एकनाथ खडसे
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सोमवार को एनसीपी शरद पवार गुट के नेता एकनाथ खडसे राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी है. उन्होंने आगे कोई चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले की घोषणा की. इस मौके पर खडसे ने एक भावुक बयान भी दिया. उन्होंने अपनी बेटी रोहिणी खडसे को जिताने की अपील करते हुए कहा कि यह तो भगवान ही तय करेंगे कि मैं अगला चुनाव देखूंगा या नहीं. करीब चार दशकों तक खडसे का जलगांव जिले में ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में दबदबा रहा है. हाल में उनके भाषणों को लेकर बहुत चर्चा हुई थी.
बेटी रोहिणी खडसे की ओर से सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में एकनाथ खडसे ने कहा है कि, मैं नाथाभाऊ से बात कर रहा हूं. विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को है. इस चुनाव में रोहिणी खडसे एनसीपी की उम्मीदवार हैं. मैं अब और चुनाव नहीं लड़ूंगा. मैं कई वर्षों से आपके साथ हूं. आप सभी ने सालों से मेरा समर्थन किया है. हमने जाति और धर्म से ऊपर उठकर सभी की मदद की है.
मुक्ताईनगर मतदासंघांतील मायबाप जनतेला माजी महसुल मंत्री आ. एकनाथराव खडसे साहेब यांचे विनम्र आवाहन
यापुढे मी निवडणूक न लढाविण्याचा निर्णय घेतला आहे. मी गेली अनेक वर्ष आपल्या सोबत आहे. अनेक वर्ष आपणही मला सहकार्य केले आहे, मला आशीर्वाद दिले आहेत. मी ही तुमच्या सुख दुःखात सहभागी pic.twitter.com/FDbNFcQ1L6
— Adv Rohini Eknathrao Khadse (@Rohini_khadse) November 18, 2024
वीडियो में वो आगे कहते हैं कि भगवान तय करेंगे कि मैं स्वास्थ्य कारणों से अगला चुनाव देखूंगा या नहीं, लेकिन एकनाथ खडसे ने भावुक अपील करते हुए कहा कि जिस तरह आपने मेरा समर्थन किया है, उसी तरह रोहिणी खडसे को भी समर्थन देकर चुना जाना चाहिए.
कोठारी के सरपंच से लेकर 12 विभागों के मंत्री तक
बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे के साथ एकनाथ खडसे राज्य में बीजेपी का चेहरा थे. गोपीनाथ मुंडे के साथ खडसे ने पार्टी के विकास में बहुत योगदान दिया. एकनाथ खडसे ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कोठारी गांव के सरपंच (1987) के रूप में की. इसके बाद उन्होंने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वे विधायक, नेता प्रतिपक्ष, 12 विभागों के मंत्री जैसे विभिन्न पदों पर रहे. उन्होंने पार्टी में कई लोगों को खड़ा किया. उनकी बात दिल्ली तक सार्थक थी.
मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भी थे शामिल
एक समय ऐसा भी आया था जब उनका नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बताया गया था, लेकिन देवेंद्र फडणवीस से मतभेद के बाद एकनाथ खडसे की बीजेपी में हैसियत घटने लगी. उनके साथ लगातार दोयम दर्जे के व्यवहार का आरोप लगता रहा. इसलिए उन्होंने 2020 में बीजेपी छोड़ दी और एनसीपी में शामिल हो गए.
– India Samachar
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