दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ में जमीन न मिलने से आहत स्वामी अभय चैतन्य मौनी बाबा शुक्रवार को उदास मन से लौट गए. वह अमेठी से आए थे. अपने साथ पांच लाख 51 हजार रुद्राक्ष, 11 हजार त्रिशूल व 11-11 फीट के लोहे से बने ज्योतिर्लिंग लेकर लेकर मौनी बाबा कई दिन तक मेला क्षेत्र में भटकते रहे. वह मेला प्रशासन के दफ्तर के चक्कर लगाते रहे. उनका आरोप है कि मेला प्रशासन को जमीन व सुविधा के लिए कई बार पत्र लिखा गया लेकिन उसका कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला.
मौनी बाबा का आरोप है कि मेला क्षेत्र में ऊंची पहुंच वालों को तो जल्द ही जमीन और सभी सुविधाएं मिल जा रही हैं, मगर सामान्य संत-महात्मा टहल रहे हैं. वह अनुष्ठान की सामग्री लेकर मीरा सत्संग मंडल के शिविर में रुके थे. मेला प्रशासन के अधिकारियों से कई बार जमीन व सुविधा देने का आग्रह किया गया मगर कोई सुनवाई नहीं हुई. उनका आरोप है कि मेला प्रशासन ने उन्हें जमीन नहीं दी, जबकि उन्हें हर साल माघ मेला में जमीन आवंटित होती है .
बेसब्री से कर रहे थे महाकुंभ-2025 का इंतजार
प्रयागराज में जनवरी में लगने जा रहे भक्ति,आस्था और अध्यात्म के समागम में हर कोई पुण्य लाभ अर्जित करने की इच्छा रखे हुए है. हर साल यहां माघ मेले में शिविर लगाने वाले साधु संतो के लिए तो अवसर अमृत काल है, जिसका इंतजार वह बारह वर्षों से कर रहे थे. लेकिन सबको यह पुण्य लाभ मिलता नहीं दिख रहा है. कुछ संत तो मेला में अपना शिविर लगाने के लिए मेला क्षेत्र आकर वापस जा रहे हैं. अमेठी के स्वामी अभय चैतन्य मौनी बाबा भी उनमें एक है.
आए थे यज्ञ का अनुष्ठान का संकल्प लेकर
भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने, बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा, आतंकवाद का समूल विनाश करने, सेना को मजबूत करने, भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ाने, बेटियों की रक्षा व भ्रूण हत्या बंद कनरे तथा महाकुंभ के दिव्य-भव्य आयोजन के निमित्त महाकुंभ में यज्ञ आदि का अनुष्ठान करने के संकल्प से महाकुंभ क्षेत्र आए मौनी बाबा को मेला क्षेत्र में आकर वापस चले गए. उनका आरोप है कि मेला प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी.
दिल्ली हुए रवाना
इधर मेला प्रशासन का कोई जिम्मेदार अधिकारी इस पर बात नहीं करना चाहता. मौनी बाबा नाराज होकर दिल्ली रवाना हो गए. उनका कहना है कि वह अपने आश्रम अमेठी नहीं बल्कि पीएमओ में जाएंगे और वहां जमीन की मांग उठाएंगे. मौनी बाबा हर वर्ष माघ मेला में जनकल्याण के लिए अनुष्ठान करते हैं. स्नान पर्वों पर शिविर से लेटकर संगम स्नान करने जाते हैं.
अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए हमारा एप्प डाउनलोड करें |
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Source link