Noida/Ghaziabad :
भारत राज्य वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 ने नोएडा और गाजियाबाद में ग्रीन कवर के अनुपात की गणना करने के लिए उपयोग किए गए जिला-स्तरीय क्षेत्रों में किए गए परिवर्तनों को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेष रूप से नोएडा और गाजियाबाद में क्षेत्रफल के बदलाव और हरित क्षेत्र के आंकड़ों में विसंगति ने अधिकारियों और पर्यावरणविदों को हैरान कर दिया है।
नोएडा में क्षेत्र बढ़ने के बावजूद ग्रीन कवर में गिरावट का दावा
आईएसएफआर 2023 में नोएडा का क्षेत्रफल 1,441.8 वर्ग किलोमीटर बताया गया है, जबकि 2021 की रिपोर्ट में यह क्षेत्रफल 1,282 वर्ग किलोमीटर था। इस रिपोर्ट में ग्रीन कवर को 2021 में 20 वर्ग किलोमीटर से बढ़ाकर 22 वर्ग किलोमीटर बताया गया है। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार, इन आंकड़ों के बावजूद नोएडा में ग्रीन कवर में 0.05 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इस पर नोएडा के जिला वन अधिकारी प्रमोद श्रीवास्तव ने कहा कि क्षेत्रफल बढ़ने के बावजूद ग्रीन कवर में 0.02 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने आगे कहा, “हम संबंधित अधिकारियों से इस मुद्दे पर और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए लिखेंगे।” जिला मजिस्ट्रेट मनीष वर्मा ने भी कहा कि नोएडा का हरित क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है और इसके भौगोलिक क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
गाजियाबाद में भी क्षेत्र में बदलाव के कारण ग्रीन कवर के आंकड़ों में भ्रम
गाजियाबाद में भी इसी तरह की विसंगति देखी गई है। 2021 की रिपोर्ट में गाजियाबाद का क्षेत्रफल 1,179 वर्ग किलोमीटर था, जबकि 2023 की रिपोर्ट में यह घटकर 891.6 वर्ग किलोमीटर हो गया है। गाजियाबाद का हरित क्षेत्र 25.2 वर्ग किलोमीटर से घटकर 21 वर्ग किलोमीटर हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार, गाजियाबाद में हरित क्षेत्र का अनुपात 0.05 प्रतिशत बढ़ा है, हालांकि क्षेत्रफल में कमी आई है। इस पर यूपी के वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ISFR 2023 के निष्कर्ष “भ्रमित करने वाले” थे। उन्होंने कहा, “2021 में, एक जिले के भौगोलिक क्षेत्र का उपयोग ग्रीन कवर निर्धारित करने के लिए किया गया था, लेकिन 2023 में इसे भारतीय सर्वेक्षण (SoI) द्वारा सर्वेक्षण किए गए क्षेत्रों के डेटा से बदल दिया गया है।”
पर्यावरणविदों का सवाल: ISFR रिपोर्ट में आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ की गई?
पर्यावरणविदों ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। पर्यावरण कार्यकर्ता सुशील राघव ने कहा, “यदि 2023 की रिपोर्ट में गाजियाबाद का हरित क्षेत्र 21 वर्ग किलोमीटर और 2021 में 25.2 वर्ग किलोमीटर था, तो फिर वन क्षेत्र 0.03 प्रतिशत कैसे बढ़ा?” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि “संख्याओं के साथ छेड़छाड़ की जा रही है” और यह सिर्फ नामकरण में बदलाव का परिणाम हो सकता है, जैसे कि भौगोलिक क्षेत्र के साथ एसओआई का उपयोग किया गया है।
गाजियाबाद में हाल के वर्षों में काटे गए हजारों पेड़
गाजियाबाद में पिछले 15 वर्षों में कई बड़ी परियोजनाओं के लिए हजारों पेड़ काटे गए हैं, जिनमें डीएमई, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, हिंडन एलिवेटेड रोड परियोजना और रैपिड रेल शामिल हैं। इस बारे में सुशील राघव ने कहा, “एनजीटी इस समय एक मामले की सुनवाई कर रहा है, जिसमें कांवड़ मार्ग बनाने के लिए गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर में 1.1 लाख से अधिक पेड़ काटे जाएंगे, जिनमें से 4,197 पेड़ अकेले गाजियाबाद में हैं।
भौगोलिक क्षेत्र में बदलाव के कारण डेटा हुआ प्रभावित
एक अधिकारी ने कहा कि जब क्षेत्रों का विलय होता है, तो सामान्यत: जिलों का भौगोलिक क्षेत्र बढ़ जाता है। नोएडा का भौगोलिक क्षेत्र बढ़ा है और साथ ही वन क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है, जिसे लेकर अभी चर्चा चल रही है। आईएसएफआर 2023 की रिपोर्ट ने नोएडा और गाजियाबाद में हरित आवरण के आंकड़ों को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। वन विभाग और पर्यावरणविदों के बीच इस रिपोर्ट की सटीकता पर अभी भी संदेह बना हुआ है। आगे की जांच और स्पष्टीकरण की आवश्यकता है ताकि इन आंकड़ों की सही तस्वीर सामने आ सके और हरित क्षेत्र की स्थिति को सही तरीके से समझा जा सके।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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