Greater Noida News :
ग्रेटर नोएडा के थाना बीटा-2 में जेपी ग्रुप के एफआईआर दर्ज की गई है। आरोप है कि ग्रुप ने स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की सदस्यता के नाम पर धोखाधड़ी और ठगी की है। इस मामले में कोर्ट के आदेश पर सीईओ मनोज गौड़, जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड के सीईओ समीर गौड़, डायरेक्टर मंजू शर्मा, जनरल मैनेजर जयदीप डागर, स्पोर्ट्स मैनेजर फरीद उस्मानी और अन्य अज्ञात कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जानिए पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक सेक्टर-1 सिग्मा निवासी अधिवक्ता किंशुक अरोड़ा ने जेपी ग्रुप के अधिकारियों और कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अधिवक्ता का आरोप है कि जेपी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स सेक्टर-128 की सदस्यता के नाम पर धोखाधड़ी और उनकी पत्नी की निजता का हनन किया गया है। वर्ष 2013 में उन्होंने अपने परिवार के लिए जेपी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की सदस्यता ली थी। इसके बाद उन्होंने व्यक्तिगत सदस्यता के लिए भी आवेदन किया था। प्रबंधन की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया था कि शादी के बाद उनकी पत्नी को भी सदस्यता से जोड़ दिया जाएगा। शादी के बाद जब किंशुक अरोड़ा ने अपनी पत्नी पूजा अरोड़ा को सदस्यता से जोड़ने की बात कही तो प्रबंधन ने नए शुल्क की मांग की। प्रबंधन ने उनकी पत्नी को खराब स्वास्थ्य के बावजूद सुविधाओं का उपयोग करने से रोका और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।
वॉशरूम में कैमरे लगाने जैसे गंभीर आरोप
स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के वॉशरूम में कैमरे लगाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। स्पोर्ट्स मैनेजर फरीद उस्मानी ने कथित तौर पर उन्हें यह कहते हुए धमकाया कि उनके ससुर आईपीएस अधिकारी हैं और वह उनके खिलाफ कुछ नहीं कर सकते। किंशुक अरोड़ा ने पहले बीटा-2 में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद पुलिस कमिश्नर को पत्र भेजा, फिर भी कोई नतीजा न निकलने पर मामला कोर्ट में पेश किया गया है।
पुलिस ने शुरू की जांच
इस मामले में किंशुक अरोड़ा ने जेपी ग्रुप के सीईओ मनोज गौड़, जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड के सीईओ समीर गौड़, डायरेक्टर मंजू शर्मा, जनरल मैनेजर जयदीप डागर, स्पोर्ट्स मैनेजर फरीद उस्मानी और अन्य अज्ञात कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज कराया है। इस संबंध में पुलिस का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज किया गया है। मामले की जांच की जा रही है।
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
Source link