Noida/Ghaziabad :
भारत राज्य वन रिपोर्ट (ISFR) 2023 के आंकड़ों में विसंगति ने नोएडा और गाजियाबाद के जिला और राज्य अधिकारियों के बीच तालमेल की कमी को उजागर किया है। यह मामला विशेष रूप से गाजियाबाद और नोएडा के भौगोलिक क्षेत्र के आंकड़ों में आए बदलाव और उनके आधार पर ग्रीन एरिया के प्रतिशत में की गई गणना को लेकर है। ISFR 2023 में जो आंकड़े पेश किए गए हैं, उनमें सुधार की आवश्यकता है, ताकि ये क्षेत्रीय अधिकारियों और पर्यावरणविदों के लिए स्पष्ट और सही तस्वीर पेश कर सकें। विभागों के बीच तालमेल की कमी और कार्यप्रणाली में बदलाव के कारण इन आंकड़ों की सटीकता पर सवाल उठ रहे हैं।
विभागों के बीच तालमेल की कमी
ISFR 2023 की रिपोर्ट ने गाजियाबाद और नोएडा में भौगोलिक क्षेत्र के आंकड़ों के लिए भारतीय सर्वेक्षण (SoI) द्वारा मापे गए डेटा का उपयोग किया है, जबकि 2021 की रिपोर्ट में राज्य और जिला अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों को प्राथमिकता दी गई थी। इस बदलाव ने क्षेत्रफल के आंकड़ों में बदलाव किया और परिणामस्वरूप हरित आवरण के प्रतिशत पर भी प्रभाव डाला। नोएडा के जिला वन अधिकारी प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने जो आंकड़े पेश किए थे, उसमें हरित क्षेत्र में 0.02 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, लेकिन रिपोर्ट में इस वृद्धि को सही तरीके से प्रदर्शित नहीं किया गया। इसी तरह, गाजियाबाद के अधिकारियों ने भी क्षेत्रफल और ग्रीन एरिया के आंकड़ों में असमंजस जताया, क्योंकि 2021 और 2023 के आंकड़ों में यह भारी अंतर था।
कार्यप्रणाली में बदलाव और उससे जुड़ी समस्याएं
ISFR 2023 की कार्यप्रणाली के अनुसार, पहले राज्यों और जिलों द्वारा प्रदान किए गए भौगोलिक डेटा का उपयोग किया जाता था, लेकिन इस बार भारतीय सर्वेक्षण द्वारा मापे गए क्षेत्र का उपयोग किया गया है। यह बदलाव न केवल आंकड़ों में विसंगति का कारण बना, बल्कि इसे लेकर विभागों के बीच तालमेल की कमी भी उजागर हुई है। यूपी वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ISFR 2023 के निष्कर्ष भ्रमित करने वाले हैं, क्योंकि रिपोर्ट में गाजियाबाद और नोएडा के क्षेत्रफल का आकलन बदल दिया गया है। जब भौगोलिक क्षेत्र में बदलाव होता है, तो ग्रीन एरिया का प्रतिशत अपने आप प्रभावित होता है।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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