Ghaziabad News :
दो साल पहले दिल्ली में मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (संभागीय निरीक्षक) के पद से बर्खास्त हुए शातिर को मुरादनगर थाना पुलिस ने फर्जी व्हीकल स्क्रैप लाईसेंस जारी करने के मामले में गिरफ्तार किया है। पुलिस जब अभियुक्त को गिरफ्तार करने पहुंची तो शातिर 55 वर्षीय मनीष पुरी यूपी पुलिस के सब-इंस्पेक्टर की वर्दी में मिला। पिंटर अपार्टमेंट, रोहिणी, दिल्ली में रहने वाले मनीष पुरी के खिलाफ 12 साल से विभागीय जांच चली, इसके अलावा 2014 और 2016 में सीबीआई भी दो मुकदमें दर्ज कर चुकी है। इसके बाद भी शातिर अपनी हरकतों से बाज नहीं आया है और 2022 में नौकरी से बर्खास्त होने के बाद भी लोगों पर वर्दी का रौब गालिब करता रहा।
अगस्त में दर्ज हुआ था धोखाधड़ी का मुकदमा
एसीपी मसूरी सिद्धार्थ गौतम ने बताया कि 25 अगस्त, 2024 को व्हीकल स्क्रैप लाइसेंस के संबंध में अंबर जेटली समेत छह अभियुक्तों के खिलाफ मसूरी थाने में फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज हुआ था। यह लाईसेंस संभागीय परिवहन विभाग दिल्ली की ओर से जारी दिखाया गया था। मुकदमें की जांच एसओ मुरादनगर मुकेश सोलंकी कर रहे थे। जांच के दौरान 10 अगस्त, 2022 को दिल्ली में मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के पद से बर्खास्त किए गए मनीष पुरी का नाम प्रकाश में आया। 7 सितंबर को एसओ मोदीनगर मुकेश सोलंकी जब मनीष पुरी का बयान दर्ज करने पहुंचे तो वह यूपी पुलिस की सब- इंस्पेक्टर की वर्दी में मिला और रौब गालिब करने का प्रयास किया।
जमीन के लिए भी उपलब्ध कराया फर्जी सर्टिफिकेट
गिरफ्तारी के बाद मनीष पुरी ने बताया कि फर्जी स्क्रैप लाईसेंस उसने की फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तैयार किया था। एसीपी के मुताबिक मनीष पुरी ने बताया कि अपने दोस्त रोहित भसीन के कहने पर लालच में आकर ऐसा किया था। उसने बताया कि शकील और अंबर जेटली आदि के साथ मिलकर उसने फर्जीवाड़े से खूब पैसा कमाया। फर्जी दस्तावेज तैयार कर दिल्ली के छावला थानाक्षेत्र में ग्राम राघोपुर में एक जमीन का सौदा कर मोटा पैसा कमाने और आपस में बांट लेने का अपराध भी मनीष पुरी ने कबूल किया है।
12 साल तक चली विभागीय जांच
पूछताछ में मनीष पुरी ने बताया कि धोखाधड़ी के मामले में उसके खिलाफ 12 वर्ष तक जांच चली और फिर 2022 में उसके संभागीय परिवहन विभाग से बर्खास्त कर दिया गया। अभियुक्त ने बताया कि हम अपने साथी रोहित भसीन, शकील और अंबर जेटली व अन्य लोगों के साथ मिलकर जमीन के फर्जी कागज तैयार उन्हें बेच दिया करते थे। इस प्रकार के सौदों में हासिल हुए धन को आपस में बांट लिया जाता था। फजीवाड़े के दो मामलों में सीबीआई ने भी मनीष पुरी के खिलाफ वर्ष 2014 व 2016 में मुकदमें दर्ज किए थे।
पुलिस की वर्दी में करता था रौब गालिब
एसीपी मसूरी सिद्धार्थ गौतम ने बताया कि मनीष को दिल्ली के रोहिणी से गिफ्तार किया गया। गिरफ्तारी करने पहुंची टीम को भी वह वर्दी पहने मिला।आरोपित फर्जीवाड़े से संबंधित अपने काम निकालने के लिए लोगों से वर्दी पहनकर ही मिलता था, और उन पर वर्दी का रौब गालिब करते हुए गलत काम करने के लिए दवाब बनाता था।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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