एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के संभल जिले में चल रही हिंसा पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जहां शाही जामा मस्जिद के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण का विरोध करने पर पुलिस के साथ झड़प के बाद पुलिस की गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई है.
एक्स पोस्ट में, ओवैसी ने “उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी की कड़ी निंदा की”. उन्होंने घटना की निष्पक्ष जांच और तीन लोगों की हत्या में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.
उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा, तुझ को कितनों का लहू चाहिए ऐ अर्ज-ए-वतन? जो तिरे आरिज-ए-बे-रंग को गुलनार करें. कितनी आहों से कलेजा तिरा ठंडा होगा, कितने आंसू तिरे सहराओं को गुलजार करें.
तुझ को कितनों का लहू चाहिए ऐ अर्ज़-ए-वतन?
जो तिरे आरिज़-ए-बे-रंग को गुलनार करेंकितनी आहों से कलेजा तिरा ठंडा होगा
कितने आँसू तिरे सहराओं को गुलज़ार करें#संभल में पुर-अमन एहतिजाज करने वालों पर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा फायरिंग करने कि हम कड़ी निंदा करते हैं, पुलिस की फायरिंग— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 24, 2024
ओवैसी ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की
उन्होंने लिखा कि संभल में पुर-अमन एहतिजाज करने वालों पर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा फायरिंग करने कि हम कड़ी निंदा करते हैं, पुलिस की फायरिंग में तीन नौजवानों की मौत हुई है.अल्लाह से दुआ है कि अल्लाह मरहूमीन को मगफिरत अदा करे और उनके घर वालों को सब्र ए जमील अदा करे. इस हादसे की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। जो अफसर जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए.
चंद्रशेखर ने हिंसा की निंदा की, कही ये बात
दूसरी ओर, भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद ने संभल की हिंसा पर कहा कि भारत में, पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के तहत, 15 अगस्त 1947 को अस्तित्व में आए किसी भी धार्मिक स्थल का स्वरूप नहीं बदला जा सकता. इसके बावजूद, उत्तर प्रदेश के जिला संभल में चल रहे सर्वे के दौरान हुए पथराव और उसके बाद पुलिस फायरिंग में तीन लोगों की मृत्यु और अन्य के गंभीर रूप से घायल होने की घटना अत्यंत दुखद, निंदनीय और अस्वीकार्य है.
उन्होंने कहा कि यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही और स्थानीय खुफिया इकाई (LIU) की विफलता को उजागर करती है, बल्कि मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं की घोर उपेक्षा का भी प्रतीक है.
उन्होंने कहा किशोकाकुल परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं. इस दुखद घड़ी में हम सब उनके साथ खड़े हैं. पुलिस द्वारा इस घटना को “हल्का बल प्रयोग” कहना न केवल असंवेदनशीलता है, बल्कि पीड़ित परिवारों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है.
चंद्रशेखर आजाद ने कहा किमौजूदा सरकार के रुख को देखते हुए इस घटनाक्रम में नफरती तत्वों की साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता. इसलिए इस घटना की न्यायिक जांच कराकर ऐसी परिस्थितियां पैदा करने वाले वास्तविक आरोपियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करना अनिवार्य है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके.
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