बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान
साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM के 5 विधायक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुए थे. जिसके बाद सीमांचल की राजनीति बदल गई थी. पूर्णिया, किशनगंज,अररिया की राजनीति AIMIM के इर्द गिर्द घूमने लगी थी. मगर कुछ समय बाद 4 विधायक टूटकर राजद के पाले में चले गए, जिससे बिहार में AIMIM को झटका लगने के साथ साथ AIMIM नेतृत्व पर भी सवाल उठने लगे थे.
वहीं इस बार AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान की सीट भी खतरे में नजर आ रही है. अख्तरुल ईमान वर्तमान में पूर्णिया के अमौर विधानसभा से विधायक हैं. चुनाव लड़ते वक़्त जो ख्वाब उन्होंने जनता को दिखाया था. वह 2025 तक पूरा होता नहीं दिख रहा है.
यही वजह है कि अख्तरुल ईमान को चुनाव जीतने में अहम भूमिका निभाने वाले जिलापरिषद मो.अफरोज, सिकंदर आजम उर्फ दारा, मो.गुलाम रब्बानी, महफूज इंजीनियर ने भी उनका साथ छोड़ दिया हैं. इनमें से तो कई खुद दूसरे दलों से टिकट के दावेदार हैं.
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AIMIM अध्यक्ष को बदलनी पड़ सकती है सीट
अख्तरुल ईमान अकेला पड़ने के बाद उनके सीट अमौर विधानसभा पर संकट मंडराने लगा है. स्थिती यह है कि एक बार फिर वे अपनी सीट कोचाधामन विधानसभा का रुख कर सकते हैं. ओवैसी की पार्टी AIMIM पर सीमांचल की जनता अब जातिवादी राजनीति करने और जातीय आधार पर हिंदुस्तान को बांटने की राजनीति करने का आरोप लगा रही है.
कहा जा रहा है कि सीमांचल की परंपरागत हिंदू मुस्लिम एकता, भाईचारा और गंगा जमुनी तहजीब को तहस नहस करने का प्रयास करते हुए AIMIM पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने हिंदू मुस्लिम की राजनीति को बढ़ावा दिया है.
अमौर का बहुप्रतीक्षित खाड़ी पुल, रसेली घाट पुल आज भी अधूरा है. हालांकि, दोनों जगहों पर काम चल रहा है, मगर जब तक बनकर आवागमन शुरू नहीं हो जाता तब तक लोगों को विश्वास नहीं है. क्योंकि 12 वर्षो में कई बार इस पुल का काम शुरू हुआ और बंद हुआ. अगर चुनाव आते आते पुल निर्माण नहीं हुआ तो फिर अख्तरुल ईमान को अमौर विधानसभा छोड़ने की नौबत आ जायेगी.
नई पार्टी बन रही है परेशानी का सबब
अमौर विधानसभा में अख्तरुल ईमान पहले से ही कांग्रेस, राजद, भाजपा, जदयू से टक्कर ले रहे हैं. वही नई राजनीतिक पार्टियों के लिए सदैव उम्मीद की स्थली रही है. सीमांचल में फिलहाल प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी जातिवादी राजनीति से ऊपर उठकर अमौर विधानसभा में भी अपनी संभावनाएं तलाशने में जुट गई है.
बिहार में जैसे उठी वैसे ही बैठ गई AIMIM
जिस तेजी से सीमांचल में AIMIM उभरी, उसी तेज़ी से जातिवादी राजनीति करने के कारण नीचे सरकती दिखाई देने लगी है. साल 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर सीमांचल क्षेत्र में सभी राजनीतिक पार्टियों की चहलकदमी तेज हो गई है.
राजद नेता तेजस्वी यादव इस क्षेत्र को कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत जगा कर चले गए हैं. जन सुराज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती भी सीमांचल क्षेत्र में आकर कार्यकर्ताओं से भेंट गांठ करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए अपनी सक्रियता का एहसास जनता को करा गये हैं.
AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष सह विधायक अख्तरुल इमान सीमांचल को अपने गृह क्षेत्र के रूप में इस्तेमाल करते हुए अपने वर्चस्व कायम रखने की कोशिश में लगे हैं. तो उधर , प्रगति यात्रा के बहाने बिहार की जनता के बीच जदयू के प्रति जनता के प्रेम को टटोलने निकले जदयू नेता सह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भी सीमांचल आगमन की प्रतीक्षा शुरू है. दूसरी ओर से कांग्रेस महकमा आश्वस्त है कि उसके जो वोट बैंक अमौर में मौजूद हैं, वे टस से मस होने वाले नहीं हैं.
हैदराबादी बिरयानी की चर्चा फिर जोरो पर
अमौर विधानसभा एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है जो कांग्रेस, राजद और जदयू का गढ़ रहा हैं. पिछले विधानसभा में AIMIM के अख्तरुल ईमान ने जदयू के सबा जफर को बहुत बड़ी मार्जिन से हराया था, वहीं कांग्रेस के जलील मस्तान तीसरे नंबर पर रहे थे. अगर अमौर विधानसभा की बात करे तो यह क्षेत्र आज भी आदम युग में जी रहा है.
परिसीमन के आधार पर किशनगंज लोकसभा क्षेत्र होने की वजह से अमौर, बैसा में विकास की रफ्तार काफी कम है. वहीं कुछ काम राज्य सरकार की तरफ से कराए गए हैं. जिसका क्रेडिट पूर्व विधायक सबा जफर भुनाने में लगे है. वहीं राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ बताते है कि कितना भी कोई अमौर विधायक अख्तरुल ईमान का साथ छोड़ दे, अंत मे AIMIM के हैदराबादी बिरियानी के चक्कर मे सब एकजुट हो जाते हैं.
वहीं जदयू से सबा जफर, कांग्रेस से जलील मस्तान का टिकट फाइनल माना जा रहा है, जबकि जन सुराज में अभी किसी के नाम की चर्चा नहीं है. वहीं यह भी बताया जा रहा है कि अख्तरुल ईमान अपनी सीट अमौर को नहीं छोड़ेंगे, कोचाधामन विधानसभा से अपने भाई मो.तफहिम को एआईएमआईएम से चुनाव लड़वा सकते हैं.
– India Samachar
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