सोमवार – 25 नवंबर को ढाका पुलिस ने बांग्लादेश इस्कॉन के प्रवक्ता चिन्मय दास को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद से देश में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया, जो अब तक थमा नहीं है. खासकर, राजधानी ढाका और उससे सटे शाहबाग इलाके में लोग चिन्मय दास की रिहाई को लेकर सड़कों पर हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चिन्मय दास राजधानी ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कल शाम साढ़े तीन बजे पहुंचे. वह चट्टाग्राम जा रहे थे. तभी सादे वर्दी में कुछ लोगों ने खुद को खुफिया विभाग का सदस्य बताते हुए एयरपोर्ट में एंट्री ली और उनको अपने साथ ले गए.
चिन्मय दास पर क्या हैं आरोप?
ढाका पुलिस ने कहा है कि चिन्मय दास की गिरफ्तारी उनके खिलाफ दायर एक शिकायत के आधार पर की गई है. दास पर बांग्लादेश के राष्ट्र ध्वज को अपमानित करने के आरोप हैं. चिन्मय दास पर ये आरोप पूर्व बीएनपी नेता फिरोज खान ने लगाए हैं. खान का आरोप था कि 25 अक्टूबर को चटगांव में हिंदू समुदाय की एक रैली हुई थी.
यहीं चिन्मय दास और दूसरे 18 लोगों ने बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अनादर किया. हालांकि, दिलचस्प बात ये है कि तब बीएनपी के नेता रहे फिरोज खान आरोप लगाने के कुछ ही दिनों के बदा पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में बीएनपी से बाहर हो गए. उधर, पुलिस इस मामले में जांच में जुट गई और दो लोगों की गिरफ्तार कर चुकी है.
कौन हैं चिन्मय दास, क्यों चर्चा में?
चिन्मय दास चटगांव (बांग्लादेश के दूसरे सबसे बड़े शहर) से संचालित होने वाले पुंडरिक धाम का नेतृत्त्व करते हैं. हिंदू समुदाय के प्रमुख चेहरे दास इस्कॉन के प्रवक्ता के तौर भी जाने जाते हैं. उनके अनुयायी पूरे देश में हैं. पुंडरिक धाम भी बांग्लादेश इस्कॉन का ही हिस्सा है.
दास बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकार को लेकर काफी मुखर रहे हैं. शेख हसीना की सरकार जाने के बाद ही से उन्होंने हिंदूओं और दूसरे अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों की जोर-शोर से निंदा की है.
पिछले महीने एक प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से दास ने सांप्रदायिक सौहार्द स्थापित करने में जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश समेत दूसरे राजनीतिक दलों के समर्थन की सराहना की थी. वह बीएनपी जैसी पार्टियों के साथ भी इस खातिर बैठक कर चुके हैं.
लेकिन चिन्मय दास ने इस सराहना के साथ-साथ प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्त्व में चल रही अंतरिम सरकार की आलोचना भी की थी. दास का आरोप था कि यूनुस की सरकार अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हुए करीब तीन हजार हमले को रोकने में नाकाम साबित हुई है.
बांग्लादेशी हिंदू और हाल में हुई हिंसा
बांग्लादेश की आबादी में करीब 8 फीसदी हिस्सेदारी हिंदुओं की है. जिस इस्कॉन से चिन्मय दास का ताल्लुक है, उसके बांग्लादेश में 77 से अधिक मंदिर हैं. करीब 50 हजार लोग इस संस्था से जुड़े हुए हैं.
पिछले कुछ महीनों में, खासकर शेख हसीना की सरकार जाने के बाद बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ भेदभाव और हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं. इस पर संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने संज्ञान लिया था.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसका जिक्र कर चुके हैं. अब हिंदू समुदाय के एक मुखर आवाज के गिरफ्तार होने से स्थिति के और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है. रिपोर्ट्स की मानें तो उनकी रिहाई को लेकर हो रहे प्रदर्शन के भी हिंसक होने की खबरें हैं.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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