Noida News :
उत्तर प्रदेश में लिफ्ट पंजीकरण को लेकर तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि अब तक पंजीकृत लिफ्ट की संख्या न के बराबर ही है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में करीब 80 हजार से अधिक लिफ्ट और एस्केलेटर हैं। जबकि विद्युत सुरक्षा निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार, यूपी लिफ्ट अधिनियम के लागू होने के बाद से राज्य में अब तक मात्र 76 लिफ्ट पंजीकृत की जा चुकी हैं। इनमें से 14 लिफ्ट ग्रेटर नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) और 7 गाजियाबाद में पंजीकृत की गई हैं। इन पंजीकृत लिफ्टों में से 1 आवासीय, 5 वाणिज्यिक, और 1 औद्योगिक लिफ्ट शामिल हैं।
प्रमुख सचिव ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों को साैंपी थी जिम्मेदारी
25 सितंबर को विद्युत सुरक्षा निदेशालय द्वारा जारी सरकारी आदेश के तहत यूपी लिफ्ट अधिनियम लागू किया गया। जिसे प्रमुख सचिव (ऊर्जा और अतिरिक्त ऊर्जा) नरेंद्र भूषण ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों को सौंपा था। इस आदेश में सभी जिला प्रशासन को पांच सदस्यीय समितियां गठित करने का निर्देश दिया गया है, जो लिफ्ट से संबंधित दुर्घटनाओं की जांच करेंगी और यूपी लिफ्ट और एस्केलेटर अधिनियम, 2024 के तहत उनके रखरखाव, सुरक्षा और संचालन पर रिपोर्ट तैयार करेंगी।
लगातार हो रहे हैं हादसे
यह कानून शहरी क्षेत्रों में लिफ्ट और एस्केलेटर से होने वाली दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए जुलाई में राज्य मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दी गई थी। नोएडा और ग्रेटर नोएडा, जहां आवासीय सोसाइटियों और वाणिज्यिक परिसरों में 80,000 से अधिक लिफ्टें मौजूद हैं। जिनमें प्रतिदिन किसी न किसी व्यक्ति के फंसने और लंबे समय तक परेशान रहने की शिकायतें सामने आ रही हैं।
यह है पंजीकरण की प्रक्रिया
पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में बताते हुए, अधिकारियों ने कहा कि लिफ्ट पंजीकरण केवल यूपी विद्युत सुरक्षा निदेशालय की वेबसाइट – updeslift.org पर ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किया जा सकता है। 25 सितंबर को पोर्टल के लॉन्च के बाद से लोग अपने सभी दस्तावेज वेबसाइट पर जमा कर सकते हैं और ऑनलाइन लिफ्ट पंजीकरण करा सकते हैं। एक बार आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, पंजीकरण संख्या प्रदान की जाती है।
पंजीकरण में देरी पर लगता है जुर्माना
अधिकारियों ने बताया कि 25 सितंबर से छह महीने से अधिक की देरी पर जुर्माना लगाया जाएगा। जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि एओए (आवासीय संघ), निर्माताओं और एएमसी एजेंसियों को जल्द से जल्द यूपी लिफ्ट अधिनियम के तहत लिफ्ट पंजीकरण कराने के लिए प्रेरित किया जाए। नियमों के अनुसार, यदि पंजीकरण में 7 दिन या उससे कम की देरी होती है, तो प्रतिदिन 100 रुपये का विलंब शुल्क लिया जाएगा। यदि देरी 7 से 15 दिन तक होती है, तो यह शुल्क 200 रुपये प्रतिदिन हो जाएगा। 15 से 30 दिन तक की देरी पर 500 रुपये प्रतिदिन का विलंब शुल्क लिया जाएगा। और यदि देरी 30 दिन से अधिक हो जाती है, तो लिफ्ट या एस्केलेटर का संचालन तुरंत बंद कर दिया जाएगा, और इसे 10,000 रुपये के विलंब शुल्क के साथ फिर से चालू किया जाएगा, जब तक कि यह सभी प्रावधानों के तहत पंजीकृत न हो।
नोएडा और गाजियाबाद में पंजीकरण की स्थिति
नोएडा और गाजियाबाद में पंजीकृत लिफ्टों की बात करें तो नोएडा के सेक्टर 137 में स्थित एक हाईराइज सोसाइटी में एक आवासीय लिफ्ट पंजीकृत है, जबकि गाजियाबाद में भी कुछ आवासीय लिफ्टों का पंजीकरण हुआ है। जबकि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लिफ्ट और एस्केलेटर की संख्या 80 हजार से अधिक है। अब तक राज्य में कुल 8 मेंटीनेंस एजेंसियों और 6 लिफ्ट निर्माताओं ने पंजीकरण कराया है।
राज्य स्तर पर होता है एएमसी और लिफ्ट निर्माण एजेंसियों का पंजीकरण
लिफ्ट अधिनियम के अनुसार, सभी एएमसी और लिफ्ट निर्माण एजेंसियों को विद्युत सुरक्षा निदेशालय के साथ पंजीकरण कराना अनिवार्य है। एक अधिकारी ने बताया कि इन एजेंसियों का पंजीकरण राज्य स्तर पर होता है, जबकि जिला स्तर पर लिफ्ट के पंजीकरण के दौरान एएमसी विवरण को एक अलग फॉर्म में भरने की आवश्यकता होती है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिफ्ट और एस्केलेटर की सुरक्षा के लिए इस नए कानून का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में बढ़ती दुर्घटनाओं को नियंत्रित करना है।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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