बिहार के सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी (Atul Subhash Modi Case) का केस ऐसा है जो कि खूब चर्चा में हैं. शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे इस केस के बारे में पता न हो. लोग अतुल के लिए न्याय की मांग रहे हैं. लेकिन पुलिस (Police) भी जिस तरह से इस केस में अपना काम कर रही है वो काबिल-ए-तारीफ है. केस ऐसा है जो कि बिल्कुल साफ दिख रहा है. अतुल ने खुद मरने से पहले आरोपियों के नाम लेकर, बकायदा पूरे सबूत देकर अपनी जान दे दी. फिर भी कानून सिर्फ एक ही पक्ष की बात सुनकर फैसला नहीं लेता. दोनों पक्षों को अपनी बात रखने का पूरा हक होता है.
इस केस ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. लोगों की मांग है कि अतुल के आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिले. मामले में तीन गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं. लेकिन पुलिस का काम अभी तो बस शुरू ही हुआ है. कानूनी प्रक्रिया पूरी होने में कितना वक्त लगेगा. मामले में किसके पक्ष पर अदालत फैसला लेगी, इसका पता लगना बाकी है. लेकिन इस केस की कहानी एक दो नहीं बल्कि पूरे पांच राज्यों के इर्द गिर्द घूम रही है.
अतुल सुसाइड केस की कहानी
अतुल ने सुसाइड कर्नाटक के बेंगलुरु में किया. वो रहने वाले बिहार के समस्तीपुर के थे. उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया उत्तर प्रदेश के जौनपुर की रहने वाली है. निकिता जॉब दिल्ली में करती है. और उसकी गिरफ्तारी हरियाणा में हुई है. इस वक्त इस केस में तीन राज्यों की पुलिस जांच कर रही है. कर्नाटक, यूपी और हरियाणा.
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9 दिसंबर को अतुल ने बेंगलुरु स्थित अपने फ्लैट में फंदा लगाकर जान दे दी थी. मरने से पहले उन्होंने 24 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा. साथ ही एक घंटे से भी ज्यादा लंबा वीडियो बनाया. उसमें पत्नी निकिता, सास निशा, साले अनुराग और चाचा ससुर सुशील सिंघानिया पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया. यही नहीं, अतुल-निकिता केस की सुनवाई कर रही जौनपुर फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक और उनके पेशकार माधव फर भी रिश्वत मांगने का आरोप लगाया. अतुल ने ये भी कहा- अगर मुझे इंसाफ नहीं मिलता तो मेरी अस्थियां गटर में बहा दी जाएं.
10 दिसंबर को मामला दर्ज
10 दिसंबर को अतुल सुभाष केस में भाई विकास की तरफ से बेंगलुरु पुलिस में चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया. उनकी तलाश शुरू हुई. पहले स्थानीय पुलिस निकिता सिंघानिया के खोआमंडी स्थित घर पहुंची. वहां ताला लटका था. सभी आरोपी फरार थे. इसके बाद बेंगलुरु पुलिस जौनपुर पहुंची. वहां उन्हें भी निकिता के घर के बाहर ताला लटका मिला. बेंगलुरु पुलिस ने घर के बाहर नोट चस्पा किया और चारों आरोपियों की तलाश शुरू ही.
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13 दिसंबर को गिरफ्तारी
13 तारीख को बेंगलुरु पुलिस को निकिता के गुरुग्राम में होने की सूचना मिली. उसे वहां से गिरफ्तार किया गया. इसके अलावा सर्विलांस टीम की मदद से पता चला कि निकिता का भाई और मां प्रयागराज के झूंसी स्थित होटल में रुके हैं. बेंगलुरु पुलिस के दो कांस्टेबल 12 दिसंबर की रात को डॉक्टर और नर्स की आइडेंटिटी बताकर उसी होटल में एक रात के लिए वहां रुके. निकिता के भाई और मां की हर हरकत पर नजर रखी. फिर अगले दिन यानि 13 दिसंबर को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. बेंगलुरु पुलिस ने इस गिरफ्तारी तक जांच को पूरी तरह गोपनीय रखा.
उसके बाद तीनों को प्रयागराज कोर्ट में पेश किया. फिर उन्हें बनारस लाया गया. यहां से पुलिस तीनों आरोपियों को लेकर बेंगलुरु चली गई. फिलहाल तीनों आरोपी जेल में बंद हैं. कोर्ट ने उन्हें 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा है. लेकिन चौथा आरोपी अभी भी फरार है. ये है निकिता का चाचा सुशील सिंघानिया.
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हाईकोर्ट से जमानत मिली
जब चारों फरार हुए थे तो उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत याचिका के लिए अप्लाई किया था. सोमवार को उसकी पेशी होनी थी. लेकिन उससे पहले ही निकिता, निशा और अनुराग को गिरफ्तार कर लिया गया. सोमवार को हाईकोर्ट में याचिका मंजूर भी कर ली गई. लेकिन इसका निकिता, निशा और अनुराग को कोई लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि वो पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं. मगर हां, चाचा अभी तक गिरफ्तार नहीं हुआ है. इसलिए वो इसका लाभ उठा सकता है. यानि उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता.
अतुल के पिता क्या बोले?
इन सबके बीच लोगों के मन में बस यही सवाल है कि क्या अतुल को इंसाफ मिलेगा? तीन राज्यों की पुलिस इस केस की जांच कर रही है. अतुल के पिता पवन मोदी ने साफ-साफ कह दिया है- अगर हमें इंसाफ नहीं मिला तो बेटे की अस्थियां गटर में बहा दूंगा. खुद भी सुसाइड कर लूंगा. अब बस इंतजार है तो इंसाफ का…
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