आपने नेटफ्लिक्स पर 2020 में आई एक वेब सीरीज जामताड़ा जरूर देखी होगी. अगर आप क्राइम इंवेस्टिगेशन में रुचि रखते हैं तो आपको ये सीरीज काफी पसंद भी आई होगी. इसमें दिखाया गया है कि हमारे देश में कैसे 5वीं, 8वीं फेल युवा लोगों को फोन पर बेवकूफ बनाकर बड़ी ठगी को अंजाम देते हैं. ये सिर्फ एक फोन कॉल से सेकंडों में ही सामने वाले का बैंक अकाउंट खाली कर डालते हैं. झारखंड का जामताड़ा दरअसल ऐसे गुटों का सबसे बड़ा गढ़ है जहां से ये पूरे देशभर में ऐसी वारदातों को अंजाम देते हैं.

अगर आप अपने आस-पास नजर दौड़ाएंगे तो आपको ऐसे कई मामले मिल जाएंगे, जिनके साथ इस तरह की धोखाधड़ी हुई होगी और कुछ मामले तो आपको लगभग एक जैसे मिलेंगे. नोएडा में रहने वाले अनूप कुमार के साथ भी कुछ दिन पहले ऐसी घटना घटी, जब दोपहर को उन्हें एक फोन आया. सामने वाली लड़की ने खुद को बैंक कर्मचारी बताया, उनके बैंक अकाउंट का KYC न होने का हवाला देते हुए, उनके डेबिट कार्ड की तमाम जानकारी हासिल कर ली. फिर जैसे ही फोन कटा उनके अकाउंट में पड़े 17,000 रुपए निकल गए. जिसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी अपने बैंक को दी और अकाउंट को बंद करवाया.

ऐसा ही एक मामला शामली के नितिन वर्मा के साथ हुआ जब उनके छोटे भाई ने किसी कंटेट को देखने के लिए ऑनलाइन गूगल क्रोम से एक वेबसाइट का लिंक डाउनलो़ड किया. उस साइट ने कंटेट को देखने के लिए एक निश्चित रकम के भुगतान के लिए उनसे उनके डेबिट कार्ड की डिटेल मांगी. जैसे ही साइट पर उन्होंने डेबिट कार्ड की डिटेल डाली तो उनके अकाउंट से 10,000, 18,000 और 3,000 रुपए की तीन रकम निकल गईं. हालांकि ये दोनों ही मामले एक-दूसरे से अलग हैं लेकिन मकसद और तरीका एक ही है, वो है ठगी.

ऑनलाइन ठगी का शिकार कैसे होते हैं लोग

एक बैंक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि ऐसी ठगी के ज्यादातर मामले 90 प्रतिशत ग्राहक की गलती की वजह से होते हैं. जिसमें ग्राहक किसी लालचवश, डर के मारे या अनजाने में अपने बैंक से जुड़ी सभी जानकारी इस तरह के लोगों को दे देता है. लेकिन 10 प्रतिशत मामले बैंक की लापरवाही के कारण भी होते हैं जिसका फायदा ये लोग उठाते हैं. इसमें एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार करना शामिल है, लेकिन इस तरह की ठगी ज्यादातर यूपीआई के द्वारा की जाती है. ऐसे मामलों में इजाफा देखते हुए बैंक अब थोड़ा सतर्क हो गए हैं और अगर कोई नया अकाउंट खुलता है और उसमें कुछ ज्यादा पैसों की ट्रांजेक्शन देखी जा रही है तो बैंक उस अकाउंट पर पूरी नजर रखते हैं और थर्ड पार्टी के द्वारा उस व्यक्ति का प्रोफाइल जानने की कोशिश करते हैं ताकि उसके अकाउंट में हो रहे ट्रांजेक्शन का पता लगाया जा सके. अगर बैंक को किसी भी नए अकाउंट पर किसी तरह की शंका होती है तो वो तुरंत इसकी जानकारी साइबर क्राइम यूनिट को देते हैं. ग्राहक की शिकायत पर भी कई बार दूसरे अकाउंट में गए पैसे को फ्रीज़ कर दिया जाता है, जिससे कई बार कई ग्राहकों का पैसा सुरक्षित हो जाता है.

जब पांच हज़ार पुलिसकर्मियों ने की बड़ी कार्रवाई

बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में साइबर फ्रॉड कहां से हो रहे हैं. इसके पीछ कौन है? विशेषज्ञ मानते हैं कि समय के साथ साइबर फ्रॉड की बाढ़ आने के पीछे उत्तर भारत के कई शहरों से अपराधियों का एक्टिव होना रहा है. अब झारखंड का जामताड़ा ही ऐसे अपराधों का गढ़ नहीं रह गया है. अब इसके तार उत्तर भारत के कई राज्यों में भी फैलते जा रहे हैं. पिछले साल अप्रैल 2023 में हरियाणा के नूंह में इस तरह के बड़े रैकेट का खुलासा हुआ, 5,000 पुलिसकर्मियों ने 102 टीमें बनाकर 300 जगह छापेमारी की. इसमें नूंह के 14 गांवों में तलाशियां ली गईं और 125 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से 66 लोग आरोपी पाए गए. इस गिरफ्तारी के बाद ऐसे-ऐसे खुलासे हुए जिससे पुलिस वालों के भी होश उड़ गए. इन लोगों ने 28 हजार लोगों से 100 करोड़ रुपये की ठगी की थी, जिसके लिए उन्होंने कई बैंकों में 339 फर्जी बैंक खाते खुलवाए थे. इन साइबर ठगों की उम्र 18 से 35 साल के बीच थी और ये 3 से 4 लोगों के ग्रुप में काम करते थे. देशभर में इनके 250 से ज्यादा लोग काम करते हैं, जिनमें राजस्थान के 20, उत्तर प्रदेश के 19 और हरियाणा के 211 लोग शामिल हैं.

इन राज्यों में फैला नेटवर्क

साइबर क्राइम पर ‘साइबर एनकाउंटर्स’ नाम से किताब लिखने वाले उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार बताते हैं कि झारखंड के जामताड़ा के अलावा अब ऐसे ठगों का नेटवर्क हरियाणा के नूंह, राजस्थान के अलवर और भरतपुर, उत्तर प्रदेश के मुथरा, कोसी और उत्तराखंड में देहरादून और महाराष्ट्र में फैल रहा है. वहीं दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो अब इस तरह के साइबर क्राइम अच्छी प्लानिंग के साथ किए जा रहे हैं, जिनमें पढ़े-लिखे और इंग्लिश बोलने वाले लड़के-लड़कियां भी शामिल हैं. इस तरह के पढ़े-लिखे गिरोह फरीदाबाद, गुरुग्राम और दिल्ली में कॉल-सेंटर चला रहे हैं. जिनमें 1 लाख रुपये में उन्हें साइबर क्राइम कोर्स करवाया जाता है जिसके बाद वो ठगी करके लाखों रुपये कमाते हैं.

गृह मंत्रालय की तरफ से जारी 2023 के आंकड़ों पर नजर डालें तो टॉप-20 साइबर क्राइम के मामलों की लिस्ट में उत्तर प्रदेश का नाम सबसे ऊपर है, इसके बाद महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, कर्नाटक आदि का नंबर आता है.

साल 2023 में राज्यवार साइबर क्राइम मामले

सफेदपोश काला धंधा…खतरा कम, ठगी की रकम ज़्यादा

लोगों को चपत लगाने के लिए ये हाईटेक ऑनलाइन ठग कई तरीके से काम करते हैं जिसमें सबसे आम तरीका है फोन कॉल करके सामने वाले को अपने पूरे कान्फिडेंस में लेकर उसके बैंक अकाउंट से जुड़ी हर जानकारी ले लेना. इसके अलावा वो लोगों को एक ऐसा लिंक भेजते हैं जिससे उनका फोन हैक हो जाता है और कंप्यूटर की स्क्रीन की तरह वो एनीडेस्क के जरिए उसका फोन ऑपरेट कर सकते हैं. फोन में पहले से मौजूद लॉगिन-पासवर्ड और बाकि जानकारी के सहारे वो ठगी को अंजाम देते हैं. एटीएम कार्ड और क्रेडिट कार्ड का क्लोन तैयार करना अब हालांकि पूराने तरीके हो गए हैं. लेकिन लोग इससे भी काफी ज्यादा ठगी का शिकार हुए हैं. लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय की तरफ से पेश किये गए आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 में देशभर में साइबर फ्रॉड के 11,28,265 मामले रिपोर्ट किये गए, जिनमें लोगों को 7488.63 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करके चूना लगाया गया.

इसके अलावा आजकल ये शातिर अपराधी एक नए तरीके से ठगी कर रहे हैं, जिसमें ये किसी को भी डिजिटल अरेस्ट करवा देते हैं और इतना डरा देते हैं कि उसे इन ठगों को पैसे ट्रांसफर करने ही पड़ते हैं. हाल ही में ऐसा मामला फरीदाबाद में रिपोर्ट किया गया, जहां पीड़िता को पोस्ट ग्रेएजुशन की पढ़ाई के लिए विदेश जाना था, जिसके लिए वो अपने सारे डॉक्यूमेंट्स जमा करवा चुकी थी. लेकिन 12 अक्टूबर को उसके पास एक फोन आया और फोन करने वाले व्यक्ति ने खुद को यूपी के लखनऊ का कस्टम अधिकारी बताया. पीड़िता पर मानव तस्करी का आरोप लगाते हुए उसे वीडियो कॉल के जरिए सीबीआई अधिकारी से बात कराई गई. उस लड़की को बुरी तरह से डरा दिया गया और घर वालों को बताने से रोका गया, वीडियो कॉल के जरिए उसे 18 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया. जिसके बाद जमानत की एक मुश्त रकम देने का हवाला देते हुए 30 अक्टूबर को उसे छोड़ा गया.

साइबर क्राइम लिस्ट में भारत का 10वां नंबर

ऐसा नहीं है कि धोखाधड़ी के ऐसे मामले सिर्फ भारत में ही होते हैं, बल्कि ऐसे मामलों की फेहरिस्त विदेशों में हिंदुस्तान से कहीं ज्यादा लंबी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक एक इंटरनेशनल टीम वर्ल्ड साइबर क्राइम इंडेक्स लेकर आई है, जिसमें लगभग 100 देशों की रैकिंग शामिल की गई है. रैंसमवेयर, क्रेडिट कार्ड चोरी और धोखाधड़ी समेत साइबर क्राइम की अलग-अलग कैटेगरी को इसमें शामिल किया गया है. इस लिस्ट में रूस नंबर-1 पर है, वहीं भारत 10वें स्थान पर है. इसमें एडवांस फीस पेमेंट करने के लिए लोगों के साथ की गई धोखाधड़ी सबसे आम हैं.

साइबर क्राइम में टॉप 10 देश

1. रूस

2. यूक्रेन

3. चीन

4. अमेरिका

5. नाइजीरिया

6. रोमानिया

7. नॉर्थ कोरिया

8. ब्रिटेन

9. ब्राजील

10. भारत

ठगी के लिए डाटा कहां से आता है?

इस सवाल का जवाब देते हुए उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार बताते हैं कि लोगों को ठगने के लिए ये डाटा का जुगाड़ डार्क वेब से करते हैं. डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वो काला हिस्सा है जहां आपराधिक गतिविधियां सम्मिलित होती हैं और ये गैरकानूनी है. इसके अलावा ये टेलीकॉम कंपनियों से भी लोगों के मोबाइल नंबर का डाटा लेते हैं जो कि गैरकानूनी है. लेकिन कुछ गलत अधिकारियों की मिलीभगत से इनके पास ये डाटा आ जाता है. इसके अलावा ये विभिन्न जॉब पोर्टल पर सर्च कर रहे लोगों का एक डाटा तैयार करते हैं, और उनको जॉब का झांसा देने के चक्कर में मोटी रकम ऐंठते हैं. जैसे कि अगर आपने अपना रिज्यूम नौकरी डॉट कॉम पर अपलोड करके विशेष जॉब के लिए अप्लाई किया है तो ये वहां से आपका नंबर लेकर आपको उसी तरह की नौकरी के लिए फोन करते हैं, फिर आपको इंटरव्यू या टेस्ट के लिए एक मुश्त रकम जमा कराने को कहते हैं. इस तरह से ये स्टूडेंट्स और नौकरी की चाह रखने वालों को अपना शिकार बनाते हैं.

क्यों बढ़ रहे हैं साइबर आपराध के मामले?

इसके जवाब में पूर्व डीजीपी अशोक कुमार बताते हैं कि इस तरह के अपराध में कम पढ़े लिखे लोगों से लेकर फर्राटेदार इंग्लिश बोलने वाले दोनों तरह के लोग शामिल हैं. पढ़ लिख कर नौकरी न मिल पाना इस अपराध में आने की एक बड़ी वजह है. वहीं, कम समय में मालामाल होने की चाहत इसकी दूसरी बड़ी वजह है. जब लोग देखते हैं कि कोई इंसान कम समय में बेहद अमीर बन गया है तो अक्सर जल्दी से अमीर बनने की चाहत भी उन्हें इस अपराध की तरफ ले आती है. इसलिए इस धंधे में 17 साल से लेकर 35 साल तक के युवाओं की भरमार है.

धोखधड़ी होने पर क्या करें –

– अगर आपके साथ ऑनलाइन ठगी हो जाती है तो सबसे पहले आपको तुरंत इसकी शिकायत करनी चाहिए
– आपको अपने बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी को सूचित करके तुरंत इस फ्रॉड की सूचना देनी चाहिए और अपने कार्ड या अकाउंट को ब्लॉक करवाना चाहिए ताकि आपके खाते से और रकम चोरी न हो सके.
– इसके बाद आपको तुरंत इसकी ऑनलाइन शिकायत करनी चाहिए जो आप National Cyber Crime Reporting Portal ( पर जाकर कर सकते हैं.
– इसके अलावा आपको इसकी तीसरी कंप्लेंट पुलिस थाने जाकर साइबर क्राइम सेल में करनी चाहिए.

ऑनलाइन फ्रॉड पर सजा का प्रावधान

ऑनलाइन फ्रॉड से जुड़े कई कानून हैं और सजा के प्रावधान भी हैं. ऐसे किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद जुर्म साबित हो जाने पर उसको निम्नलिखित धाराओं के अंतर्गत सजा मिल सकती है.
सेक्शन-65 – अगर कोई किसी कंप्यूटर सोर्स डॉक्टूमेंट्स के साथ छेड़छाड़ करते हुए पकड़ा जाता है तो दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की सजा और/या 2 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
सेक्शन-66 किसी दूसरे के कंप्यूटर सिस्टम के साथ हैकिंग या कंप्यूटर सिस्टम और नेटवर्क का अनऑथराइज्ड इस्तेमाल करने पर दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की कैद और/या 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.
सेक्शन-66C – फ्रॉड के लिए पासवर्ड, डिजिटल हस्ताक्षर, बायोमेट्रिक अंगूठे के निशान या किसी अन्य व्यक्ति की पहचान की अन्य चीजों का उपयोग करके पहचान की चोरी करने पर धारा-66C के तहत मामला दर्ज किया जाता है.
सेक्शन-66D – कंप्यूटर रिसोर्स का इस्तेमाल करके लोगों के साथ फ्रॉड करने और दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की कैद और/या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
सेक्शन-66F – ये धारा साइबर टेरर एक्ट पर लगाई जाती है, इसके तहत दोषी को आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है.
सेक्शन-67 – इलेक्ट्रॉनिक तरीका अपनाकर अश्लील मैसेज पब्लिश करना. इस मामले में आरोपित को 5 साल तक की कैद हो सकती है और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लग सकता है.
सेक्शन-379 – कई साइबर क्राइम चोरी के मोबाइल, कंप्यूटर या चोरी के डाटा का इस्तेमाल करके किए जाते हैं. इसके तहत चोरी के लिए 3 साल तक की सजा और/या जुर्माना भी लगाया जाता है.
सेक्शन-420 – IPC का यह सेक्शन फ्रॉड करने या फ्रॉड वेबसाइट बनाने के लिए पासवर्ड चोरी से संबंधित अपराधों से जुड़ा है. धोखा देना और बेईमानी से संपत्ति की सुपुर्दगी के लिए प्रेरित करना. फेक वेबसाइट बनाने, साइबर फ्रॉड जैसे साइबर क्राइम आईपीसी के इस सेक्शन के तहत 7 साल की जेल और/या जुर्माना लग सकता है.
सेक्शन-463 – झूठे दस्तावेज या झूठे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाना और ईमेल स्पूफिंग भी अपराध है, जिसके लिए इस सेक्शन के तहत 7 साल तक की कैद और/या जुर्माने का प्रावधान है.
सेक्शन-468 – ऑनलाइन फ्रॉड या जालसाजी करना दंडनीय अपराध है, इस सेक्शन के तहत 7 साल तक की कैद और/या जुर्माना हो सकता है.

(साथ में फरीद अली)

– India Samachar

.

.

Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here