श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आए हैं. इस दौरान उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने एक दूसरे के साथ सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की है. इसी साल 22 सितंबर को आए नतीजों में वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने जीत दर्ज की थी, जिसके बाद से भारतीय मीडिया में चिंता जाहिर की जा रही थी कि उनका रुख चीन की तरफ हो सकता है.
हालांकि दिसानायके ने अपने पहले दौरे में साफ कर दिया कि भारत श्रीलंका के लिए कितना अहम है. साथ ही उन्होंने भरोसा दिया कि वह श्रीलंका की जमीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल होने नहीं देंगे. यह आश्वासन उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के बाद दिया है.
It is a privilege to visit India on my first overseas trip as President and I am grateful to PM @narendramodi for supporting Sri Lanka during the economic crisis and for aiding debt restructuring. We discussed trade, defence, energy, BRICS, UNCLCS, and stopping illegal fishing pic.twitter.com/hk1dOjK8IV
— Anura Kumara Dissanayake (@anuradisanayake) December 16, 2024
भारत की चिंता के बाद दिया आश्वासन
दिसानायके ने ये आश्वासन भारत की ओर से 2022 में हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी शोध पोत को डॉक करने की इजाजत देने के बाद कोलंबो के समक्ष आपत्ति जताए जाने के ऊपर दिया है. मीडिया ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री से पूछा कि क्या चर्चा के दौरान दिसानायके के समक्ष श्रीलंकाई बंदरगाहों में विदेशी शोध पोतों के बर्थिंग का मुद्दा उठाया गया था? जवाब में विदेश सचिव ने कहा कि भारत की हमारी समझ यह है कि कोलंबो इस मुद्दे पर विचार कर रहा है. साथ ही कहा कि भारत ने श्रीलंका से समुद्री सुरक्षा और अनुसंधान पर सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा की है.
दिसानायके के आश्वासन के विस्तार को बताते हुए विक्रम मिस्री ने कहा, “हम इन सभी मुद्दों पर श्रीलंका सरकार के साथ बातचीत जारी रखेंगे और हमें विश्वास है कि कोलंबो ऐसे मुद्दों पर उचित ध्यान देगा.”
जिनपिंग का प्लान फेल
दिसानायके के पहले विदेशी दौरे की भारत से शुरुआत होने से चीन को बड़ा झटका लगा है. चीन पाकिस्तान के बाद भारत के दूसरे पड़ोसी देश जैसे, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश आदि को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा है. पहले मालदीव के राष्ट्रपति और अब श्रीलंका के राष्ट्रपति के बयानों ने ये साफ कर दिया है कि भारत के बिना इन एशियाई देशों का आगे बढ़ मुमकिन नहीं है और चीन से ज्यादा इन देशों को भारत की जरूरत है.
तामिल लोगों के लिए भारत ने उठाई आवाज
प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति के साथ चर्चा के दौरान तमिल समुदाय के मुद्दों और संविधान के 13वें संशोधन को लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया. प्रधानमंत्री ने जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी ने कहा, “हमने श्रीलंका में पुनर्निर्माण और सुलह के बारे में भी बात की है. राष्ट्रपति दिसानायके ने मुझे अपने समावेशी दृष्टिकोण से अवगत कराया. हमें उम्मीद है कि श्रीलंका सरकार तमिल लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी और वे श्रीलंका के संविधान को पूरी तरह लागू करने और प्रांतीय परिषद चुनाव कराने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करेंगे.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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