बाबूलाल मरांडी, जेएलकेएम प्रमुख जयराम महतो, कल्पना सोरेन और हेमंत सोरेन.
झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 43 सीटों पर चुनाव होने के बाद अब बारी दूसरे चरण की 38 विधानसभा सीटों की है. दूसरे फेज की 38 सीट पर 528 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 20 नवंबर को मतदान से तय होगा. पहले चरण में कोल्हान और छोटा नागपुर क्षेत्र की सीटों पर चुनाव था तो दूसरे चरण में संथाल परगना की सीटों पर अग्निपरीक्षा है. ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन के सामने अपने मजबूत गढ़ को बचाए रखने की चुनौती है तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का भी असल इम्तिहान है.
झारखंड के फाइनल और अंतिम चरण की 38 सीटों पर 528 उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें 472 पुरुष और 55 महिलाओं के अलावा एक थर्ड जेंडर भी है. 257 निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं. 2019 में इन सीटों पर 583 प्रत्याशी उतरे थे, इस तरह 2024 चुनाव की तुलना में उम्मीदवार जरूर कम है लेकिन मुकाबला पहले से ज्यादा टफ है. खिजरी और टुंडी सीट पर सबसे ज्यादा 20-20 उम्मीदवार मैदान में हैं.
किस सीट पर कितने प्रत्याशी
किस दल के कितने उम्मीदवार?
दूसरे चरण की जिन 38 सीटों पर चुनाव है, उसमें से 33 सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं जबकि 5 सीट पर उसकी सहयोगी आजसू ने अपने प्रत्याशी उतार रखे हैं. वहीं, दूसरे चरण में जेएमएम के 20 उम्मीदवार मैदान में हैं और उसके सहयोगी कांग्रेस 13 सीट पर चुनाव लड़ रही. इसके अलावा आरजेडी ने दो सीट पर प्रत्याशी उतारे हैं तो सीपीआई माले ने 3 सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं.
झारखंड चुनाव के दूसरे चरण में 17 सीट पर बीजेपी और जेएमएम के बीच मुकाबला है तो 11 सीट पर कांग्रेस बनाम बीजेपी की लड़ाई है. तीन सीट पर आजसू बनाम जेएमएम की लड़ाई है तो तीन सीट पर माले की लड़ाई बीजेपी से है. आरजेडी को दोनों ही सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी से मुकाबला करना पड़ रहा है. ऐसे में कई सीट पर त्रिकाणीय लड़ाई भी है
किस दल का क्या दांव पर लगा?
विधानसभा चुनाव के जिन 38 सीट पर दूसरे चरण में चुनाव है, उनको 2019 के चुनावी नतीजे के लिहाज से देखें तो जेएमएम 13 सीटें जीतने में सफल रही थी. कांग्रेस ने 8 सीटें जीती थीं. बीजेपी का 12 सीटों पर कब्जा है तो दो सीटों पर आजसू ने जीत दर्ज की थी. पांच सीटें अन्य और निर्दलीय ने जीती थी, जिसमें बाबूलाल मरांडी भी शामिल थे, जो बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे. जेएमएम और कांग्रेस ने 21 सीटों पर कब्जा जमाया था जबकि बीजेपी को सबसे बड़ा झटका लगा था. इस लिहाज से हेमंत सोरेन को अपने सियासी गढ़ बचाए रखने की चिंता है तो बीजेपी में आए बाबूलाल मरांडी की भी असल परीक्षा इसी चरण में होनी है.
संथाल परगना सोरेन का गढ़
झारखंड में संथाल परगना जेएमएम का गढ़ माना जाता है. राज्य की 81 में से संथाल परगना में 18 विधानसभा सीटें आती हैं. 18 सीटों वाला यह परगना मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का दुर्ग कहा जाता है. सीएम हेमंत सोरेन जिस बरहेट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, वह भी संथाल परगना में ही है. झारखंड की सत्ता निर्धारित करने में यह परगना अहम भूमिका निभाता है और यह भी एक वजह है कि हर दल का फोकस संथाल जीतने पर रहता है. शिबू सोरेन का गृह क्षेत्र होने के कारण संथाल की सीटें नाक का सवाल बन गई हैं.
संथाल जनजाति का बड़ा हिस्सा संथाल परगना में रहता है और यहां के सियासी मिजाज का संदेश धनबाद-गिरीडीह के इलाके में रहने वाले लोग प्रभावित करता है. हेमंत सोरेन खुद भी संथाल जनजाति से ही हैं. बीजेपी की रणनीति संथाल में आदिवासी अस्मिता के दांव को सोरेन परिवार की ही सीता सोरेन और सिद्धो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू के जरिये काउंटर करने की है. संथाल परगना में बदलती डेमोग्राफी और बांग्लादेश के नागरिकों के घुसपैठ को भी बीजेपी मुखरता से उठा रही है और इसे अपने संकल्प पत्र में भी जगह दी है.
दूसरे चरण में तीन विधानसभा सीटों डुमरी, बेरमो और सिल्ली विधानसभा सीट में जयराम महतो की पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) प्रत्याशियों का जोर दिखेगा. डुमरी और बेरमो में जेएलकेएम प्रमुख जयराम महतो खुद चुनाव मैदान में हैं जबकि सिल्ली में देवेंद्रनाथ महतो चुनाव मैदान में हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में भी इन सीटों पर जयराम महतो और देवेंद्रनाथ महतो की पार्टी ने दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी.
– India Samachar
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