Greater Noida News :
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर संयुक्त किसान मोर्चा का महापड़ाव बुधवार तीसरे दिन भी जारी रहा। बड़ी संख्या में महिलाएं समेत हजारों किसानों ने धरनास्थल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आंदोलन की अध्यक्षता भारतीय किसान यूनियन टिकैत के राष्ट्रीय सचिव राजे प्रधान ने की है। संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार 50 लाख से अधिक किसान 10 प्रतिशत आबादी प्लॉट के मुद्दे से प्रभावित हैं। इसके अलावा 25 नवंबर को करीब 20,000 किसान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर महापंचायत में शामिल हुए थे।
अब यमुना प्राधिकरण पर डालेंगे डेरा
सिस्टम सुधार संगठन के नेता अंशुमान ठाकुर ने धरनास्थल से कहा कि किसान तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक उनकी मांगों पर स्पष्ट निर्णय नहीं लिया जाता। आंदोलनकारियों ने घोषणा की है कि 28 नवंबर को यह महापड़ाव यमुना प्राधिकरण पर स्थानांतरित होगा और 1 दिसंबर तक जारी रहेगा। यदि सरकार ने 1 दिसंबर तक किसानों की मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया तो 2 दिसंबर को दिल्ली कूच किया जाएगा।
“इसके लिए सरकार और प्रशासन जिम्मेदार होंगे”
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार और प्राधिकरण अधिकारी किसानों के मुद्दों को हल करने में असफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का रवैया उपेक्षापूर्ण है और हल करने योग्य मामलों को भी जानबूझकर लंबित रखा जा रहा है, जिससे किसानों में गहरी नाराजगी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने चेतावनी दी कि यदि आंदोलन के दौरान किसी भी प्रकार की अनहोनी होती है तो इसके लिए सरकार और प्रशासन जिम्मेदार होंगे।
इन मुख्य किसान संगठनों ने दिया समर्थन
इस आंदोलन में संयुक्त किसान मोर्चा में 10 प्रमुख संगठन शामिल हैं। जिनमें मुख्य रूप से भारतीय किसान परिषद, अखिल भारतीय किसान सभा, भारतीय किसान यूनियन टिकैत, भारतीय किसान यूनियन अजगर, किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा और किसान एकता संघ आदि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त समाजवादी पार्टी, किसान यूनियन भानू, किसान यूनियन मंच और जनवादी महिला समिति ने भी इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया है।
अब दिल्ली कूच की तैयारी
संसद सत्र के दौरान दिल्ली कूच का कार्यक्रम इसलिए रखा गया है। जिससे सरकार पर किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए दबाव बनाया जा सके। किसानों का कहना है कि यह आंदोलन किसानों के हक और सम्मान की लड़ाई है। जिसे वह किसी भी कीमत पर पूरा करेंगे। महापड़ाव के अगले चरण में किसान यमुना प्राधिकरण पर अपने विरोध प्रदर्शन को और तेज करेंगे। यदि 1 दिसंबर तक मांगें नहीं मानी गईं तो 2 दिसंबर से दिल्ली में बड़ा आंदोलन शुरू होगा।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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