डिजिटल अरेस्टिंग कर 98 लाख रूपये की लूट के मामले में गिरफ्तार नौ आरोपियों से पूछताछ में चौकाने वाली बात सामने आई है. साइबर जलसाजों की नजर अब ऐसे बेरोजगार युवाओं पर है जो एमबीए और बीटेक की डिग्री रखे हैं. कम तनख्वाह पर कहीं काम कर रहे हैं. इनको जालसाज मोटी तनख्वाह और आकर्षक पैकेज के नाम पर फंसाते हैं और अपराध की दुनिया में धकेल देते हैं. डिजिटल अरेस्टिंग के जरिए रिटायर्ड नेवी अफसर से 98 लाख रूपये की लूट का मास्टर माइंड सीतापुर के संदीप और चंदौली के अभिषेक ने पूछताछ में पुलिस को ये जानकारी दी है.
पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि ठग पहले नौजवानों के अकाउंट में एक मोटी रकम भेजते थे जिससे शक की कोई गुंजाइश ही नहीं रहती थी. बेरोजगार युवाओं को लगता था कि यहां से अच्छे पैसे मिलेंगे. ऐसा ही भरोसा दिलाने के बाद ठगों ने कुणाल और विकास पटेल जैसे युवाओं को इस ग्रुप से जोड़ा और उनकी ट्रेनिंग कराई. संदीप ने बताया कि उससे कहा गया था कि एमबीए और बीटेक के छात्रों को ज्यादा से ज्यादा जोड़े. छात्रों को मोटी तनख्वाह के अलावा ये बताया जाता था कि बेहतर नतीजे देने वालों को आकर्षक इंसेंटिव और फॉरेन टूर का मौका दिया जाएगा.
विदेश में बैठकर देते थे ट्रेनिंग
ट्रेनिंग दुबई, कंबोडिया और म्यांमार से दी जाती थी. ट्रेनिंग दो पार्ट में दी जाती है. पहले पार्ट में 15 दिन तक युवाओं को बैंक खाते खुलवाने, सिम कार्ड उपलब्ध कराने और आधार कार्ड की फ़ोटो कॉपी जुटाने का तरीका बताया जाता है और फिर लक्ष्य दिया जाता है. दूसरे पार्ट में 15 दिनों तक उनको सीबीआई या ट्राई जैसी एजेंसियों के अधिकारी बनकर फंसाने की ट्रेनिंग दी जाती है. कुल एक महीने की ये ट्रेनिंग वर्चुअल दी जाती है. एक से दो बार बड़े होटलों में वर्कशॉप भी कराया जाता है. गिरफ्तार मास्टर माइंड संदीप ने बताया कि शुरू-शुरू में तो युवाओं को ये लगता है कि वो गेमिंग एप से पैसे कमा रहे हैं.
अन्य आरोपियों की तलाश
इन नौ गिरफ्तार आरोपियों के अलावा डेढ़ दर्जन से ज़्यादा अन्य आरोपियों की भी पहचान हुई है. जो पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों से हैं. टेलीग्राम इन जालसाजों का फेवरेट प्लेटफॉर्म है क्यूंकि इसके जरिए जो मैसेज फॉरवर्डिंग, इंडियन बैंक कार्ड, गेमिंग अकाउंट बनाए जाते हैं वो जल्दी पकड़ में नहीं आते. जालसाजी को अंजाम देने के बाद बड़े-बड़े होटलों में पार्टी भी दी जाती है.
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