राजस्थान में जयपुर के जी क्लब फायरिंग मामले के मामले में तीन दिन पहले बीकानेर पुलिस को इनपुट मिल गए थे. बीकानेर पुलिस ने इस संबंध में जयपुर पुलिस को सूचित भी कर दिया था. बावजूद इसके जयपुर पुलिस इस इनपुट को डिकोड नहीं कर पायी. बल्कि पुलिस यही तलाश करती रह गई कि लॉरेंस विश्नोई क्या खेल करने वाला है. इधर, बीकानेर जेल से छूटे बदमाशों ने जयपुर में आकर वारदात को अंजाम दे डाला. यह खुलासा आगरा से पकड़े गए दोनों बदमाशों से हुई पूछताछ में हुआ है. इसमें पता चला है कि जी क्लब में फायरिंग की वारदात लॉरेंस विश्वोई के एक शूटर ने अंजाम दिया है. यह शूटर 25 जनवरी को ही बीकानेर की जेल से रिहा हुआ है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक जी क्लब फायरिंग का टास्क शूटर को बीकानेर की जेल में रहने के दौरान ही मिल गया था. बीकानेर पुलिस को भी जेल से ही इसका इनपुट मिला था. हालांकि यह इनपुट कोड में था, इसलिए बीकानेर पुलिस ने इसे डिकोड करने के लिए पुलिस मुख्यालय को सूचित कर दिया था. पुलिस अभी इस पहेली को सुलझाने का प्रयास ही कर रही थी कि 28 जनवरी की रात जी क्लब में फायरिंग हो गई. बताया जा रहा है कि इस वारदात को अंजाम देने के लिए बदमाशों ने कुछ नाबालिग बच्चों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया था. यह बच्चे अभी यूनिवर्सिटी या कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हैं. पुलिस की जांच में पता चला है कि लॉरेंस जेल में रहते हुए अपने गुर्गों के जरिए गैंग में छात्रों की भर्ती का अभियान चला रहा है. इसकी बड़ी वजह यह है कि पकड़े जाने पर इन लड़कों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होती, बल्कि इन्हें बाल सुधार गृह भेज दिया जाता है और इन्हें जल्द जमानत भी मिल जाती है.
सिग्नल ऐप पर तय होता था टास्क
लॉरेंस के गुर्गे पूरी तरह से सेफ गेम खेलने का प्रयास कर रहे हैं. अब तक की जांच में पता चला है कि ये बदमाश किसी भी वारदात की रणनीति सिग्नल ऐप पर करते हैं. पुलिस के मुताबिक इस ऐप पर होने वाली बातचीत या मैसेज को ना तो रिकार्ड किया जा सकता है और ना ही इसका स्क्रीन शॉट हो सकता है. जी क्लब फायरिंग के लिए शूटर और छात्रों को इसी ऐप के जरिए टास्क दिया गया था. शूटर को फायरिंग की जिम्मेदारी दी गई थी, वहीं छात्रों को इन शूटर्स को रहने खाने की व्यवस्था करने का टास्क मिला था. इस खुलासे के बाद पुलिस ने कई छात्रों को गिरफ्तार भी किया है.
कई वारदातों में आया सिग्नल ऐप का नाम
जयपुर पुलिस के मुताबिक सिग्नल ऐप का इस्तेमाल किसी वारदात में पहली बार नहीं हुआ है. बल्कि राजू ठेहट मर्डर की प्लानिंग भी इसी ऐप पर हुई थी. जी क्लब मामले की जांच में पता चला है कि लॉरेंस के गुर्गे रोहित गोदारा और रितिक बॉक्सर इसी ऐप के जरिए पूरी गैंग को ऑपरेट कर रहे थे. पुलिस के मुताबिक आगरा से गिरफ्तार गोगी गैंग के भूपेंद्र गुर्जर उर्फ थापा और प्रदीप शुक्ला के मोबाइल में भी सिग्नल ऐप मिला है. इन दोनों बदमाशों ने बताया कि उन्हें यह ऐप रोहित बाक्सर ने डाउनलोड कराया था. इसके बाद इसी ऐप पर इन्हें जयपुर में जी क्लब में फायरिंग का टॉस्क दिया. बता दें कि प्रदीप शुक्ला और भूपेंद्र गोगी गैंग के लिए काम करते हैं. यह गैंग लॉरेंस के गुर्गों को हथियार सप्लाई करती है.
आर्मी से बर्खास्त जवान है शूटर
पुलिस के मुताबिक जी क्लब फायरिंग का शूटर आर्मी से बर्खास्त जवान उम्मेद सिंह है. फौज से निकाले जाने के बाद वह लॉरेंस विश्नोई के गैंग से जुड़ गया था. इसके साथ रविंद्र भी लॉरेंस से जुड़ा था. रविंद्र जिम ट्रेनर है और रोहन का दोस्त है. इन्हीं के जरिए कई छात्रों को भी लॉरेंस गैंग में एंट्री कराई गई है.
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