अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को शपथ लेंगे. उनके शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं. इस बीच ‘हश मनी केस’ को लेकर काफी चर्चा थी, ऐसा माना जा रहा था कि इस केस में उन्हें सजा सुनाई जा सकती है.
शुक्रवार को न्यूयॉर्क की अदालत में ट्रंप को सभी 34 दोषों से मुक्त कर दिया गया है. न ही उन पर कोई जुर्माना लगाया और न ही फ़ैसला देते समय उन पर कोई शर्त भी नहीं लगाई. इस तरह के फैसले के संकेत जज की तरफ से पहले ही दे दिए गए थे, इस सुनवाई के दौरान जज ने क्या कहा आइये जानते हैं.
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस जुआन मर्चन ने कहा कि वास्तव में यह एक आसाधारण मामला था. उन्होंने बताया कि इससे पहले कभी भी इस अदालत को ऐसी परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ा है.
इस तरह की कमीशन उचित नहीं- कोर्ट
सजा सुनाते समय न्यायाधीश मर्चन ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति पद को दी गई सुरक्षा ट्रम्प के इस तरह के कामों की गंभीरता को कम नहीं करती है. अपराध-अपराध ही रहेगा. वे अपराध की गंभीरता को कम नहीं कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि किसी भी तरह से इसके कमीशन को उचित नहीं ठहराते हैं. राष्ट्रपति पद देश का है किसी व्यक्ति विशेष का नही है.
मर्चेन ने समानता पर भी विचार करते हुए कहा कि एक बार अदालत कक्ष के दरवाजे बंद हो गए, तो अदालत में मुकदमा किसी अन्य से अलग नहीं था. सबसे लिए समान ही था और आगे भी रहेगा.
जूरी के फैसले की शक्ति सबसे ऊपर- जज
जज ने कहा कि हालांकि, मुख्य कार्यकारी के पद को दी गई कानूनी सुरक्षा एक ऐसा कारक है जो सभी अन्य कारकों से ऊपर है. मर्चन ने राष्ट्रपति पद की कानूनी सुरक्षा के बारे में कहा कि ये कानूनी सुरक्षा अपराध की गंभीरता को कम नहीं करती या किसी भी तरह से इसके किए जाने को सही नहीं ठहराती. एक शक्ति जो ये प्रदान नहीं करती, वह है जूरी के फैसले को मिटाने की शक्ति. हमेशा जूरी के फैसले की शक्ति बनी रहेगी.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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