टीवी9 भारतवर्ष द्वारा समाज को सावधान करती इस विशेष सीरीज में आज जिक्र करते हैं “मिर्ची बाबा” का. जो काफी समय से जेल की सलाखों में कैद हैं. बात करते हैं मध्य प्रदेश के कुछ स्थानों पर अतीत में कभी “महाराज” “बाबाजी” “नागा बाबा” “महामंडलेश्वर” “स्वामी” के नाम से विख्यात रहे, नाम है राकेश दुबे उर्फ वैराग्यनंद गिरि उर्फ मिर्ची बाबा. जो रातों रात फर्श से अर्श पर पहुंच तो गए. मगर वक्त और उनके ऊपर चढ़ने की गति से कहीं ज्यादा तेजी से आसमान से जमीन पर भी ला पटका. वही मिर्ची बाबा जिनके दरबार में आमजन की बात छोड़िए कभी किसी जमाने में मध्य प्रदेश के एक पूर्व कद्दावर नेता और मुख्यमंत्री भी दंडवत किया करते थे! मध्य प्रदेश सूबे के ग्वालियर रेंज में भिंड जिला पड़ता है. यहीं गोहद राष्ट्रीय राजमार्ग से 5-6 किलोमीटर की दूरी पर (अंदर की ओर) गांव है बिरखड़ी. यह राकेश दुबे उर्फ मिर्ची बाबा का पैतृक गांव है. गांव वालों के मुताबिक जेल में बंद इस विचाराधीन कैदी के चार भाई हैं. सबसे बड़े मुकेश, दूसरे राम निवास, तीसरे नंबर पर यह खुद और सबसे छोटे अनिल. पिता अयोध्या प्रसाद दुबे कभी मालनपुर में स्थित जय मारुति औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एक मंदिर में पुजारी हुआ करते थे.
मजदूर से महिमामंडित “महाराज” तक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सन् 1995 के करीब युवा राकेश दुबे जसवंत सिंह की एक ऑयल फैक्टरी में मेहनत मजदूरी किया करते थे. डेढ़ दो साल बाद ही उसने बदलकर 1997 में सहसराम जादौन ऑयल मिल में नौकरी पकड़ ली. नौकरी में मन नहीं लगा तो 4-5 बीघा अपने हिस्से की जमीन बेचकर ट्रक खरीद लिया. ट्रक के कारोबार में नुकसान होने पर उसे बेचकर मध्य प्रदेश छोड़कर गुजरात चला गया. गुजरात में कुछ वक्त किसी फैक्टरी में नौकरी की. जब वापस गांव लौटे तो राकेश दुबे मिर्ची वाले बाबा बन चुके थे.
मीडिया रिपोर्टस के ही मुताबिक सन् 2000 के करीब लोगों ने जब राकेश दुबे को इंदौर में देखा तब भी वो बाबा बन चुके थे. चूंकि वो अपनी हर पूजा मिर्ची की धूनी से किया करता थे. लिहाजा भक्तों ने उसका नाम ही मिर्ची बाबा रख लिया. सन् 2013-2014 के आसपास मिर्ची बाबा अपने पैतृक गांव के करीब बसे एक दूसरे गांव में भागवत करने पहुंचे? वहीं से उनका धंधा तेजी से चल पड़ा. कहते हैं कि सन् 2018 में जब मिर्ची बाबा के पिता का स्वर्गवास हुआ तो, दौलत से भरपूर बाबा ने हजारों लोगों को पिता की तेरहवीं में भोज कराया. जिसे देखकर आसपास के गाव वालों की आंखें चुंधिया गईं. उस तेरहवीं में तब मध्य प्रदेश के कई मंत्री, संतरी, सफेदपोश भी शिकरत करने पहुंचे थे.
पूर्व CM और बाबा के बंगले की कहानी
कहते है कि पिता की तेरहवीं के भोज में सूबे की आधी से ज्यादा सरकार बाबा के गांव में पहुंचने से सब हैरत में थे. लिहाजा उस दिन बाबा के रसूख का अंदाजा भांप लेने वाले मध्य प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री का दिल बाबा पर आ गया. उन्हें लगने लगा कि हो न हो बाबा का रुतबा सूबे की सरकार में अगर न होता तो भला उनके पिता की तेरहवीं के भोज में सरकार की इतनी भीड़ कैसे और क्यों पहुंचती? बस बाबा का दामन कुछ इस तरह से बढ़ा कि जो बाबा से मिला वो उन्हीं का होकर रह गया. और तो और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बाबा से अनजान, मध्य प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर राष्ट्रीय नेता बाबा पर उस हद तक फिदा हो गये कि, उन्होंने बाबा का डेरा ग्वालियर संभाग से शिफ्ट करवा कर राज्य की राजधानी भोपाल में ही ले जाकर जमवा दिया.
वहां एक लग्जरी बंगला भी मिर्ची बाबा को अड्डा चलाने के लिए मुहैया कराया गया. इस कदर भक्तों की भीड़ का बाबा ने भी जमकर फायदा उठाया. दिन दूनी और रात चौगुनी गति से मिर्ची बाबा अपना रसूख राजनीतिक गलियारों में बढ़ाता चला गया. राजनीति में बाबा सबके थे और किसी के नहीं हुए. अंत में बलात्कार के आरोप में जब बाबा को गिरफ्तार करके जेल में ठूंसे जाने की नौबत आई तो. नेताओं ने भी बाबा के साथ वही किया जो तमाम उम्र वो नेताओं के साथ करते रहे.
बाबा जब बिलख पड़े
कल तक अपने भक्तों के पूजनीय मिर्ची बाबा आज कानून के मुलजिम, जेल के कैदी हैं. कहते तो यह हैं कि अपने भक्तों के लिए सिद्ध इन बाबा को जब मध्य प्रदेश पुलिस ने भोपाल में गिरफ्तार करके जेल में डाला था, तो पहली ही रात में जेल में बाबा की हर कथित बादशाहत जो वे अपने भक्तों के बीच कायम रखते थे, “हवा” हो गई. जेल में पहुंचते ही बाबा का जब दुनिया के सच से सामना हुआ, खबरों में तो यहां तक छपा था कि, बाबा बिलख-बिलख कर रो पड़े थे. यह कहते हुए कि उन्हें “राजनीतिक विद्वेश के चलते बलात्कार के फर्जी आरोप में गिरफ्तार करके जेल की सलाखों के भीतर ले जाकर ठूंस दिया है.”
बाबा का संघर्षपूर्ण अतीत
जेल में यह सब उद्देश्यपूर्ण बातें-नसीहतें बाबा के दिल-ओ-दिमाग पर तेजाब का सा असर कर रही थीं. मुश्किल मगर बाबा के सामने यह थी कि, किसी का जेल में मुंह बंद कर नहीं सकते थे. और खुद उनके द्वारा कही जा रही सच्चाई बाबा को बुरी तरह झुलसा रही थी. जो ना-काबिल-ए-बर्दाश्त थी. बहरहाल जेल में दो चार दिन सच से सामने होने के बाद खुद को नागा बाबा कहने वाले कथित ज्ञानी मिर्ची बाबा खुद ही शांत पड़ गए. क्योंकि वे समझ चुके थे कि नियति के आगे नत-मस्तक होना ही उनके हित में है.
बात अगर मिर्ची बाबा के अतीत की हो तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाबा किसी जमाने में एक फैक्टरी में मजदूरी किया करते थे. धीरे-धीरे बाबा ने बिजनेस में हाथ-पांव बढ़ाए. मगर वो चला नहीं. और बाबा धन्नासेठ बनने से पहले ही कंगाली में डूब गए. उसके बाद बाबा ने अपने दरबार में आम-ओ-खास सबको दण्डवत होने पर मजबूर कर दिया. यह तो कहिए कि बाबा पर वक्त की मार थी. जो एक महिला अपनी पर अड़ गई.
महामंडलेश्वर वाले दावे की सच्चाई
कहा जाता है कि बाबा ने खुद ही खुद को महामंडलेश्वर बना डाला. हालांकि इन खबरों की पुष्टि बाबा ही बेहतर कर सकते हैं. क्योंकि महामंडलेश्वर वे बने हैं. खबरों की मानें तो बाबा जेल में बंद रहने के बाद भी संगी-साथी कैदियों से कथित दावे ठोंक रहे हैं कि, उन्होंने वृंदावन में रहकर कथा बांचना सीखा था. वहीं मंत्र विद्या हासिल की. इसके बाद वो हरिद्वार के एक अखाड़े पहुंचकर वहां से महामंडलेश्वर बन गए. बाबा आज भी जेल में बंद रहने के बावजूद खुद को बेकसूर बेगुनाह ही बताते हैं. सच्चाई क्या है यह कोर्ट तय करेगा.
एक नेताजी को चुनाव जिताने के लिए बाबा ने 5 कुंटल लाल मिर्ची से यज्ञ कराया . पर 2019 का लोकसभा चुनाव वे हार गये. भक्त नेता की हार से मुंह छिपाते फिर रहे इन्हीं नागा बाबा ने भोपाल के कलेक्टर से दुनिया को दिखाने और नेताजी की आंखों में धूल झोंकने के लिए “जल-समाधि” लेने की अनुमति मांगी. बाबा पहले से जानता था कि उसे जिला प्रशासन भला सुसाइड करने की इजाजत लिखित में कतई नहीं देगा. सो भोपाल कलेक्टर ने बाबा को जल समाधि की इजाजत दी नहीं. लिहाजा बड़ी चतुराई से लोकसभा चुनाव हारे हुए अपने अंधभक्त कद्दावर सफेदपोश को बाबा मूर्ख बनाने में कामयाब रहे. और खुद की भी उसकी जान अकाल मौत के मुंह में समाने से बच गई. बाबा जी किस राजनीतिक पार्टी के सपोर्टर-समर्थक रहे हैं? इस सवाल का जवाब आज तक उनके भक्त “नेता” भी तलाश रहे हैं. क्योंकि बाबाजी के अड्डों पर मौजूद तस्वीरों में, वे हर बड़ी पार्टी के नेताओं के साथ खड़े दिखाई देते हैं.
मामला जो बाबा के लिए बवंडर बन गया
बात ज्यादा पुरानी नहीं है. ऐसे नागा बाबा वैराग्यनंद के ऊपर एक महिला ने बलात्कार करने का आरोप जड़ दिया. बाबा को उम्मीद थी कि उनके भक्तों की भीड़ और उनके बयान से बलात्कार पीड़िता की बात दब-कुचल जाएगी. इस बार मगर वैसा नहीं हुआ. महिला का आरोप था कि उसके चार साल से बच्चा पैदा नहीं हो रहा था. दीवार पर मिर्ची बाबा की टंगी देखी फोटो से नंबर लेकर, उसने बाबा से संपर्क साधा और पहुंच गई बाबा की गद्दी पर. महिला के आरोप के मुताबिक, बाबा ने मंत्री, पूजा-पाठ कराने की सलाह दी. जो महिला को बहुत पसंद आई. साथ ही बाबा ने महिला को भभूत और साबूदाने की गोलियां देकर अपने अड्डे से रवाना कर दिया.
महिला के ही आरोप के मुताबिक बाबा ने जब उसे दुबारा मीटिंग के लिए बुलाया तो कहानी पलट गई. कोर्ट कचहरी, थाने चौकी में मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक बाबा ने उस दूसरी मुलाकात में अपना असली चेहरा महिला को दिखा दिया. वो चेहरा जिसे देखकर महिला की घिग्घी बंध गई. पुलिस को दिए बयान में महिला ने बाबा के ऊपर बलात्कार का आरोप लगा दिया. मय सबूत और गवाहों के. लिहाजा नतीजा यह रहा है कि एक बार गिरफ्तार करके जेल में भेजे गए बाबा, फिर वहीं के होकर रह गए.
बाबाजी का यह भी एक रूप
कहते हैं कि अगर बाबा को कहीं किसी कोने में अपना स्वार्थ सधता दिखाई देता, तो फिर वो बाकी दुनिया को भूल जाते. इसका सबसे बड़ा नमूना तब देखने को मिला जब, गिरफ्तारी से कुछ वक्त पहले मिर्ची बाबा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आवास के बाहर धरना देने के लिए रवाना हो गए. यह अलग बात है कि नंग-धड़ंग बाबाजी को हाथ में फर्सा लिए हुए होने के चलते पुलिस ने बीच में ही रोक लिया. लिहाजा बाबा ने भोपाल स्थित अपने घर पर ही धरनेबाजी शुरू कर दी.
कुछ दिन बाद मध्य प्रदेश के ही एक कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबा जी के अड्डे पर, उनका अनशन तुड़वाने खुद ही पहुंच गए. यह वही पूर्व मुख्यमंत्री थे निकाय चुनाव के दौरान ग्वालियर में जिनका चुनाव प्रचार करने मिर्ची बाबा गए थे. वहां जब मंच पर बाबा को कुर्सी नसीब नहीं हुई तो बाबा बिदक गए. और बौखलाए बाबा जी कुर्सी के बजाए जमीन पर ही पसर गए. बाद में उस दिन बाबा को मनाकर मंच पर सजाने को ले जाने वाले नेता, बाबा को बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार करके जेल भेजे जाते ही बाबा के पास से गायब हो गए.
बाबा के विवादित बोल
टीवी9 भारतवर्ष के पाठकों को ध्यान होगा कि कुछ समय पहले देश में डॉक्यूमेंट्री फिल्म काली को लेकर बवाल मचा था. उस फिल्म के विवादित पोस्टर को लेकर खूब हो-हल्ला रहा. फिल्म के डायरेक्टर लीना मनिकमेकलाई पर नेताओं के साथ-साथ संत भी हमलावर हो उठे. इस विवादित पोस्टर पर बे-वजह के विवाद में खुद को नागा बाबा कहने वाले यही बाबा वैराग्यनंद गिरी उर्फ मिर्ची महाराज भी कूद पड़े थे. वे बोले थे कि “मैं आज भारतवर्ष में एक घोषणा करता हूं कि ऐसी पिक्चर बनाने वालों का दिन-दोपहर कोई, अगर सिर काटकर लाता है तो 20 लाख रुपए मैं अपने आश्रम की ओर से दूंगा. क्योंकि ऐसे राक्षस बिना सिर काटे मानेंगे नहीं.” और तो और बेकाबू हुए बाबा ने यहां तक कह डाला था कि, विवादित फिल्म पोस्टर वाले का सिर काटकर जो लाएगा उसे अपने आश्रम की पूरी संपदा दे दूंगा.
जेल जाने से कुछ महीने पहले धमकी
मिर्ची बाबा उर्फ स्वामी वैराग्यानंद गिरी को बीते साल एक धमकी भरी फोन कॉल भी आई थी. रात के वक्त की गई उस फोन कॉल के जरिए बाबा को गोली मारने की धमकी दी गई थी. सवाल यह है कि भला एक साधू संत नागा बाबा का इस तरह की धमिकयों से क्या वास्ता? साधु तो साधु है. उसका समाज में भला कौन और क्यों कोई दुश्मन हो सकता है? चूंकि बाबा “बाबा” न होकर बाकी सब कुछ थे. लिहाजा ऐसे में अगर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी. तो फिर उस पर हैरत कैसी? उस मामले में तब मिर्ची बाबा ने बाकायदा पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया था. इस घटना से करीब एक डेढ़ महीने पहले ही मिर्ची बाबा उर्फ राकेश दुबे के ऊपर तीन लोग जानलेवा हमला भी कर चुके थे. बाबा को गोली मारने की धमकी देने वालों ने तो यहां तक कह डाला था कि तुम ग्वालियर का इलाका छोड़ दो. पिछली बार तो किस्मत से जिंदा बच गए थे, इस बार तुम्हें हम जिंदा नहीं छोड़ेंगे. तुमको गोली मारकर ठंडा करके ही दम देंगे. बम रखवाकर उड़ा देंगे. तुझे पुलिस सिक्योरिटी गार्ड देने वाले एसपी को भी हम नहीं छोड़ेंगे. उस घटना का मुकदमा ग्वालियर के गोला का मंदिर थाने में दर्ज किया गया था.
टीवी9 भारतवर्ष ने दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड डीसीपी और दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ क्रिमिनल लॉयर एल.एन. राव से बात की. बकौल एल एन राव, “इन बाबाओं का इस गोरखधंधे में इतनी जिम्मेदारी नहीं है. जितने जिम्मेदार इस सब के लिए खुद जन-मानस है. इस तरह के वाहियाती लोगों को जब बिना देख परखे पहचाने बाबा, मठाधीश, स्वामी संत आंख मूंदकर बनाया जाएगा. तो जो असल ज्ञानी महात्मा, संत हैं वे अपने आप ही कहीं दबते जाते हैं. इन बाबाओं को काबू करना बड़ी बात नहीं है. बड़ी बात है कि जनमानस समझे कि. हर किसी को बाबा महाराज मठाधीश मत बना डालो. वरना यही हश्र होता है जो मिर्ची बाबा का हुआ है.” एक सवाल के जवाब में दिल्ली हाईकोर्ट के इन वरिष्ठ वकील ने कहा,
“कोई महिला किसी साधु संत को यूं ही हवा में जेल में डलवाने की कुव्वत नहीं रखती है. इज्जत हर स्त्री पुरुष को अच्छी लगती है. जब कुछ गड़बड़ भूमिका में बाबा रहा होगा, तभी स्त्री उस स्तर पर उतरने को मजबूर रही होगी कि, उसे खुले में आकर थाने चौकी कोर्ट कचहरी जाना पड़ा. अब बाबा को साबित करना है कोर्ट में कि वे बेगुनाह हैं. महिला को जो जिम्मेदारी एक सतर्क और सावधान स्त्री होने के नाते निभानी थी. वो उसने बाबा की करतूतों का भांडाफोड़ करके कर ही डाला है. हां, यह है कि बाबा पर जब तक आरोप तय नहीं हो जाते हैं उन्हें बलात्कारी नहीं कह सकते. बाबा को मुजरिम करार देने या उन्हें निर्दोष साबित करने की जिम्मेदारी अब अदालत की है.”
अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए हमारा एप्प डाउनलोड करें |
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Source link