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अमेरिका और ईरान की दुश्मनी जगजाहिर है। लेकिन इन दिनों में अमेरिका में रह रहे लोग ईरान के समर्थन में उसी का झंडा जला रहे हैं। अमेरिका के कई राज्यों में ईरान समर्थकों का विरोध प्रदर्शन देखा गया है। इतना ही नहीं, इन प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका का झंडा भी जलाया है। दरअसल ईरान द्वारा इजरायल पर ड्रोन और मिसाइलों की बौछार करने के बाद, इलिनोइस, कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क और पैसिफिक नॉर्थवेस्ट सहित अमेरिका के कई हिस्सों में फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शन देखे गए हैं।

विरोध प्रदर्शनों के चलते अमेरिका की कई सड़कें जाम हो गईं और कुछ हवाई अड्डों और नेशनल हाइवे पर लोगों को आवाजाही में खूब दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अमेरिकी शहर मैनहट्टन में प्रदर्शनकारियों ने हिजबुल्लाह का बैनर लहराया और “अमेरिका मुर्दाबाद” के नारे लगाए। ‘न्यूयॉर्क पोस्ट’ की रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम एक नकाबपोश कार्यकर्ता को हिजबुल्लाह का झंडा पकड़े हुए देखा गया था। झंडे पर असॉल्ट राइफल की तस्वीर बनी हुई थी और उस पर ‘द इस्लामिक रेजिस्टेंट इन लेबनान’ लिखा हुआ था। एक अन्य प्रदर्शनकारी को न्यूयॉर्क शहर में अमेरिकी झंडा जलाते देखा गया। हिजबुल्लाह समर्थक प्रदर्शनों के दौरान बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर एकत्र हुए।

शिकागो में, प्रदर्शनकारियों ने एक दूसरे का हाथ पकड़कर रोड जाम कर दिया और ओ’हारे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की ओर जाने वाली अंतरराज्यीय 190 की लेन को ब्लॉक कर दिया। न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जब पुलिस (NYPD) अधिकारी ने फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच कुछ दूरी बनाने की कोशिश की तो उन्होंने इजरायल के खिलाफ बेहूदे नारे लगाए। अमेरिकी विश्वविद्यालय के एक सहायक प्रोफेसर द्वारा ट्वीट किए गए वीडियो के अनुसार, प्रदर्शनकारियों को इजरायल का समर्थन करने के लिए अमेरिका की आलोचना करते देखा गया। प्रोफेसर ने यह भी आग्रह किया कि इसकी “न्यूयॉर्क राज्य के अटॉर्नी जनरल द्वारा जांच की जानी चाहिए”।

इजरायल ने दो सप्ताह पहले सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरान के वाणिज्य दूतावास की इमारत पर कथित तौर पर हमला किया था, जिसके जवाब में ईरान ने शनिवार को इजरायल पर हमला किया। दोनों देशों के बीच दशकों से जारी दुश्मनी के बीच ईरान ने पहली बार इजरायल पर सीधे तौर पर सैन्य हमला किया। ईरान ने इजरायल पर हमले के दौरान सैंकड़ों ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइल दागीं। इजराइली सेना ने कहा कि उसने अपनी वायु रक्षा प्रणाली व लड़ाकू विमानों और अमेरिका नीत गठबंधन सहयोगियों की मदद से 99 प्रतिशत ड्रोन और मिसाइलों को नाकाम कर दिया।

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव

अमेरिका और ईरान के बीच संबंध दशकों से तनावपूर्ण और जटिल रहे हैं। 1979 में हुई ईरानी क्रांति के बाद से दोनों देशों के बीच मतभेद बढ़ गए, जिसके परिणामस्वरूप राजनयिक संबंधों में टूट-फूट, आर्थिक प्रतिबंध और यहां तक कि सैन्य टकराव भी हुआ है। ईरान का परमाणु कार्यक्रम अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए चिंता का विषय रहा है, जिन्हें डर है कि इसका इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जा सकता है। ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। 

अमेरिका ईरान पर आरोप लगाता है कि वह हिजबुल्लाह और हमास जैसे आतंकवादी समूहों का समर्थन करता है। ईरान इन आरोपों से इनकार करता है और खुद को अमेरिका द्वारा समर्थित आतंकवादी समूहों का शिकार बताता है। 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान परमाणु समझौते से हट गए और ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। 2020 में अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या कर दी गई, जिसके जवाब में ईरान ने इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए।

– India Samachar



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