एक्टर सोनू सूद ने नए साल पर फैंस को नया तोहफा दिया है. उनकी फिल्म फतेह रिलीज हुई है. इस फिल्म में वे सिर्फ एक्टर ही नहीं हैं बल्कि एक डायरेक्टर भी हैं. ये उनका डायरेक्शनल डेब्यू है और इसके लिए उन्होंने एक साइबर क्राइम आधारित कंटेंट को चुना. आज डिजिटल का दौर है जो आम जन को बहुत सारे फायदे पहुंचा रहा है. लेकिन जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी तरह साइबर की दुनिया की बुराइयां भी हैं. इसपर पहले से काम हो रहा है. असुर, जामतारा, हैक्ड और मिकी वायरस समेत और भी ऐसे कंटेंट हैं जो साइबर क्राइम पर बेस्ड हैं. अभी बात करते हैं फतेह की.
फिल्म की कहानी
फतेह फिल्म की बात करें तो फिल्म की कहानी एक ऐसी ऑनलाइन ऐप पर बनी है जिसमें आम लोगों के साथ साइबर अपराध होते दिखाया गया है. सोनू सूद के किरदार का नाम फतेह सिंह है. फतेह का किरदार फिल्म में काफी समय तक रहस्य की तरह रहता है. लेकिन बस तब तक जब तक कि जिस गांव में रहता है वहां के लोग साइबर क्राइम का शिकार हो चुके होते हैं. निम्रित नाम की लड़की उन्हें लोन दिलाती है. लेकिन बाद में पता चलता है कि लोन के नाम पर ये फ्रॉड था. गांव वालों की सभी पर्सनल डिटेल्स साइबर माफियाओं के हाथ लग चुकी होती हैं.
अब इस फिल्म में फतेह को गांव के लोगों को बचाना है साथ ही साइबर माफिया ने उसी के घर में रहने वाली निम्रित को भी बंधक बना लिया है जिसने गांव वालों को ये लोन बांटे थे. ऐसे में फतेह को अपने असली रूप में आना होता है और तब धीरे-धीरे पता चलता है कि फतेह दरअसल एक अंडरकवर एजेंट रह चुका है और कई सक्सेसफुल मिशन को अंजाम तक पहुंचा चुका है. अब कहानी में ये आगे पता चलेगा कि फतेह गांव वालों को साइबर क्राइम के इस अपराध से कैसे बचाता है.
कैसा है निर्देशन?
ये एक निर्देशक के तौर पर सोनू सूद की पहली फिल्म थी. उन्होंने फिल्म से खुद को एक निर्देशक के तौर पर स्थापित करने की सार्थक कोशिश की है. हालांकि इसमें वे पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए हैं. फिल्म में कुछ ज्यादा ही एक्शन भर दिया गया है. इतने की जरूरत नहीं थी. ऐसे में इस फिल्म पर किल और हाल ही में आई ऐसी ही एक्शन फिल्मों का इन्फ्ल्यूएंस नजर आता है. फिल्म साइबर क्राइम पर है. ये पूरी तरह से एक सेंस्टिव मैटर है. डिजिटल एरेस्ट, हैकिंग, फिशिंग, साइबर स्टॉकिंग समेत कई सारे ऐसी टर्मिनोलॉजी हैं जिन्हें साइबर क्राइम को आने वाले समय के सबसे बड़े अपराध के तौर पर देखा जा रहा है. इस फिल्म में इस मामले की जटलताओं को समझने के इतर पूरी तरह से मनोरंजन के लिहाज से बना दिया गया है.
टेक्निकेलिटी की बात करें तो सोनू सूद ने एक्शन सीन्स में कुछ क्रिएटिविटी लाने की कोशिश की है. एडवांस इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल फिल्म में देखा जा सकता है जो इसे रिलेटेबल बनाता है. लेकिन इसके बाद फिल्म में ऐसा कुछ भी खास नहीं दिखाया गया है जिससे साइबर क्राइम की जटिलताएं नुमायां तौर पर सामने आती हों. ये अंत तक आते-आते एक एक्शन एंटरटेनिंग फिल्म बनकर ही रह जाती है जिसमें हद से ज्यादा खून-खराबा दिखाया गया है. इसके अलावा कास्टिंग बढ़िया लेने के बाद भी फिल्म में किरदारों को रोल्स सही तरीके से एलॉट नहीं किए गए हैं.
नसीरुद्दीन शाह इस फिल्म के लीड विलेन हैं लेकिन इसके बाद भी फिल्म में उनके 3-4 सीन्स ही देखने को मिलेंगे. विजय राज का कैरेक्टर इंप्रेस करता है लेकिन उसे भी वैसे डायलॉग्स और लेंथ नहीं दी गई है. सिर्फ सोनू सूद ही फिल्म के अधिकतर पार्ट में एक्शन करते नजर आएंगे जो आपको एक सा भी लग सकता है और बोर भी कर सकता है. हां कुछ जगह उन्होंने अपने एक्शन के अंदाज को जरा इनोवेटिव करने की कोशिश जरूर की है.
एक्टर के तौर पर सोनू सूद
फिल्म में सोनू सूद ने फतेह सिंह का लीड रोल प्ले किया है. रोल में वे खरे उतरे हैं. एक्शन उनका हमेशा की तरह दमदार है. उनकी एंग्री यंग मैन वाली छवि आपको देखने को मिलेगी. उनकी स्ट्रेंथ उनकी पर्सनालिटी है और वे उनके अभिनय के लिहाज से हमेशा से एक प्लस प्वाइंट रही है. इसके अलावा जैकलीन फर्नांडिस के साथ उनकी केमिस्ट्री को अंत में जबरदस्ती बढ़ाने की कोशिश की गई है जो पूरी तरह से हजम नहीं होती. उसके बिना भी काम चल सकता था. फिल्म को सोनू ने एक मसाला फिल्म के सरीखा ही रखा है.
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देखें कि नहीं?
अगर आप सिर्फ एंटरटेनमेंट के लिए फिल्म देखना चाहते हैं तो ये फिल्म आप देख सकते हैं. अगर आप एक्शन के लिए फिल्म देखना चाहते हैं तो भी ये फिल्म आपके लिए ही है. अगर आप सोनू सूद के फैन हैं तो भी ये फिल्म आपके लिए है. लेकिन अगर आप फिल्म में कोई सेंस्टिव इश्यू को ढूंढ़ रहे हैं तो वो सिर्फ ऊपरी रैपर में है. एक बार टॉफी खुली तो सिर्फ एंटरटेनमेंट का ही स्वाद है. इस बात का सोनू सूद ने खास ख्याल रखा है. फिल्म देखते समय आपको बीच-बीच में कुछ सीन्स उबाऊ लग सकते हैं. कई सारे किरदारों को सोनू ठीक तरह से इस्टेबलिश नहीं कर पाए हैं.
विजय राज-नसीरुद्दीन शाह और जैकलीन फर्नांडिस के रोल्स को एकदम बेसिक रखा है. नसीर के कैरेक्टर के साथ तो ये बेईमानी लगती है. जिस तरह से नसीर को साइबर क्राइम के सबसे बड़े अपराधी के तौर पर पोट्रे किया गया है और बाद में जैसे उन्हें सरेंडर करते हुए दिखाया गया है वो बहुत बचकाना लगता है. ऐसी फिल्मों को सीरीज का रूप देने से जिस विषय पर बात हो रही होती है उसकी गहराई भी सामने आ जाती है और किरदारों को भी जरा विस्तार मिल जाता है. ऐसे में फिल्म देखने का लुत्फ ही कुछ अलग होता.
- फिल्म- फतेह
- निर्देशन- सोनू सूद
- कास्ट- सोनू सूद, जैकलीन फर्नांडिस, नसीरुद्दीन शाह, विजय राज
- रेटिंग्स- 2.5/5
- IMDb लिंक- https://www.imdb.com/title/tt27679608/
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