पीएम मोदी, अजित पवार, सीएम योगी, देवेंद्र फडणवीस
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे मुकाबला रोचक होता जा रहा है. कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन को मात देने के लिए बीजेपी, अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंद की शिवसेना के साथ मिलकर भले ही चुनावी मैदान में उतरी है. बीजेपी के साथ शिंदे पूरी तालमेल बैठाकर चल रहे हैं, लेकिन अजित पवार सियासी केमिस्ट्री नहीं बन पा रहे हैं. अजित पवार न ही बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे के साथ तालमेल बैठा पा रहे हैं और ना ही योगी आदित्यनाथ के साथ सुर में सुर मिल रहे हैं.
एनसीपी प्रमुख अजित पवार का पहले बीजेपी के विरोध के बावजूद नवाब मलिक को टिकट देना, फिर नवाब मलिक और उनकी बेटी सना खान के लिए सड़क पर उतरकर प्रचार करना. इतना ही नहीं अजित पवार ने अपने विधानसभा क्षेत्र बारामती में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुनावी सभाएं कराने से साफ मना कर दिया है. अब सीएम योगी के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ वाले बयान का विरोध करना, यह दिखा रहा है कि अजित पवार का बीजेपी के साथ तालमेल नहीं बन पा रहा है और न ही हिंदुत्व की पॉलिटिक्स भा रही है.
नवाब मलिक को अजित पवार का समर्थन
बीजेपी के विरोध के बावजूद एनसीपी प्रमुख अजित पवार नवाब मलिक पर अपना भरोसा बनाए हुए हैं. अजित पवार ने अणुशक्ति नगर सीट से नवाब मलिक की बेटी सना मलिक को टिकट दिया और नामांकन के आखिरी दिन मानखुर्द नगर सीट से नवाब मलिक को उतार दिया. मानखुर्द सीट से एकनाथ शिंद की शिवसेना से सुरेश पाटिल ने पहले से चुनावी मैदान में ताल ठोक रखी थी. इसके बाद भी अजित पवार ने उन्हें प्रत्याशी बनाया. बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं के विरोध के बावजूद अजित पवार ने नवाब मलिक को उम्मीदवार को बनाए रखा. इस तरह से अजित पवार ने साफ संदेश दिया कि भले ही बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हों, लेकिन बीजेपी की हर बात मानने के लिए तैयार नहीं है.
अजित पवार नवाब मलिक और उनकी बेटी सना मलिक दोनों को मुंबई के मुस्लिम बहुल सीटों से चुनाव लड़ा रहे हैं. यही नहीं नवाब मलिक के समर्थन में पूरा दमखम भी लगा रहे हैं. बीजेपी के दिग्गज नेता और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस तक ने नवाब मलिक की उम्मीदवारी पर एतराज जताया था. बीजेपी ने ये साफ कह दिया है कि मानखुर्द नगर सीट पर नवाब मलिक को समर्थन नहीं करेंगे बल्कि शिवसेना से चुनाव लड़ रहे सुरेश पाटिल के साथ हैं. इस तरह अजित पवार ने बीजेपी के विरोध की परवाह नहीं की और नवाब मलिक के साथ खड़े हैं.
नवाब मलिक के लिए अजित ने झोंकी ताकत
अजित पवार ने अणुशक्तिनगर सीट पर सना मलिक और मानखुर्द नगर सीट पर नवाब मलिक को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. अजित पवार ने मलिक परिवार के बाप और बेटी के लिए सड़क पर उतरकर प्रचार किया. उन्होंने कहा कि अगर किसी पर आरोप लगाए जाएं और वह आरोप सिद्ध न हों तो उस शख्स को उसकी कीमत क्यों चुकानी पड़ेगी. आरोप सिद्ध होने के बाद अगर पार्टी कोई गलती करें तब बोलना चाहिए. बीजेपी के द्वारा नवाब मलिक पर दाऊद इब्राहिम के करीबी होने वाले आरोप पर अजित पवार ने कहा कि नवाब मलिक को वह 35 साल से जानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. इसके साथ उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि बहुत से सेलिब्रिटीज पर इस तरह के आरोप लगाए गए हैं. अजित पवार नवाब मलिक का बचाव भी पूरी तरह करते नजर आ रहे हैं, जो बीजेपी से पूरी तरह अलग है.
मोदी-योगी की रैली से पवार का इनकार
एनसीपी प्रमुख अजित पवार का कहना है कि बारामती में चुनावी लड़ाई पारिवारिक है और इसे लड़ने में वह सक्षम हैं. उन्होंने पीएम मोदी और सीएम योगी सहित अमित शाह की रैली बारामती में कराने से इनकार कर दिया है. अजित पवार ने कहा कि बारामती में परिवार के बीच चुनावी लड़ाई है, जिसके चलते अन्य का दखल नहीं चाहते. अजित पवार अपने भतीजे युगेंद्र पवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी और एनडीए के नेता अमित शाह से लेकर पीएम मोदी तक की जनसभाएं अपने क्षेत्र में कराने के लिए बेताब हैं, लेकिन अजित पवार उनसे बच रहे हैं. इतना ही नहीं महाराष्ट्र में एनसीपी खेमे वाली सीटों पर भी बीजेपी नेताओं की रैली नहीं हो रही है. इस तरह अजित पवार यह संदेश दे रहे हैं कि वह खुद ही सक्षम है और अपनी सीट के साथ-साथ अपने नेताओं की भी सीटें जीतने की ताकत रखते हैं.
‘बंटोगे तो कटोगे’ नारे से पवार का किनारा
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ‘बंटोगे तो कटोगे’ के नारे से हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने में जुटे हैं. महाराष्ट्र चुनाव प्रचार में भी योगी ने अपने इसे एजेंडे को दोहराया. बीजेपी के तमाम नेता भी योगी आदित्यनाथ के सुर में सुर मिलाते हुए नजर आ रहे हैं, लेकिन अजित पवार ने इससे किनारा ही नहीं किया बल्कि विरोध भी कर रहे हैं. अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र ने कभी भी सांप्रदायिक विभाजन को स्वीकार नहीं किया. यहां के लोगों ने छत्रपति शाहू महाराज, ज्योतिबा फुले और बाबासाहेब आंबेडकर की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा का पालन किया है. इस तरह की राजनीति महाराष्ट्र में नहीं चलने वाली है, क्योंकि यहां के लोगों ने हमेशा सांप्रदायिक सद्भाव सुनिश्चित किया है. कुछ लोग बाहर से यहां आते हैं और बयान देते हैं, हम इससे सहमत नहीं है. हमारा नारा सब का साथ और सब का विकास है. अजित पवार ने कहा,’बंटेंगे तो कटेंगे’ की बात महाराष्ट्र में नहीं चलेगी. यहां की जनता सब समझती है.
अजित पवार के सुर क्यों अलग दिख रहे
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो अजित पवार भले ही बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन अपनी सियासी छवि को भी बरकरार रखना चाहते हैं. यह संदेश नहीं देना चाहते हैं कि बीजेपी के पिछलग्गू बन गए हैं बल्कि अपनी राजनीतिक पहचान बनाए रखना चाहते हैं. बीजेपी के साथ रहने के चलते मुस्लिम वोटों के छिटकने का भी खतरा एनसीपी के साथ बना हुआ है, जिसके चलते ही अजित पवार ने मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए छत्रपति शिवाजी का नाम लेकर योगी के ‘बंटेगे तो कंटेगे’ बयान का विरोध किया है. इस तरह मुस्लिम वोटों को अपने साथ जोड़े रखने की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है. अजित पवार अपनी सियासी छवि को नीतीश कुमार की तरह रखना चाहते हैं ताकि मुस्लिम वोट भी उनसे न छिटक सके. इसीलिए योगी के बयान से चाहे किनारा करने की बात हो या फिर बीजेपी नेताओं के विरोध के बावजूद नवाब मलिक को चुनाव लड़ाने का फैसला लिया.
– India Samachar
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