मध्य प्रदेश में जबलपुर जिले के रहने वाले अंकित सेन ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. अंकित ने दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो पर तिरंगा फहराने का कारनामा किया है. बीते शुक्रवार को जब अंकित जबलपुर लौटे तो उनके स्वागत में शहरवासियों का हुजूम जमा हो गया. तिरंगा झंडा हाथ में लिए युवाओं ने नारेबाजी कर इस उपलब्धि पर खुशी का इजहार किया.
जिले की मझौली तहसील के पड़रिया गांव निवासी 24 वर्षीय अंकित सेन बेहद सामान्य परिवार से हैं. बीकॉम तक की पढ़ाई करने वाले अंकित का सपना पुलिस में डीएसपी बनना है. अंकित के पिता मजदूरी करते हैं. अंकित कहते हैं कि पर्वतारोही बनना कभी भी उनके लिए आसान नहीं था. फिर भी जिस रास्ते पर उन्होंने कदम रखा है, वह उन्हें दूसरों से अलग बनाता है. जबलपुर शहर के माउंटेन मैन अंकित सेन ने 2014 से पर्वतारोही के क्षेत्र में विभिन्न उपलब्धियां प्राप्त की हैं.
23 जनवरी को शुरू की थी चढ़ाई
बेसिक और एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स करके अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहे माउंटेन मैन अंकित सेन ने 2017 में उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय माउंट ‘जोगिन’, जिसकी ऊंचाई 6,116 मीटर, पर देश का तिरंगा झंडा फहराया था. इसके बाद 2022 में हिमाचल प्रदेश के माउंट ‘यूनाम’, जिसकी ऊंचाई 6,111 मीटर पर, देश का तिरंगा फहराया था. 19 से 29 जनवरी माउंट ‘किलिमंजारो’ अफ्रीका में आयोजित माउंटेनियरिंग कैंप में उन्होंने भाग लिया और 23 जनवरी को चलना शुरू किया.
26 जनवरी फतह किया था शिखर
गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को अफ्रीका के सबसे ऊंचे शिखर पर सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर देश का राष्ट्रीय ध्वज फहराया. ऐसा करने वाले अंकित मध्य प्रदेश के पहले पर्वतारोही बने हैं, जिसके बाद अब अंकित का सपना है कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ फतह करना है. अंकित सेन ने बताया कि जब वे चोटी में चलना शुरू किए तो वहां का तापमान माइनस 16 डिग्री था.
बच्चों को दे रहे पर्वतारोही बनाने की ट्रेनिंग
कम ऑक्सीजन की वजह से उनके पैर सुन्न हो गए थे और उनके सिर में भी बहुत दर्द होने लगा था. इसके अलावा वहां कई कठिनाइयां आईं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और तिरंगा फहरा दिया. जबलपुर ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश का नाम रोशन किया है. अंकित का कहना है कि उनकी सफलता में सबका सहयोग और दुआएं शामिल थीं. इसलिए वह संस्कारधानी ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन कर पाए हैं. फिलहाल अंकित संस्कारधानी में करीब 120 से ज्यादा बच्चों को पर्वतारोही बनाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं.
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