राज कपूर का जन्म हुआ 14 दिसंबर 1924 को. अभी हम हैं 2024 में. माने उनको इस दुनिया में आए पूरे 100 साल हो गए हैं. कपूर फैमिली इसे सेलिब्रेट भी ग्रैंड तरीके से कर रही है. सिनेमा में उनकी फिल्में लगाई गई हैं. फिल्म फेस्टिवल ऑर्गेनाइज किया गया है. रणबीर, आलिया, करीना समेत राज कपूर का पूरा परिवार इस मौके पर PM नरेंद्र मोदी से भी मिलने पहुंचा. उनकी बातचीत का वीडियो खूब वायरल हुआ. अपन आज बात करेंगे राज कपूर से जुड़े कुछ मजेदार किस्सों पर.
1. राज कपूर की शादी कैसे हुई?
राज कपूर की शादी भी बड़े दिलचस्प ढंग से हुई थी. कहते हैं पृथ्वी राज कपूर अपनी नाटक कंपनी लेकर रीवा गए थे. उनके साथ उनके दो बेटे शम्मी और राज भी थे. उस समय रीवा के आईजी थे करतार नाथ मल्होत्रा. इन्हीं के जिम्मे पृथ्वीराज की सिक्योरिटी का जिम्मा था. इसके चलते आईजी साहब और पृथ्वी करीब आ गए. दोनों की दोस्ती प्रगाढ़ हो गई. उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों की तरह दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने की ठान ली. पृथ्वी ने राज की शादी करतार की बेटी कृष्णा से कर दी.
1946 में दोनों की शादी हो गई. शादीशुदा होने के बावजूद राज कपूर और नरगिस के प्रेम किस्से खूब चलते हैं. आपने भी सुने होंगे. कभी तफ़सील से इस पर बात करेंगे.
2. जब डायरेक्टर ने राज कपूर को जड़ दिया था जोरदार तमाचा
राज कपूर पृथ्वीराज कपूर के बेटे थे. उनको कौन हाथ लगा सकता था. लेकिन थमिए जरा अभी सुनाते हैं उनको झापड़ पड़ने की एक कहानी. दरअसल राज केदार शर्मा को बतौर क्लैपर बॉय असिस्ट किया करते थे. बढ़िया बाल संवारकर जाते थे. उन्हें लगता था, कहीं गलती से कैमरे ने कैच कर लिया, तो वो डैशिंग लगने चाहिए. ये बात है ‘विषकन्या'(1943) फिल्म की शूटिंग की. इस फिल्म में पृथ्वीराज कपूर भी काम कर रहे थे. राज एक दिन बाल संवारकर क्लैपर देने कैमरे के सामने पहुंचे. ऐसा करते हुए वो एक्टर के काफी करीब चले गए. गलती से क्लैपर बोर्ड एक्टर की दाढ़ी में फंस गया. कहते हैं इस वजह से एक्टर की दाढ़ी गिर गई. इसके बाद क्या था केदार शर्मा आग बबूला हो गए. उन्होंने सबके सामने राज कपूर को तमाचा जड़ दिया.
3. तमाचा जड़ने वाले डायरेक्टर ने ही फिल्म में साइन कर लिया
अब यहां कमाल ये है, आजकल का समय होता तो आदमी बुरा मान जाता. कुछ कहता, बहस होती. ये किसी भी नॉर्मल आदमी की बात है और वो तो पृथ्वीराज कपूर के बेटे थे. लेकिन राज कपूर ने चूं तक नहीं की. वो अपने काम में लग गए. बात खत्म हो गई. केदार को भी बुरा लगा. कहते हैं आगे चलकर राज को झापड़ मारने वाले केदार शर्मा ने उन्हें ‘नील कमल’ नाम की फिल्म दी. इससे पहले वो फिल्मों में एक्टिंग कर चुके थे. पर बतौर हीरो राज की ये पहली फिल्म थी. यही उनका बड़ा ब्रेक था. ऐसा सुना जाता है कि जब केदार ने उन्हें ये फिल्म दी, तो वो रोने लग गए. केदार ने कहा, “जब मैंने तुम्हें मारा, तब तो तुम नहीं रोए. अब क्यों रो रहे हो?” राज का जवाब था, “मैं हीरो बनने जा रहा हूं. ये खुशी के आंसू हैं.”
4. लता मंगेशकर को हीरोइन बनाना चाहते थे राज
जब राज कपूर अपनी फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ बना रहे थे. तो इसके लिए वो लता मंगेशकर को बतौर हीरोइन लेना चाहते थे. चौंक गए ना आप. ऐसे ही लता भी चौंक गई थीं. उन्होंने कहा, “मैं और हीरोइन, न बाबा न.” लता ने खुद बताया था. इसके बाद फिल्म में हेमा मालिनी को लेने की बात चली थी. लेकिन फिल्म में हीरोइन के पहनावे से वो सहमत नहीं थीं.
अंत में जाकर जीनत अमान ने ये फिल्म की. दरअसल ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ लता को आधार बनाकर ही लिखी गई थी. इसलिए राज उन्हें फिल्म में लेना चाहते थे. ताकि उनकी आवाज और चेहरा दोनों फिल्म में हों. पर लता ने मना कर दिया. हालांकि बाद में लता ने इसके लिए आवाज दी. बाकी आप सब जानते ही हैं.
5. ऋषि कपूर को डाइनिंग टेबल पर फिल्म ऑफर कर दी
ऋषि कपूर अपनी मर्जी से एक्टर नहीं बने. उन्हें राज कपूर खींचकर लाए. ये किस्सा उन्होंने अपनी किताब ‘खुल्लम खुल्ला’ में लिखा है. वैसे तो वो ‘श्री 420’ के गाने ‘प्यार हुआ इक़रार हुआ’ में दिख चुके थे. इसमें नरगिस ने उन्हें चॉकलेट का लालच देकर एक्टिंग कराई थी. अब पता नहीं उन्हें चॉकलेट मिली या नहीं मिली. जोक्स अपार्ट. बहरहाल, ऋषि ‘मेरा नाम जोकर’ को ही अपनी असली फिल्म मानते हैं. इसके बाद ही उन्होंने फिल्मों में आने का मन बनाया. उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि एक दिन ऐसे ही डाइनिंग टेबल पर खाना खाते हुए राज कपूर ने उन्हें ‘मेरा नाम जोकर’ की स्क्रिप्ट थमा दी. इसके बाद उनकी मां से परमिशन ली. उन्होंने इस शर्त पर हामी भरी, ऋषि के फिल्मों में काम करने से उसकी पढ़ाई का कोई नुकसान नहीं होगा.
6. राज कुमार से बदला लेने का कुख्यात किस्सा
एक्टर राज कुमार की ठसक के कई किस्से सुनाए जाते हैं. उन्हीं में से एक राज कपूर से जुड़ा हुआ है. मनोज कुमार और धर्मेन्द्र ने ‘मेरा नाम जोकर’ में गेस्ट अपीयरेन्स किया. राज कपूर इसमें राज कुमार को भी चाहते थे. लेकिन राज कुमार ने मना कर दिया. वो कोई भी ऐसा-वैसा रोल नहीं करेंगे. राज कपूर गुस्सा हो गए. दोनों के बीच खूब बहस हुई. राज कुमार ने इसी बहस में कह दिया कि कपूर उनके पास आए थे, उन्हें जरूरत थी. वो राज कपूर के पास काम मांगने नहीं गए थे. इस पर राज कपूर और ज़्यादा गुस्सा हो गए. ‘मेरा नाम जोकर’ में उन्होंने इसका बदला भी लिया. ऐसा माना जाता है, खुन्नस की वजह से ही उन्होंने ‘कहता है जोकर सारा ज़माना’ में राज कुमार के डुप्लिकेट को साइन कर लिया. इसके जरिए उन्होंने अपनी तरह से राज कुमार को नीचा दिखा दिया.
7. अपना सबकुछ दांव पर लगाकर बनाई फिल्म
‘मेरा नाम जोकर’ ही वो फिल्म है, जिसे अपना सबकुछ दांव पर लगाकर राज कपूर ने बनाया था. भले आज ये क्लासिक कही जाती हो, लेकिन ये फिल्म रिलीज के वक्त फ्लॉप हो गई थी. वो आर्थिक रूप से बर्बाद हो गए थे. इस फिल्म के लिए उन्होंने अपना घर और स्टूडियो भी गिरवी रख दिया था. इसके बाद उन्होंने ऋषि कपूर और डिम्पल कपाड़िया को लेकर ‘बॉबी’ बनाई. फिल्म हिट रही. तब जाकर उनका घर और स्टूडियो बच पाया.
8. “सबको असली शैम्पेन दो”
राज कपूर कहते थे कि मैं सिनेमा की सांस लेता हूं. वो सिनेमा के लिए कुछ भी कर सकते थे. म्यूजिक की उन्हें बहुत तगड़ी समझ थी. कहते हैं जब सीन फिल्माया जा रहा होता था, वो इसकी म्यूजिक बीट्स को उंगलियों पर गिना करते थे. और पहले ही अंदाजा लगा लेते थे कि इस सीन में कैसा संगीत होगा. सिनेमा से उन्हें प्रेम था. जब वो ‘बॉबी’ बना रहे थे, बहुत पैसे खर्च करना अफोर्ड नहीं कर सकते थे.
काहे कि वो इससे पहले ‘मेरा नाम जोकर’ के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा चुके थे. लेकिन उन्होंने इस फिल्म के एक सीन को रियल बनाने के लिए पैसे पानी की तरह बहाए. उनका सिनेमा के जुनून का एक किस्सा उनके बॉबी में असिस्टेंट रहे राहुल रवैल ने बताया. ‘बॉबी’ में एक पार्टी का सीन था. इसके लिए राहुल उस सीन में मौजूद एक्टर्स को कोक में पानी मिलाकर दे रहे थे. जब राज ने उन्हें ऐसा करते हुए देखा, तो उन्होंने सामने वाले लोगों को असली शराब देने को कहा. और ये भी हिदायद दी कि उनसे कहो, पिएं नहीं, नहीं तो नशा हो जाएगा. उन्होंने सीन में पिस्ता और बादाम भी रखवाया. राहुल को लग रहा था कि ये तो बहुत महंगा पड़ जाएगा. लेकिन राज ने उस सीन को ऑथेंटिक बनाने के लिए पिस्ता और बादाम रखवाए. साथ ही एक्टर्स को असली शैम्पेन देने का भी निर्देश दिया.
9. रूस के राष्ट्रपति का चुनाव जीत सकते थे राज कपूर
रूस और राज कपूर पर पूरी एक किताब लिखी जा सकती है. उनकी रूस में कुछ लोकप्रियता ही ऐसी थी. ऐसा कहा जाता है कि वो अगर वहां राष्ट्रपति का चुनाव लड़ते, तो जीत जाते. रशियन फिल्ममेकर निकिता मिखेलकोव ने एक बार कहा था, “जब रूस में राज कपूर की फिल्म रिलीज़ होती थी तो देखनेवालों की कई किलोमीटर लम्बी लाइनें लग जाती थीं. पचास के दशक में उनकी लोकप्रियता का आलम ये था कि वो अगर सोवियत रशिया के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ते तो वहां भी जीत जाते.”
10. “मुझे सरकार के सामने झुकना ही पड़ता है”
आज फिल्ममेकर्स सेंसरशिप और फिल्मों में सरकार की दखलंदाजी की बात करते हैं. राज कपूर ने भी की थी. लेकिन एकदम सधी हुई. इससे पता चलता है कि राज साहब एक सेल्फ अवेयर व्यक्ति थे. वो जानते थे कि क्या करना है. क्या नहीं करना है. कबीर बेदी से उनकी कही ये बात इसका उदाहरण है. राज कपूर ने एक बार कबीर को बताया था, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं कितना भी बड़ा फिल्ममेकर हो जाऊं, मुझे सरकार के सामने झुकना ही पड़ता है, क्योंकि सेंसरशिप ऐसी चीज है, जो किसी भी फिल्म को बर्बाद कर सकती है. और अगर कोई भी फिल्ममेकर चाहता है कि उसकी फिल्में बर्बाद न हों, तो उन्हें ऐसी फिल्में बनानी पड़ेंगी, जो सरकार को पसंद आएं. इस बात से उनका ये मतलब नहीं था कि फिल्ममेकर्स को सरकार को पसंद न आने वाली फिल्में नहीं बनानी चाहिए, ये सबका अधिकार है, और उन्हें एक डेमोक्रेसी में ये करना भी चाहिए.
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