अजित पवार, शरद पवार, एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना और एनसीपी के दो धड़ों में बंटने के बाद हुए 2024 लोकसभा चुनाव में असली शिवसेना बनाम नकली शिवसेना, तो असली एनसीपी बनाम नकली एनसीपी की लड़ाई देखेने को मिली थी. लोकसभा चुनाव के जनादेश से असली और नकली का फैसला हो गया था, जिसके चलते विधानसभा चुनाव की लड़ाई महाराष्ट्र के प्रेमी बनाम विश्वासघात का नैरेटिव सेट किए जाने लगा है. शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपनी पहली ही रैली से मराठी अस्मिता के एजेंडा सेट करने के मद्देनजर साफ कहा कि विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र से प्रेम करने वालों और धोखा देने वालों के बीच का है.
पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कोल्हापुर से महाराष्ट्र चुनाव प्रचार का शंखनाद किया. इस दौरानमहाराष्ट्र के प्रेमी बनाम विश्वासघाती का नैरेटिव सेट करने करते नजर आए. शिवसेना के विभाजन का जिक्र करते हुए उद्धव ठाकरे ने बीजेपी और अपने सहयोगी रहे एकनाथ शिंदे और उनके साथ बगावत करने वाले नेताओं पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जो लोग बीजेपी की मदद कर रहे हैं, वे महाराष्ट्र के दुश्मन हैं. जो लोग राज्य से प्यार करते हैं, वे विपक्षी एमवीए के साथ जुड़े हुए हैं. इतना ही नहीं उद्धव ठाकरे ने शिंदे सरकार पर महाराष्ट्र का गौरव गुजरात के पास गिरवी रखने का मुद्दा उठाया. सवाल उठता है कि मराठी अस्मिता को जगाकर उद्धव ठाकरे क्या महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी का एजेंडा सेट कर रहे हैं?
महाराष्ट्र की सियासत में बीजेपी-शिवसेना लंबे समय तक दोस्त रहे हैं, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों के रिश्ते बिगड़ गए. शिवसेना दो धड़ों में बंट गई, जिसमें एक की कमान एकनाथ के हाथ में दूसरे की बागडोर उद्धव ठाकरे के पास है. इसी तरह से शरद पवार और अजित पवार के बीच एनसीपी दो खेमे में बंट गई. शिंदे की तरह अजित पवार ने बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया, तो उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर रखा है.
बीजेपी पर महाराष्ट्र को गुजरात के हाथों बेचने का आरोप
शिवसेना और एनसीपी के विभाजन के बाद पहली बार 2024 का लोकसभा चुनाव हुआ था, जिसमें उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने नकली बनाम असली का नैरेटिव सेट किया था. ऐसे में चुनावी जनादेश ने उद्धव ठाकरे और शरद पवार की मुराद पूरी कर दी थी, क्योंकि शिंदे और अजित पवार उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं ला सके. महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 30 सीटें कांग्रेस, उद्धव और शरद पवार की पार्टी ने जीती थीं, जबकि 17 सीटों पर बीजेपी, एकनाथ शिंदे और अजित पवार सीमित हो गए थे.
महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे शिवसेना और शरद पवार एनसीपी के असली सियासी वारिस के तौर पर स्थापित करने में कामयाब रहे, लेकिन अब असली नकली की लड़ाई के बजाय मराठा अस्मिता पर सियासी बिसात बिछाने में उद्धव ठाकरे जुट गए हैं. उद्धव ठाकरे ने कहा कि विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र के प्रेम करने वालों और विश्वासघात करने वालों के बीच है. बीजेपी के साथ खड़े एकनाथ शिंदे और अजित पवार को उन्होंने महाराष्ट्र का दुश्मन बताया तो कांग्रेस, एनसीपी (ए) और शिवसेना (यूबीटी) को महाराष्ट्र का हितैषी बताया.
एकनाथ शिंदे पर हमला करते हुए उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर महाराष्ट्र को गुजरात के हाथों बेचने का आरोप लगाया, जहां वह सत्ता में है. उद्धव ठाकरे ने दावा किया कि उनकी सरकार जून 2022 में इसलिए गिरा दी गई, क्योंकि उन्होंने बीजेपी को महाराष्ट्र को नुकसान नहीं पहुंचाने दिया. उन्होंने कहा कि जब उनके नेतृत्व में एमवीए सत्ता में थी तो एक भी औद्योगिक परियोजना राज्य से बाहर नहीं गई. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव राज्य से प्यार करने वालों और उससे नफरत करने वालों के बीच की लड़ाई का है.
छत्रपति शिवाजी महाराज का मंदिर बनाने का वादा
उद्धव ठाकरे ने बागी शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर उनकी पार्टी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं का जिक्र करते हुए इस बात पर जोर दिया कि उन्हें अब भी शीर्ष न्यायपालिका से न्याय नहीं मिला है और इसलिए वह न्याय के लिए जनता की अदालत में आए हैं. उन्होंने कहा कि यह लड़ाई मैं अपने लिए नहीं, बल्कि आपके और महाराष्ट्र के लिए लड़ रहा हूं. उन्होंने बीजेपी पर सत्ता के लिए लोगों को धर्म और जाति के आधार पर बांटने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र का हक गुजरात देने का काम शिंदे कर रहे हैं.
उद्धव ठाकरे ने वादा किया कि अगर महा विकास अघाड़ी की सरकार बनती है, तो महाराष्ट्र के हर जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज का मंदिर होगा. उन्होंने साथ ही इस बात को भी कहा कि संभव हुआ तो गुजरात के सूरत में 17वीं शताब्दी के मराठा योद्धा राजा को समर्पित एक मंदिर भी बनवाएंगे. सूरत शहर शिवाजी महाराज के सैन्य अभियान से जुड़ा हुआ है.इस तरह शिवाजी महाराज के बहाने महाराष्ट्र के लोगों के बीच जगह बनाने की कवायद करते नजर आए हैं. यही नहीं उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को अपनी दूसरी जनसभा रत्नागिरी में राज्य के लोगों से कई बड़े वादे किए.
उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुंबई में अडानी परियोजना को रद्द करने और उद्योग के साथ धारावी निवासियों को घर देने का वादा किया है. उन्होंने कहा ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को मुंबई आना चाहिए, तो कोल्हापुरी वासियों से कहा मुंबई आपकी है, यहां मराठी आदमी की है. मराठी आदमी ने खून बहाकर मुंबई को बचाया है. इसलिए मुंबई पर आपका अधिकार है. उद्धव ठाकरे ने कहा कि आने वाले दिनों में अगर हम सत्ता में आते हैं, तो महाराष्ट्र के भूमिपुत्रों को धारावी और मुंबई के इलाकों में सस्ते मकान मुहैया कराएंगे. इसके अलावा किसानों से एमएसपी का वादा किया. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार नहीं गिराई गई होती तोअब तक किसान कर्ज मुक्त हुए होते. लेकिन जब हम सत्ता में वापस आएंगे तो हम कृषि उपज को एमएसपी देंगे.
मराठी अस्मिता एक बड़ा फैक्टर
महाराष्ट्र की सियासत में मराठी अस्मिता एक बड़ा फैक्टर रहा है. राज्य में 69 फीसदी मराठी भाषा बोलने वाले लोग हैं, जबकि 31 फीसदी लोग हिंदी-गुजराती भाषाई हैं. शिवसेना की पूरी सियासत ही मराठी अस्मिता पर बाला साहेब ठाकरे से केंद्रित रही है और उद्धव ठाकरे भी उसे अब धार देने में जुटे हैं. मराठी भाषी इलाकों में उद्धव ठाकरे की पकड़ एकनाथ शिंदे, राज ठाकरे और बीजेपी से अधिक है. उद्धव ठाकरे यह बताने में जुटे हैं कि बीजेपी के एजेंडे में महाराष्ट्र के बजाय गुजरात है और एकनाथ शिंदे कैसे उनके इशारे पर काम कर रहे हैं.
महाराष्ट्र की परियोजनाओं को गुजरात को सौंपा जा रहा है, जो बीजेपी के चलते हो रहा है. इस तरह उद्धव ठाकरे अब असली शिवसेना बनाम नकली शिवसेना के बजाय मराठी अस्मिता को सियासी मुद्दा बनाने में जुटे हैं. इसके लिए बीजेपी और उनके सहयोगी को महाराष्ट्र का दुश्मन तो कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी को महाराष्ट्र प्रेमी बताकर चुनावी एजेंडा सेट करने में जुट गए हैं. बीजेपी के साथ खड़े एकनाथ शिंदे और अजित पवार को विश्वासघाती बताकर सहानुभूति बटोरने की कवायद कर रहे हैं. ऐसे में देखना है कि महाराष्ट्र की सियासी बाजी कौन जीतता है?
– India Samachar
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