मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन विपक्ष ने अपने अनोखे प्रदर्शन के जरिए कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश की. कांग्रेस और भारत आदिवासी पार्टी के विधायकों ने अपने-अपने ढंग से प्रदर्शन करते हुए राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार और जनता के मुद्दों को लेकर सवाल उठाए. प्रदर्शनकारियों में जहां कुछ विधायक शराब घोटाले पर सवाल उठाते नजर आए, वहीं कुछ ने मौन धरने और चाय बांटने के जरिए जनता की समस्याओं को सदन के सामने रखा.
कांग्रेस विधायक महेश परमार ने शराब घोटाले को लेकर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में दिल्ली से बड़ा शराब घोटाला हुआ है, लेकिन सरकार इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है. परमार ने 2015-16 के दौरान इंदौर जिले में 100 करोड़ रुपये के फर्जी चालान के माध्यम से घोटाले का दावा किया.
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 15-20 सालों में यह घोटाला 10,000 से 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. परमार ने दोषी अधिकारियों और शराब ठेकेदारों के खातों में 22 करोड़ रुपये जमा कराने के सबूत पेश करने की बात भी कही. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में दखल देने और कार्रवाई करने की मांग की.
आदिवासी विधायक का मौन धरना
सैलाना के विधायक और भारत आदिवासी पार्टी के इकलौते सदस्य कमलेश्वर डोडिया ने विधानसभा परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने मौन धरना दिया. डोडिया एक डॉक्टर द्वारा की गई अभद्रता से नाराज थे, जिसे उन्होंने पूरे आदिवासी समाज का अपमान बताया. अपनी बात लिखित रूप में पर्ची के जरिए रखने वाले डोडिया ने डॉक्टर पर कार्रवाई न होने पर गहरी नाराजगी जाहिर की. उनके समर्थन में कांग्रेस नेता और विधायक भी पहुंचे. कांग्रेस ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के साथ अभद्रता करने वालों पर तुरंत कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
नेता प्रतिपक्ष का चाय के जरिए विरोध प्रदर्शन
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने अनोखे तरीके से बेरोजगारी का मुद्दा उठाया. उन्होंने सदन के बाहर चाय की केतली लेकर चाय बांटी और प्रदेश सरकार पर झूठे वादों का आरोप लगाया. सिंघार ने कहा कि राज्य में युवाओं के लिए रोजगार की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की जा रही है. सरकार केवल घोषणाओं तक सीमित है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
विपक्ष की एकजुटता और तीखा हमला
मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष ने सरकार पर तीखे हमले करते हुए विभिन्न मुद्दों को जोर-शोर से उठाया. विपक्ष ने शराब घोटाले, आदिवासी समाज का अपमान, बेरोजगारी और प्रशासनिक लापरवाहियों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की. इन अनोखे प्रदर्शनों ने जनता का ध्यान खींचा और यह दिखाया कि विपक्ष सरकार के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा है. विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष के इन प्रयासों से राज्य सरकार पर दबाव बढ़ता नजर आ रहा है.
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