तिब्बत में आए भूकंप में 126 लोगों की मौत हुई. सैकड़ों लोग घायल हुए. कहा जा रहा है कि कई लोग अभी भी घरों के मलबे में दबे हुए हैं. इस बीच सवाल ये भी उठ रहा, क्या तिब्बत में भूकंप से मची तबाही कुदरती नहीं है? क्या वहां पर भूकंप से हुए विनाश के लिए चीन के डैम जिम्मेदार हैं? चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, भूकंप से तिब्बत में 3 हजार 600 से ज्यादा मकान ढह गए. 30 हजार से अधिक लोगों सुरक्षित जगह ले जाया गया है.
भूकंप की वजह से इलाके में चीन का इन्फ्रास्ट्रक्चर बुरी तरह डैमेज हुआ है. वहां पर बिजली और पानी दोनों की सप्लाई बाधित हुई है. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, इस भूकंप की तीव्रता 7.1 थी. इसका केंद्र तिब्बत के टिंगरी में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था लेकिन उसके बाद के 3 घंटे में ही तिब्बत में 50 आफ्टर शॉक्स भी आए थे.
क्या तिब्बत में चीन के डैम भूकंप से तबाही का कारण बन सकते हैं?
इस भूकंप की तीव्रता 400 किलोमीटर दूर तक महसूस की गई थी. तिब्बत के अलावा, नेपाल, भूटान, भारत और बांग्लादेश में भी इसके झटके महसूस किए गए थे. हालांकि, इन चार देशों से नुकसान की ज्यादा खबरें नहीं हैं लेकिन ये सच में बहुत डरावना था क्योंकि चीन भूकंप नेटवर्क केंद्र ने बाद में बताया कि तिब्बत में आया भूंकप पिछले 5 साल का सबसे शक्तिशाली भूकंप था, जिसमें विनाश बड़े पैमाने पर हुआ.
अब आते हैं उस सवाल पर जिसने दुनिया की टेंशन बढ़ा रखी है. वो ये है कि क्या तिब्बत में चीन के डैम भूकंप से तबाही का कारण बन सकते हैं? सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि तिब्बत पर चीन का कब्जा कबसे है और चीन यहां कब से लगातार डैम बनाते जा रहा है?
तिब्बत पर चीन का कब्जा 1950 के दशक से है. रेडियो फ्री एशिया ने Advocacy Group International Campaign for Tibet की स्टडी अपनी रिपोर्ट में छापी है. इसके अनुसार, चीन साल 2000 से तिब्बत में कुल मिलाकर छोटे बड़े 193 हाइड्रोपावर डैम बनाने पर फोकस कर रहा है. इसमें से 80% डैम लार्ज और मेगा साइज के हैं जबकि 193 डैम में से 40% डैम बन भी चुके हैं.
हम भयानक लैंडस्लाइड और भूकंप को दावत दे बैठेंगे
अकेले ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाले डैम की संख्या की बात करें तो 8 hydroelectric power projects में से कई बनकर अब ऑपरेशनल हैं. अब उस सवाल का जवाब कि चीन के इन डैम से तिब्बत में छोटे-बड़े भूकंप क्या आ भी सकते हैं? तो पिछले महीने ही चीन में सिचुआन प्रांत के रहने वाले मशहूर भू-वैज्ञानिक Fan Xiao ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाले चीन के सभी डैम पर चेतावनी भरा एक आर्टिकल लिखा था.
उनका ये आर्टिकल हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में छपा था. इस आर्टिकल के हाईलाइटेड पॉइंट्स ये थे कि ‘तिब्बत चूंकि हिमालय के सबसे करीब है. हिमालय में ये क्षेत्र भूकंपीय रूप से सबसे ज्यादा सक्रिय है. हिमालय के नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स की मूवमेंट लगातार होती रहती है, इसलिए यहां सुरंगे खोदकर, ऊंचे बांध बनाकर, उसमें बेहिसाब पानी इकट्ठा करके मेगा हाईड्रोपावर स्टेशंस तैयार करने का मतलब ये होगा कि हम भयानक लैंडस्लाइड और भूकंप को दावत दे बैठेंगे. नतीजे में प्राकृतिक विनाश को देखेंगे.
तिब्बत में कल ही भूकंप से तबाही मची है. यहां पर बने तमाम डैम को लेकर चीन फिर से विवादों में है. चीन के डैम कैसे भूकंप आने का कारण बन सकते हैं, इसे एक और उदाहरण से समझते हैं. चीन ने काफी पहले हुबेई प्रांत में एक विशालकाय Three Gorges Dam बनाया था. इस डैम के बारे में NASA का दावा है कि इसने धरती की घूमने की स्पीड कम कर दी है. इस डैम के बनने के बाद चीन भूकंप प्रशासन ने 2010 में अपनी एक स्टडी में पाया था कि इस डैम की वजह से 2003 से लेकर 2009 तक इस प्रांत में लगभग 3400 छोटे और बड़े भूकंप आए थे.
तिब्बत में डैम बनाने की जिद पर अड़ा है चीन
डैम बनने के बाद इस इलाके में भूकंप आने की घटनाएं 30 प्रतिशत तक बढ़ गई थीं. चीन भूकंप प्रशासन ने इस स्टडी में ये भी बताया था कि इस प्रांत में इसी दौरान हुई कई लैंडस्लाइड का कारण भी यही डैम था. अब तिब्बत में भूकंप से हुई तबाही के पीछे अगर चीन के डैम को लेकर उंगली उठाई जा रही है, तो वो कैसे गलत है? लेकिन चीन इस सच को कभी स्वीकार नहीं करेगा.
चीन तिब्बत में डैम बनाने की अपनी जिद पर अड़ा है. उसने अब ब्रह्मपुत्र नदी पर सबसे बड़ा बांध बनाने का ऐलान भी किया है, जिसको लेकर भारत ने एतराज भी जता दिया है. चीन इस सपने को पूरा करने के लिए एक खतरनाक काम और करेगा. वो इस डैम के निर्माण से भविष्य में जाने-अनजाने एक बड़े इलाके में भयानक भूकंप ला सकता है, जिसका नुकसान भारत और बांग्लादेश को भी उठाना पड़ सकता है.
असल में चीन तिब्बत के जिस इलाके में इस बांध का निर्माण करना चाहता है, वो इलाका टैक्टोनिक प्लेट्स के ठीक ऊपर बताया जा रहा है. इस पूरे क्षेत्र को भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है. ये हाई सिस्मिक जोन वाला क्षेत्र है. जानकार मानते हैं कि वहां डैम बन जाने के बाद टेक्टोनिक प्लेटें अस्थिर हो सकती हैं और डैम बनने के बाद यहां भूकंप आने की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है.
चीन के इस डैम पर भारत की नजर
भारत ने चीन से ये सुनिश्चित करने की मांग भी की है कि इस परियोजना से ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा है कि चीन के इस डैम पर भारत की नजर है. भारत असल में अपने पूर्वोत्तर के राज्यों को लेकर फिक्रमंद है.
इस बांध को लेकर जानकारों का भी यही मानना है कि इससे भारत को बाढ़ और सूखा जैसी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. गर्मी के मौसम में जब बांध वाले क्षेत्र में पानी का बहाव ज्यादा होगा, तब पानी स्टोर करने वाला ये बांध अतिरिक्त पानी छोड़ेगा, जिसका मतलब होगा कि भारत में पूर्वोत्तर के राज्यों में में बाढ़ आने की आशंका बढ़ जाएगी.
सर्दी में जब मौसम शुष्क होगा, तब ये बांध इलाके में बह रही किसी भी नदी का पानी स्टोर कर लेगा, जिसका मतलब ये होगा कि पूर्वोत्तर के राज्यों में पानी की कमी आएगी, वहां सूखा पड़ेगा और बांग्लादेश भी इन आपदाओं से अछूता नहीं रहेगा. ऐसे में भारत की ये चिंता वाकई बहुत बड़ी है. हालांकि, चीन ने भारत की इस चिंता पर सफाई दी है कि ऐसा कुछ नहीं होगा, कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा
ब्यूरो रिपोर्ट- टीवी9 भारतवर्ष.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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