तुर्की में चुनाव नज़दीक हैं और अर्दोआन की 20 साल पुरानी सत्ता दांव पर लगी है. राहत कार्य को लेकर लोगों में असंतोष है और माना जा रहा है कि इसका असर चुनाव पर पड़ सकता है.
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तुर्की में 1939 के बाद के सबसे भयावह भूकंप के बाद ये सवाल उठने लगा है कि क्या इतनी बड़ी त्रासदी से बचा जा सकता था. साथ ही ये भी कि क्या राष्ट्रपति अर्दोआन की सरकार और ज़्यादा लोगों की जान बचा सकती थी.
तुर्की में चुनाव नज़दीक हैं और उनकी 20 साल पुरानी सत्ता दांव पर लगी है. लेकिन संकट के दौर में देश में एकता बनाए रखने की अर्दोआन की अपील अनसुनी कर दी गई है.
राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने माना है कि राहत कार्य में कमी रही है. लेकिन भूकंप प्रभावित एक इलाके का दौरा करते वक्त उन्होंने इसके लिए नियति को दोष दिया. उन्होंने कहा, ”ऐसी चीज़ें पहले भी हुई हैं. ये नियति की योजना का हिस्सा है.”
तुर्की में ऐसा भयावह भूकंप 1939 के बाद नहीं आया था. छह दिन पहले आए भूकंप की तीव्रता काफ़ी ज़्यादा थी. पहले 7.8 और 4.17 की तीव्रता के दो झटके आए. इसके बाद भी एक के बाद 7.5 तीव्रता के कई झटके आए.
तुर्की के 81 प्रांतों में से दस प्रांत ज़बरदस्त भूकंप का शिकार हुए हैं. इन इलाकों में व्यापक राहत ऑपरेशन की ज़रूरत है. लेकिन भूकंप आने के बाद राहत की तैयारी में थोड़ा समय लगा और कई गांवों तक तो लोग पहुंच भी नहीं पाए.
शुरुआती देरी के बाद 30 हज़ार पेशेवर राहतकर्मी और स्वयंसेवक राहत कार्यों को अंजाम देने के लिए जुटे हैं. इनमें दूसरे देशों से आए राहतकर्मियों की भी टीम थी.
भूकंप से 6000 इमारतें ध्वस्त हो गई हैं. तुर्की की डिज़ास्टर अथॉरिटी के कई कर्मचारी खुद भूकंप में फंस गए थे.
राहत कार्य के लिहाज़ से भूकंप के बाद शुरुआती कुछ घंटे बेहद अहम थे लेकिन सड़कें टूट चुकी थीं. इस वजह से प्रभावित इलाकों में राहतकर्मियों को पहुंचने में दो से तीन घंटे लग गए.
तुर्की में भूकंप आते रहे हैं. लेकिन इस बार के भूकंप के बाद स्वयंसेवकों की प्रमुख राहत टीम के संस्थापक का कहना था कि इस बार राहत ऑपरेशन में राजनीति आडे़ आ रही है.
सेना को राहत कार्य में नहीं उतारा गया
1999 में आए एक बड़े भूकंप के बाद सेना ने राहत ऑपरेशन चलाया था. लेकिन अर्दोआन ने तुर्की में सेना की ताकत कम करने की कोशिश की है.
राहत टीम अकूत फाउंडेशन के संस्थापक नसुह महरुकी का कहना है, ”पूरी दुनिया में सबसे संगठित और लॉजिस्टिक से बेहतरीन तरीके से लैस संगठन सेना ही हुआ करती है. उनके पास बेशुमार संसाधन होते हैं. इसलिए आप इस तरह की आपदाओं में सेना का इस्तेमाल करते हैं.”
लेकिन इस बार कमान तुर्की की सिविल डिजास्टर अथॉरिटी के पास है. इसके दस से पंद्रह हजार कर्मचारी अकूत जैसे गैर सरकारी संगठन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. अकूत के पास 3000 स्वयंसेवक हैं.
महरुकी कहते हैं कि इस बार राहत कार्य का दायरा 1999 से भी बड़ा होगा. लेकिन सेना को राहत कार्य से बाहर रखने की योजना की वजह से इसे शुरू करने के लिए सरकार के आदेश का इंतज़ार करना पड़ा. इसी वजह से राहत और लोगों को तलाशने के काम में देरी हुई.
राष्ट्रपति अर्दोआन ने माना है कि भूकंप में फंसे लोगों की तलाशी का काम उतनी तेज़ी से नहीं हो सका जितनी तेज़ी से सरकार चाहती थी. लेकिन उनके मुताबिक़ तुर्की में इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ी तलाशी और बचाव टीम काम कर रही है.
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‘मैंने उन्हें चेताया था’
पिछले कई सालों से तुर्की में लोगों को बड़े भूकंप आने की चेतावनी दी जाती रही है. लेकिन बहुत कम लोगों को अंदाज़ा था का ये ईस्ट एंटोलियन फॉल्ट से लगे इलाके में आएगा, जो पूरे दक्षिण-पूर्वी तुर्की में फैला हुआ है. क्योंकि अब तक बड़े भूकंप उत्तरी फॉल्ट में आए थे.
लेकिन जब जनवरी 2020 के सोमवार को मौजूदा भूकंप के केंद्र के उत्तर-पूर्व में बसे इलाज़िग में भूकंप आया था तो इस्तांबुल यूनिवर्सिटी में जियोलॉजिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर नासी गोरुर को इस जोखिम का अहसास हुआ था. उन्होंने उस वक्त आदियामन और कहरामानमारस शहर में भूकंप की आशंका जताई थी.
तुर्की में भूकंपरोधी निर्माण के एक प्रमुख इंजीनियर प्रोफेसर मुस्तफ़ा इरदिक का कहना है कि मकान बनाने के लिए जो नियम बने हैं, उनके मुताबिक निर्माण नहीं हुआ है. इसलिए मरने वालों की तादाद अधिक है. उन्होंने बिल्डिंग इंडस्ट्री की अक्षमता और अज्ञानता को दोषी ठहराया.
उन्होंने बीबीसी से कहा, ”हमें भूकंप में नुकसान की आशंका रहती है लेकिन इस तरह का नुकसान नहीं होने दे सकते. भूकंप की वजह से मकानों के फ्लोर एक के ऊपर एक ऐसे चढ़े हुए थे, जैसे कोई पैनकेक हो.”
वो कहते हैं, ”ऐसा विध्वंस और इतनी बड़ी तादाद में मौतें रोकी जा सकती हैं.”
तुर्की में 2018 के नए नियमों के मुताबिक उच्च क्वालिटी के कंक्रीट में रिब्ड स्टील बार का इस्तेमाल करने को कहा गया था. नियमों के मुताबिक़ ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज बीमों को इस तरह खड़ा किया जाना चाहिए जिससे वो भूकंप के झटके सह सकें.
प्रोफेसर इरदिक का कहना है कि अगर इन नियमों का पालन किया जाता तो मकानों के बीम बरकरार होते. जो दरारें आतीं वो बीम तक ही सीमित होतीं. लेकिन नियमों का पालन किए बगैर मकान बनाए जाने से उनके पिलर ढह गए और बड़े पैमानों पर जान-माल का नुकसान हुआ.
हालांकि कानून मंत्री ने कहा है कि बिल्डिंग निर्माण में हुई अनियमितताओं के दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी.
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भूकंप टैक्स की रकम कहां गई?
तुर्की में विपक्षी सीएचपी पार्टी के नेता कमाल किलिदारोगलु कहते हैं अर्दोआन को सत्ता में आए 20 साल हो गए हैं लेकिन उन्होंने देश को भूकंप की भयावहता झेलने के लिए तैयार नहीं किया है.
अब यहां 1999 के भूकंप के बाद भूकंप सॉलिडेरिटी टैक्स में वसूली गई बड़ी रकम के इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. इस रकम का इस्तेमाल भूकंप-रोधी मकानों के निर्माण में होना था.
इसके अलावा मोबाइल फोन, रेडियो और टीवी ऑपरेटरों से वसूले गए 88 अरब लीरा के टैक्स के इस्तेमाल पर भी सवाल उठ रहे हैं. पूछा जा रहा है ये रकम कहां गई. दो साल पहले इस टैक्स में दस फीसदी का इज़ाफा भी किया गया था. लेकिन सरकार ने अब तक ये नहीं बताया है कि ये पैसा कहां खर्च हुआ.
बिल्डिंग निर्माण में अनियमितता करने वालों के लिए एक एमनेस्टी स्कीम में भी लाई गई थी. इसमें जुर्माने के तौर पर अरबों लीरा जमा हुए थे. लेकिन जब 2019 में इस्तांबुल में एक बिल्डिंग गिर गई और 21 लोग मारे गए थे तो सिविल इंजीनियरों के चैंबर के प्रमुख ने कहा था कि एमनेस्टी स्कीम तुर्की के शहरों को कब्रगाह में बदल देगी.
इंस्ताबुल यूनिवर्सिटी की पेलिन पिनार गिरितलिओगलु ने बीबीसी ने कहा, ”इस बार के भूकंप में जो इमारतें गिरीं उसमें इस एमनेस्टी स्कीम के तहत दी गई छूट का बड़ा हाथ रहा है.”
प्रोफेसर इरदिक कहते हैं, ”हम पिछले 23 साल से इस्तांबुल में इस तरह के भूकंप की आशंका ज़ाहिर कर रहे थे. लिहाज़ा अब देश के नीति निर्माण में लगे लोगों को एक साथ मिलकर ऐसा माहौल और इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा जो भूकंप का मुकाबला कर सके.”
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राजनीति का ध्रुवीकरण
भूकंप के बाद राष्ट्रपति अर्दोआन ने देश में एकता और अखंडता की अपील की है. उन्होंने भूकंप में राहत में देरी करने के आरोपों को अपमानजनक करार दिया है.
भूकंप के केंद्र के नज़दीक हाते में उन्होंने पत्रकारों से कहा, ”लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए निगेटिव कैंपेनिंग कर रहे हैं. इस तरह का प्रचार करने वालों को मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता.”
भूकंप से प्रभावित ज्यादा शहरों में उनकी पार्टी एकेपी का शासन है. लेकिन अर्दोआन पहले प्रधानमंत्री और अब राष्ट्रपति के तौर पर 20 साल से सत्ता में हैं. लेकिन उनकी नीतियों का विरोध हो रहा है.
किलिकदारोगलु कहते हैं, ”हम सिर्फ अर्दोआन की राजनीति की वजह से इस स्थिति तक पहुंचे हैं.”
देश में मई में चुनाव होने हैं लेकिन प्रचार अभियान शुरू नहीं हुआ है. किलिकदारोगलु छह विपक्षी दलों में से एक का नेतृत्व करते हैं. विपक्षी पार्टियां मिलकर अर्दोआन के ख़िलाफ़ संयुक्त उम्मीदवार खड़ा कर सकती हैं.
लेकिन भूकंप के बाद देश में एकता बनाए रखने की अपील अनसुनी रह सकती है. अर्दोआन अब अपने आलोचकों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. उनके कई आलोचक जेल में बंद हैं या देश छोड़कर भाग गए हैं.
जब 2016 में उनके ख़िलाफ़ तख्तापलट की एक कोशिश खून-खराबे के बाद नाकाम हो गई तो उन्होंने हज़ारों लोगों को गिरफ़्तार करवा लिया. बड़ी तादाद में सिविल सर्वेंट्स बर्खास्त कर दिए गए.
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क्या अर्दोआन की सत्ता जाएगी?
तुर्की की अर्थव्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है. महंगाई 57 फीसदी तक पहुंच गई है. जीवनयापन की लागतें बढ़ती जा रही हैं.
भूकंप के बाद लोगों की आलोचनाओं के बाद सरकार ने लोगों के ट्विटर अकाउंट ब्लॉक करने शुरू कर दिए. लोग ट्विटर अकाउंट का इस्तेमाल भूकंप सर्वाइवर की लोकेशन जानने के लिए कर रहे थे.
लेकिन सरकार ने कहा कि इसका इस्तेमाल दुष्प्रचार करने के लिए किया जा रहा है. पुलिस ने इमरजेंसी रेस्पॉन्स की आलोचना करने वाले एक राजनीति विज्ञानी को हिरासत में ले लिया.
तुर्की में रहने वाले पत्रकार डेनिज़ युसेल ने प्री-ट्रायल हिरासत में एक साल बिताया है. इस वक्त वो जर्मनी में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं. उन्होंने वहां से लिखा कि 1999 के भूकंप के बाद के घटनाक्रमों ने अर्दोआन को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई.
इस बार के भूकंप का भी चुनाव में असर होगा. लेकिन अभी ये साफ नहीं हो पाया है ये कैसे होगा.
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