Noida News :
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर में एक बार फिर हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में पहुंच चुकी है और यहां प्रदूषण की समस्या बेहद विकराल हो गई है। जहरीली हवा के कारण लोग गंभीर परेशानी का सामना कर रहे हैं। हवा में बढ़े हुए प्रदूषक तत्वों के कारण गौतमबुद्धनगर देश का सातवां सबसे प्रदूषित शहर बन चुका है। गौतमबुद्ध नगर में कक्षा एक से नौ और 11वीं की कक्षाओं को हाइब्रिड मोड पर चलने का निर्देश जारी किया गया है। जिला विद्यालय निरीक्षक डाक्टर धर्मवीर सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर स्कूलों को हाइब्रिड मोड में कक्षाओं के संचालन के लिए निर्देशित किया गया है। दसवीं और बारहवीं की बोर्ड की परीक्षा के कारण उन्हें हाइब्रिड मोड में चलाने के लिए कोई निर्देश नहीं जारी किए गए हैं।
गौतमबुद्ध नगर देश का सातवां सबसे प्रदूषित शहर
गौतमबुद्ध नगर हाईटेक सिटी होने के बावजूद, जहां जिला प्रशासन के पास तमाम संसाधन मौजूद हैं, प्रदूषण के प्रकोप से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। एक्यूआई की रिपोर्ट के अनुसार, नोएडा आज देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर बन चुका है। देश के टॉप-10 प्रदूषित शहरों में नोएडा सातवें स्थान पर है, जो इसे एक प्रकार से शो विंडो के रूप में प्रदूषण का केंद्र बना रहा है।
लोगों को हवा में घुले प्रदूषण से परेशानी
यूएस की आईक्यू एयर संस्था पीएम 2.5 (हवा में प्रदूषण के छोटे कण) के आधार पर विश्व के प्रदूषित शहरों की निगरानी करती है। अगर एक नजर आईक्यू एयर की वेबसाइट पर डाली जाए, तो सर्दियों के मौसम में अधिकतर दिनों में गौतमबुद्ध नगर देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में रहता है। 17 दिसंबर 2024 को देश में नोएडा को सबसे प्रदूषित शहर के रूप में दर्ज किया गया है, जो यहां की बढ़ती प्रदूषण समस्या को दर्शाता है।
लोगों की सेहत को लेकर बढ़ी चिंता
पीएम 2.5 के आधार पर वेबसाइट के मुताबिक, नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 396 दर्ज किया गया, जो अत्यधिक खतरनाक स्तर पर है। मंगलवार को गौतमबुद्ध नगर के साथ-साथ गाजियाबाद भी गैस चैंबर में तब्दील हो गया। यहां के निवासियों के लिए जहरीली हवा में सांस लेना अत्यधिक कठिन हो गया है। हवा में घुले प्रदूषण के कारण लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी हो रही है, जिससे उनकी दैनिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं।
इन बीमारियों का बढ़ता है खतरा
AQI के बढ़ते स्तर के कारण हवा में मौजूद जहरीले कण सांस की नलियों में सूजन पैदा करते हैं, जिससे अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में। प्रदूषित हवा के कण खून के जरिए शरीर में पहुंचकर ब्लड वेसल्स को ब्लॉक कर सकते हैं, जिससे दिल की बीमारियां, हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ता है। शोध बताते हैं कि प्रदूषित हवा का असर शरीर के ब्लड शुगर लेवल पर भी पड़ता है। लंबे समय तक जहरीली हवा में सांस लेने से इंसुलिन का सही उपयोग नहीं हो पाता, जिससे टाइप-2 डायबिटीज हो सकती है। प्रदूषित हवा को Group 1 Carcinogen (कैंसर पैदा करने वाला तत्व) माना गया है, जो कैंसर का कारण बन सकता है, खासकर फेफड़ों के कैंसर का खतरा लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से काफी बढ़ जाता है।
खुद को सुरक्षित रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम :
- बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें- प्रदूषण से बचने के लिए, खासकर पीएम 2.5 कणों से, एक अच्छे गुणवत्ता वाले एन95 मास्क का उपयोग करें।
- दिनभर में ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं- इससे शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकलने में मदद मिलती है और शरीर हाइड्रेटेड रहता है।
- घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं- हवा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए घर के भीतर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
- जरूरी न हो तो बाहर जाने से बचें- प्रदूषण के उच्च स्तर के दौरान, खासकर सुबह और रात के समय, बाहर जाने से बचें।
- फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें- यह एक्सरसाइज आपकी सांस की नलियों को साफ करने और फेफड़ों को मजबूत बनाने में मदद करती है।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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