भाजपा महसचिव विनोद तावड़े पर बहुजन विकास अघाड़ी ने गंभीर आरोप लगाए हैं.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदान से पहले कैश कांड की एंट्री हो गई है. आरोप भाजपा महासचिव विनोद तावड़े पर लगा है. आरोप लगाने वाले बहुजन विकास अघाड़ी के नेता हैं, जिनका कहना है कि विनोद तावड़े ने विरार ईस्ट के विवंत होटल में पैसे बांटे. इसे लेकर नोकझोंक भी हुई और नौबत मारपीट तक पहुंच गई.
बहुजन विकास अघाड़ी के कार्यकर्ताओं ने यहां तक दावा किया कि विनोद तावड़े, विधानसभा सीट से उम्मीदवार राजन नाइक बांटने के लिए 5 करोड़ रुपये लेकर आए थे, बाद में जब जांच की गई तो होटल से 9 लाख रुपये भी बरामद हुए. रकम किसकी है ये साफ नहीं हो सका है. हालांकि रकम बरामदगी के बाद ये सवाल जरूर उठने लगा है कि चुनाव आचार संहिता के वक्त इतनी बड़ी रकम होटल से कैसे बरामद हुई? दरअसल आचार संहिता के दौरान कोई भी व्यक्ति एक निश्चित सीमा में कैश लेकर ही चल सकता है. आपात स्थिति में इसमें छूट मिल सकती है, लेकिन रकम का स्रोत बताना जरूरी होता है.
चुनाव में कितना खर्च कर सकते हैं विधायक
भारत में एक विधायक चुनाव लड़ने के लिए खर्च की सीमा भारतीय चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित की गई है. हालांकि यह सीमा राज्यों के आकार, जनसंख्या और अन्य कारकों के आधार पर अलग-अलग हो सकती है. अभी तक देश में विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे दूसरे बड़े राज्यों में कोई उम्मीदवार अधिकत 40 लाख रुपये खर्च कर सकता है. जबकि छोटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (जैसे गोवा, मणिपुर, पुदुचेरी) में प्रत्याशी को सिर्फ 28 लाख रुपये खर्च करने की अनुमति होती है. हालांकि इसमें पार्टी की तरफ से अपने उम्मीदवार के लिए की गई सभा या रैली में किया गया खर्चा शामिल नहीं होता.
कितनी रकम लेकर चल सकता है उम्मीदवार
वहीं अगर चुनावों के दौरान किसी प्रत्याशी के कैश लेकर चलने की बात की जाए तो वह वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी की गई गाइडलाइंस का ही पालन कर सकता है, जिसके अनुसार कोई भी शख्स कैश में करीब 2 लाख रुपये अपने साथ लेकर चल सकता है और इतने ही पैसों की खरीददारी भी कर सकता है. वैसे जब किसी प्रदेश में चुनाव होते हैं तो वहां पर आचार संहिता लागू होती है, जिसमें कोई भी 50 हजार रुपये तक कैश अपने साथ लेकर चल सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर किसी के पास 2 लाख रुपये हो तो पुलिस उसको गिरफ्तार कर लेगी. आपके पास यह पैसे कहां से आए और आप इनका क्या करने जा रहे है, इस बारे में जब जानकारी देते हैं तो उसमें व्यक्ति को छूट मिलती है. मेडिकल इमरजेंसी में इस सीमा में छूट दी जाती है, लेकिन रकम का स्रोत बताना जरूरी होता है.
उम्मीदवार कैसे दिखाता है खर्च
चुनाव आयोग के अनुसार, हर उम्मीदवार को चुनाव प्रचार में खर्च के लिए एक बैंक खाता खुलवाना होता है और इसी खाते से ही सभी लेन-देन किए जाएंगे. चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद उम्मीदवार को अपने बैंक खाते से किए गए खर्च की गई पूरी धनराशि का ब्योरा चुनाव आयोग को देना होता है. चुनाव आयोग इसका विश्लेषण करता है और अगर प्रत्याशी की तरफ से निर्धारित खर्च से ज्यादा पैसा खर्च होता है तो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 10ए के तहत उसके खिलाफ कार्रवाई होती है, जिसमें उस उम्मीदवार पर 3 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है.
– India Samachar
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