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नोएडा के सेक्टर-79 स्थित स्पोर्ट्सवुड प्रोजेक्ट के 44 होम बायर्स के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। इन बायर्स ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि पांच साल बाद भी उनके फ्लैट की रजिस्ट्री और पजेशन नहीं हो पाया है, जबकि उन्होंने पूरा भुगतान कर दिया था और सभी फॉर्मलिटीज भी पूरी कर दी थीं। इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण से जवाब मांगा है और अगली सुनवाई की तारीख 10 जनवरी 2025 तय की है।
याचिका में बायर्स के आरोप
स्पोर्ट्सवुड प्रोजेक्ट के 44 होम बायर्स ने याचिका में कहा कि उन्हें पांच साल पहले पजेशन मिला था, लेकिन आज तक उनकी रजिस्ट्री नहीं हो सकी। बायर्स का कहना है कि वे सभी अपने बकाए भुगतान कर चुके हैं और सभी जरूरी औपचारिकताएं भी पूरी कर चुके हैं। इसके बावजूद रजिस्ट्री में हो रही देरी के कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बायर्स ने कोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि रजिस्ट्री में देरी होने के कारण वे अपने फ्लैट को बेचने या ट्रांसफर करने में असमर्थ हैं। इसके अलावा, सर्किल रेट में संभावित वृद्धि से रजिस्ट्री की लागत और अधिक बढ़ सकती है, जिससे उन्हें और नुकसान हो सकता है। इस स्थिति में, बायर्स का मानना है कि उनके मकानों की रजिस्ट्री समय पर होनी चाहिए।
चार कंसोर्टियम को दी थी जमीन, एक ने कर दिए 16 हिस्से
स्पोर्ट्सवुड प्रोजेक्ट नोएडा प्राधिकरण के स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत 2010 में हुई थी। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य नोएडा में एक स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना था, और इसके लिए 70 फीसदी भूमि स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आरक्षित की गई थी, जबकि बाकी की भूमि को कमर्शियल और रेजिडेंशियल उपयोग के लिए निर्धारित किया गया था। नोएडा प्राधिकरण ने इस प्रोजेक्ट के लिए चार कंसोर्टियम को भूमि आवंटित की थी, जिनमें से जेनाडू एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड ने सेक्टर 78, 79 और 101 की जिम्मेदारी ली थी। जेनाडू ने इस भूमि को 16 हिस्सों में बांट दिया था और वहां विभिन्न रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रोजेक्ट्स शुरू किए थे।
रजिस्ट्री न होने से बायर्स निराश
स्पोर्ट्सवुड प्रोजेक्ट में कई रेजिडेंशियल यूनिट्स के बायर्स की शिकायतें सामने आई हैं, जिनमें से मुख्य शिकायत यह है कि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद भी रजिस्ट्री और पजेशन में देरी हो रही है। बायर्स का आरोप है कि प्रोजेक्ट की योजना और उसके निर्माण में कई रुकावटें आई हैं, जो अब उनकी रजिस्ट्री को प्रभावित कर रही हैं। हालांकि नोएडा प्राधिकरण और जेनाडू एस्टेट के अधिकारियों का कहना है कि कुछ कानूनी और प्रशासनिक कारणों के चलते रजिस्ट्री में देरी हुई है, लेकिन बायर्स इस कारण से निराश हैं, क्योंकि उन्होंने समय पर भुगतान किया था और सभी जरूरी दस्तावेज भी पूरे किए थे।
10 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया है और नोएडा प्राधिकरण से जवाब देने के लिए कहा है। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 10 जनवरी 2025 तय की है। जब प्राधिकरण को अपना जवाब प्रस्तुत करना होगा। इस मामले की सुनवाई बायर्स के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उनके फ्लैट की रजिस्ट्री और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और तेजी आने की उम्मीद है।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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