ईरान के मुस्लिम भी उमराह (हज यात्रा जैसी धार्मिक यात्रा) करने के लिए अब सऊदी अरब जा पाएंगे. करीब एक दशक तक चले लंबे प्रतिबंध के बाद के तेहरान और रियाद के बीच इस बैन को हटा लिया गया है. ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी IRNA के मुताबिक , “उमराह तीर्थयात्रियों का पहला दस्ता तेहरान में इमाम खुमैनी हवाई अड्डे से सऊदी अरब के लिए ईरान से रवाना हुआ है.”
पिछले साल दोनों देशों ने 2016 से खत्म रिश्तों को चीनी मध्यस्ता से दोबारा बहाल किया था. समझौते पर सहमति बनने के बाद उमराह पर जाने वाले ये पहला ईरानी समूह है. ईरान के लोगों को पिछले साल हज यात्रा पर जाने की इजाजत दी जा चुकी है, लेकिन उमराह अब तक उनके लिए बैन था.
क्यों बिगड़े थे रिश्ते?
शिया मुस्लिम देश ईरान और सुन्नी देश सऊदी अरब के रिश्तों में 2016 में दरारें आ गई थीं. रियाद में शिया धर्म गुरू निम्र अल-निम्र को फांसी दिए जाने के बाद ईरान में सऊदी के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन हुए थे. विरोध प्रदर्शन के दौरान ईरान में सऊदी राजनयिक मिशनों पर हमला किया गया था. जिसके बाद सुन्नी-बहुल सऊदी अरब और शिया बहुल ईरान से 2016 में संबंध तोड़ दिए थे.
कितने लोग जाएंगे इस साल सऊदी?
ईरानी स्टेट मीडिया ने हाल के महीनों में जानकारी दी थी कि ईरानी तीर्थयात्री उमराह के लिए सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का जा सकेंगे, लेकिन बार-बार होने वाली देरी के लिए तकनीकी कठिनाइयों को जिम्मेदार ठहराया था. अब IRNA ने कहा कि इस साल कुल 5,720 ईरानी उमराह तीर्थयात्रियों को सऊदी अरब जाने की योजना बनाई गई है. जब उमराह के लिए पहले बैच रवाना हुआ तो इस मौके पर ईरान के तेहरान में सऊदी राजदूत अब्दुल्ला बिन सऊद अल-अनाजी भी ईरानी अधिकारियों के साथ एयरपोर्ट पर मौजूद रहे.
इराक क्यों जाते हैं शिया मुसलमान?
भारत और कई दूसरे देशों से हज पर जाने वाले शिया मुसलमान अक्सर हज करने के बाद इराक के कर्बला जाते हैं. नजफ और कर्बला शिया मुसलमानों के लिए पवित्र शहर हैं. जामिया मिल्लिया इस्लामिया की शिया स्कॉलर कनीज फातिमा बताती हैं कि ऐसी कोई मान्यता नहीं है कि शिया मुस्लिम का हज इराक जाकर ही पूरा होता है. कम खर्च और एक वक्त में दोनों पवित्र जगह घूमने की वजह से अक्सर शिया मुस्लिम हज के बाद इराक जाकर कर्बला और नजफ की भी जियारत कर आते हैं. लेकिन हज पूरा करने के लिए इराक जाना जरूरी नहीं है.
उमराह और हज में फर्क
हज के इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, हज जहां साल में एक बार दुल-हिज्जा (इस्लामी कलैंडर का आखरी महीना) के महीने में किया जाता है. वहीं मुसलमान साल के किसी भी समय मक्का के लिए उमराह तीर्थयात्रा कर सकते हैं.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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