सऊदी अरब में रहने वाली फातिमा (बदला हुआ नाम) जो केन्या की प्रवासी मजदूर हैं, उन्हें जब लेबर पेन उठा तो वह राजधानी रियाद में करीब के एक अस्पताल गईं. लेकिन अस्पताल के स्टाफ ने पुलिस को कॉल कर बुलाने की धमकी दी.
द गार्जियन से बातचीत में फातिमा ने बताया कि, ‘उन्होंने कहा कि वह मुझे जेल भेज देंगे अगर मैंने जरूरी दस्तावेज पेश नहीं किए. मैं लेबर पेन के साथ जेल जाने से काफी डर गई और मैंने अस्पताल के आस-पास घूमने का दिखावा किया. इसके बाद मैं अस्पताल से निकलकर अपने घर चली आई.’
अकेले घर पर दिया बच्चे को जन्म
फातिमा ने अपने किराए के घर पर पहुंचने के 5 मिनट बाद ही एक बेटे को जन्म दिया. उन्होंने खुद बच्चे की अम्बिलिकल कॉर्ड काटी और साफ कर कंबल में लपेटा. उन्होंने बताया कि यह सब कुछ बेहद डरावना था लेकिन उन्हें यह करना पड़ा क्योंकि उस वक्त वहां उनकी मदद के लिए कोई नहीं था.
फातिमा ने बताया कि जहां वह घरेलू कर्मचारी के तौर पर काम करती थीं वहां से भाग आईं थीं क्योंकि वह मालिक उनका यौन शोषण करता था और शारीरिक तौर पर प्रताड़ित करता था. उसने फातिमा का पासपोर्ट भी जबरन अपने पास रख लिया था यही वजह है कि वह तब से छोटी-मोटी नौकरी कर अपना गुजारा कर रहीं हैं. लेकिन वह अपने बेटे की खातिर पिछले 2 साल से सऊदी अरब छोड़ना चाहती हैं, क्योंकि 8 साल का बेटा न तो स्कूल जा पा रहा है और न ही उसका सऊदी के अस्पतालों में इलाज हो सकता है.
सऊदी अरब में ‘ट्रैप’ हुईं प्रवासी महिलाएं!
सऊदी अरब में फातिमा जैसी कई प्रवासी महिलाएं हैं, जो अपने घर जाने के इंतज़ार में फंस गईं हैं और अब यहां से निकलना उनके लिए नामुमकिन होता जा रहा है. दरअसल सऊदी अरब के इस्लामिक कानून में शादी से बाहर यौन संबंध बनाना कानून अपराध है, विवाह से इतर संबंधों से जन्मे बच्चों को सऊदी में बर्थ सर्टिफिकेट नहीं मिल पाता, जिससे वह मूलभूल अधिकारों और सेवाओं जैसे- शिक्षा, चिकित्सा और देश से बाहर यात्रा करने से वंचित रह जाते हैं.
मानवाधिकार समूहों का कहना है कि महिलाओं पर इसके लिए बहुत ज़्यादा आरोप लगाए जाते हैं क्योंकि इसके परिणामस्वरूप होने वाली प्रेग्नेंसी को सबूत माना जाता है. बलात्कार या यौन तस्करी के पीड़ितों को भी विवाहेतर यौन संबंध बनाने का आरोपी माना जा सकता है और उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है.
दस्तावेज न होने के चलते घर वापसी मुश्किल
द गार्जियन ने अपने इन्वेस्टिगेशन में केन्या की 5 ऐसी महिलाओं से बात की है जो सऊदी अरब से वापस अपने देश लौटना चाहती हैं लेकिन क्योंकि उनके बच्चों का जन्म विवाहेत्तर संबंधों की वजह से हुआ है लिहाजा वह बच्चों के जन्म को पंजीकृत करवा पाने में असमर्थ हैं. इन महिलाओं को मालिक ने प्रताड़ित किया जिसके चलते उन्हें काम छोड़ना पड़ा और उनके पहचान से जुड़े दस्तावेज भी मालिकों के पास जब्त हैं.
विवाहेत्तर संबंधों से हुए बच्चे बने ‘स्टेटलेस’
इन महिलाओं का कहना है कि बिना दस्तावेज के उनके बच्चे स्कूल तक नहीं जा पा रहे हैं. द गार्जियन से बातचीत में महिलाओं का कहना है कि वह सऊदी अरब छोड़ना चाहती हैं लेकिन चूंकि उनके बच्चे ‘स्टेटलेस’ हैं, लिहाजा एग्जिट वीजा नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में यह महिलाएं सऊदी अरब में फंस चुकी हैं. अब दस्तावेजों के न होने के चलते वह अपने बच्चों के साथ न तो घर लौट पा रहीं हैं और न ही सऊदी में उन्हें मूलभूत सुविधाएं मिल पा रहीं हैं.
द गार्जियन ने जिन 5 महिलाओं का इंटरव्यू किया है वह सभी सिंगल मदर हैं. काम के दौरान उनके सहकर्मियों के साथ यौन संबंध थे लेकिन बच्चों के पिता ने एक्ट्रामैरिटल संबंध के आरोप में गिरफ्तारी के डर से बच्चों समेत उनका त्याग कर दिया है.
प्रवासी महिला मजदूरों ने की घर भेजने की मांग
इसी साल अप्रैल में रियाद के करीब मनफुहाह में तमाम प्रवासी सिंगल मदर्स ने पब्लिक प्रोटेस्ट में हिस्सा लिया था, उन्होंने सऊदी प्रशासन से घर भेजने की मांग की, जबकि सऊदी अरब में विरोध प्रदर्शन करना गैर-कानूनी है और इसके लिए जेल की सजा हो सकती है. प्रदर्शन करने वाली महिलाओं का कहना था कि सऊदी प्रशासन को न तो उनके बच्चों की परवाह है और न ही उनकी मांओं की. महिलाओं का कहना है कि, ‘हम अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं, यह बेहद जरूरी है. वह अपने बचपन में पढ़ाई के महत्वपूर्ण अवसर को खो रहे हैं.’
खाड़ी देशों में हजारों बच्चों का भविष्य दांव पर!
सऊदी में मानवाधिकारों के विशेषज्ञों का कहना है कि खाड़ी देशों में शादी से इतर संबंधों के जरिए पैदा होने वाले बच्चों की संख्या हजारों में हो सकती है. उनका कहना है कि भले ही बच्चों के जन्म की परिस्थितियां कैसी भी हों लेकिन उन बच्चों को पहचान और सुरक्षा हासिल करने का पूरा हक है.
केन्या के एंबेसी पर लगे आरोप और उनका जवाब
द गार्जियन से बातचीत में केन्या की क्रिस्टीन (बदला हुआ नाम) ने केन्याई एंबेसी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि ‘दूतावास भी एग्जिट वीजा के लिए मदद नहीं कर रहा है, एंबेसी के लोगों का कहना है कि हम प्रॉस्टीट्यूट हैं.’ वह यह भूल जाते हैं कि इनमें से कई बच्चे उनके बॉस या जिस घर में महिलाएं काम कर रही होती हैं वहां के ड्राइवर द्वारा किए गए रेप की वजह से पैदा हुए हैं, यह काफी दर्दनाक है.
वहीं इन आरोपों के जवाब में केन्याई एंबेसी का कहना है कि उन्होंने पिछले साल नवंबर में बच्चों और उनकी मां के DNA सैंपल लिए थे, जिसके नतीजों पर काम चल रहा है. केन्याई एंबेसी के राजदूत मोहम्मद रुवान्गे ने उन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एंबेसी के किसी भी स्टाफ ने महिलाओं से ऐसा नहीं कहा कि उनका DNA बच्चे से मैच नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि एबेंसी दोनों देशों के कानून के मुताबिक इन महिलाओं की मदद करने का प्रयास कर रही है लेकिन चूंकि इस मामले में नाबालिग और बच्चों की ट्रैफिकिंग शामिल होने का खतरा है लिहाजा इसमें समय लग सकता है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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