किसी ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि भोपाल के सबसे बड़े कब्रिस्तान बड़ा बाग में लोगों के मरने के बाद दफनाने के लिए जगह नहीं मिलेगी. ये बात सुनने में भले ही अजीब लग रही हो मगर कब्रिस्तान कमेटी के लोगों का तो यही कहना है. दरअसल, इस कब्रिस्तान में ज्यादातर पक्की कब्र ही बना दी गई हैं. पक्की कब्र यानी की सीमेंट या फर्श से बना दी गई हो. अब लाशों को दफनाना मुश्किल हो गया है. किसी लाश को दफनाने के लिए पक्की कब्र को तोड़कर खोदना पड़ता है. जब इन कब्रों को तोड़ा जाता है तो परिवार जन कब्रिस्तान कमेटी के कर्मचारियों के साथ मारपीट तक करते हैं.
क्या इस्लाम में पक्की कब्र बनाना जायज है?
अब आपके जहन में ये सवाल आ रहा होगा की क्या इस्लाम में पक्की कब्र बनाना जायज है? इसे लेकर मुस्लिम समुदाय के ही वरिष्ठ लोगों का कहना है इस्लाम में कभी भी नहीं कहा गया की पक्की कब्र बनाई जानी चाहिए. बल्कि कच्ची कब्र में ही दफनाने को लेकर कहा गया है. अगर ऐसा रहा तो हमारा इंतकाल होगा तो हमें दफनाने कि भी जगह नहीं बचेगी. सरकार से गुजारिश है कि ऐसा कोई आदेश जारी करें, जिसमें कहा जाए की इन पक्की कब्रों पर मिट्टी डाली जाए. ताकि यहां लाशों को दफनाने के लिए जगह मिल सके.
18 एकड़ में बना है कब्रिस्तान
कब्रिस्तान कमेटी ने बताया की भोपाल का बड़ा बाग कब्रिस्तान कुल 18 एकड़ में बना है. ये भोपाल का सबसे पुराना कब्रिस्तान है. भोपाल के मुस्लिम लोग बड़ी संख्या में शव को दफनाने के लिए इसी कब्रिस्तान में आते हैं. इसलिए यहां पर अब दफनाने की जगह कम पड़ती जा रही है. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रशासन को इस समस्या से अवगत करा दिया है. ताकि समय रहते यहां पर शव के दफनाने का कोई बेहतर इंतजाम किया जा सके.
बता दें कि मुस्लिम धर्म में किसी के निधन के बाद दफनाने की परंपरा है. इसी के चलते मुस्लिम लोग शव को हिंदू धर्म की तरह जलाते नहीं है वह दफनाते हैं. भोपाल के बड़ा कब्रिस्तान में दफनाने के लिए जगह न बचना बाकी कब्रिस्तान के लिए भी चिंता का विषय है.
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