साजिद खान को उनकी फिल्मों से ज्यादा उनकी कॉन्ट्रोवर्सी के लिए जाना जाता है. उनका नाम तब और भी ज्यादा सुर्खियों में आया था जब मीटू मूवमेंट में उनके ऊपर भी आरोप लगाए गए. साजिद ने कई बड़ी फिल्में दी हैं जिनमें हाउसफुल फ्रेंचाइजी भी शामिल है. उनका जॉनर ही स्लैपस्टिक कॉमेडी बनाना है. आज साजिद का बर्थडे है.
साजिद ने ‘हाउसफुल’ के अलावा अजय देवगन के साथ ‘हिम्मतवाला’ और सैफ अली खान और रितेश देशमुख के साथ ‘हमशक्ल’ जैसी फिल्में बनाई हैं. लेकिन उन्होंने करियर में एक ऐसी हॉरर फिल्म भी बनाई थी जो उस वक्त तो फ्लॉप थी मगर आज की कल्ट क्लासिक फिल्म है.
साजिद को भले ही उनकी फिल्मों के लिए खास वाहवाही ना मिलती हो, लेकिन उन्होंने अपने करियर के शुरुआत में एक ऐसी हॉरर फिल्म बनाई थी जिसको उस वक्त लोगों ने नकार दिया. साजिद इस हॉरर फिल्म को ट्रीलॉजी के तौर पर बनाना चाहते थे लेकिन ऐसा हो नहीं पाया क्योंकि ये फिल्म लोगों को पसंद नहीं आईं. हम जिस फिल्म की बात कर रहे हैं उसका नाम है ‘डरना मना है’.
‘डरना जरूरी है’
साल 2003 में आई ये फिल्म एक एंथोलॉजी हॉरर फिल्म थी यानी इसमें छोटी-छोटी कई कहानियां थीं. फिल्म को प्रवाल रमन ने डायरेक्ट किया था. फिल्म को लोगों से कोई खास रिस्पॉन्स नहीं मिला. इसके बाद आया साल 2006, जहां हॉरर फिल्मों के शहंशाह माने जाने वाले राम गोपाल वर्मा ने इसी फिल्म का सीक्वल बनाया जिसका नाम रखा गया ‘डरना जरूरी है’. ये भी एक एंथोलॉजी हॉरर फिल्म. रामू ने इस फिल्म में लगभग 6 नए डायरेक्टर को मौका दिया था.
क्या थी कहानी?
फिल्म की पहली कहानी साजिद की ही थी. इसमें काम किया था मनोज पाहवा ने. कहानी एक ऐसे आदमी की थी जो भूतों में भरोसा नहीं करता और हर बार मना करने के बाद भी कब्रिस्तान से होता हुआ ही फिल्म देखने जाता है. एक मजेदार बात ये है कि फिल्म में मनोज पाहवा का किरदार थियेटर में जो फिल्म देखने जाता है वो फिल्म साल 2003 में आई ‘डरना मना है’ ही होती है. इस फिल्म में भी पिछली फिल्म की ही तरह काफी बड़ी स्टारकास्ट थी, लेकिन फिल्म नहीं चली, हालांकि, आज इसे एक कल्ट क्लासिक फिल्म के तौर पर देखा जाता है. साजिद इस फिल्म के राइटर भी थे. वो इन दोनों फिल्मों के साथ एक तीसरी फिल्म बनाकर इसे ट्रीलॉजी बनाना चाहते थे, लेकिन क्योंकि फिल्म चली नहीं इसलिए उन्होंने इसका आइडिया ड्रॉप कर दिया.
अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए हमारा एप्प डाउनलोड करें |
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Source link