशी के सदस्य अजय शर्मा का कहना है कि स्कन्द पुराण में ये वर्णन है कि काशी खंड में केदारेश्वर से उत्तर और पुष्प दंतेश्वर से दक्षिण करीब 18 तीर्थ और पौराणिक महत्व के मंदिर हैं. जिस स्थान की चर्चा स्कन्द पुराण में है ये मदनपुरा के इलाके में ही आता है. मदनपुरा काशी के प्राचीनतम मोहल्लों में शुमार होता है.
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