मुंबई की एक अदालत में गैंगरेप का एक फर्जी मामला सामने आया है. इस मामले में लड़की ने अपने पहले प्रेमी और उसके साथियों को गैंगरेप में फंसा कर जेल भिजवा दिया था और नए प्रेमी से शादी रचा ली थी. हालांकि कोर्ट में जब मामला आया तो ना तो लड़की अपने आरोपों का पुख्ता प्रमाण दे पायी और ना ही पुलिस की ओर से ही कुछ ऐसे साक्ष्य पेश किए गए. ऐसे में अदालत ने तीनों आरोपियों को रिहा करने के आदेश दिए हैं.
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने स्वीकार किया कि यह गैंगरेप नहीं, बल्कि लव ट्रायंगल का मामला है. कहा कि पीड़ित लड़की किसी अन्य के साथ भी रिश्ते में थी और उससे शादी करना चाहती थी. लेकिन उसे डर था कि पहला प्रेमी उसकी शादी में बाधा पैदा कर सकता है. इसलिए उसने रास्ते से हटाने के लिए उसके खिलाफ गैंगरेप का केस दर्ज कराते हुए जेल भिजवा दिया.आरोप लगाया कि उसके पहले प्रेमी ने धोखे से उसके साथ संबंध बनाए और इसका वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया. फिर उसके दो साथियों ने कई बार उसके साथ गैंगरेप किया.
अभियोजन पक्ष ने यह दिया तर्क
कोर्ट में लड़की की ओर से अभियोजन पक्ष ने बताया कि पहली बार वारदात के समय पीड़िता की उम्र 17 साल थी. बताया कि आरोपी उसका पूर्व परिचित है और एक नवंबर 2016 को जब वह घर में अकेली थी, आरोपी ने जबरन घर में घुसकर उसके साथ दुष्कर्म किया. इसके बाद आरोपी ने उसे दुष्कर्म का वीडियो बनाने का दावा करते हुए अपने दोस्तों के साथ मिलकर गैंगरेप किया. इसके बाद उसने पुलिस में शिकायत दी. वहीं जब पुलिस ने मेडिकल कराया तो पता चला कि वह एक महीने की गर्भवती है. ऐसे में पुलिस ने पॉक्सो एक्ट की धाराओं में केस दर्ज किया था.
बचाव पक्ष की दलीलों में फंसी लड़की
लड़की और पुलिस की दलीलों पर बचाव पक्ष ने क्रास क्वेश्चन शुरू किए तो अभियोजन पक्ष कोई जवाब नहीं दे पाया. बचाव पक्ष की ओर से पेश वकील प्रकाश सालसिंगीकर और अंजलि पाटिल ने बताया कि पहले आरोपी से लड़की के पहले से संबंध थे. चूंकि लड़की अब अन्य लड़के के संपर्क में आ गई थी और पहले प्रेमी से पीछा छुड़ाना चाहती थी. इसलिए उसने आरोपियों को मुकदमे में फंसा दिया था.
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