उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गरीब परिवार की लड़कियों की शादी के लिए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना की शुरुआत की थी. योजना के शुरू होने के बाद से लोगों को लाभ भी मिला. लेकिन योजना में कई खामियां आने की वजह से मौजूदा समय में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के लिए लाभार्थी नहीं मिल रहे हैं. समाज कल्याण विभाग को वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1575 शादी करने का लक्ष्य दिया गया था. लेकिन अभी 9 महीने बीतने के बाद मात्र 242 शादी ही हो पाई हैं. ऐसे में समाज कल्याण विभाग के लिए अब अगले 3 महीने में करीब 1333 शादी कराना एक बड़ी चुनौती माना जा रहा है.
गाजीपुर जिले में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत लगातार गरीब कन्याओं के शादी कार्यक्रम का आयोजन पिछले कई सालों से किया जा रहा है. लेकिन सामूहिक विवाह योजना में कई तरह की खामियां होने के बाद भी जिले के जिम्मेदार अधिकारी उसे दूर करने के बजाय अनदेखा कर रहे हैं. जिसके चलते इस योजना से लोगों का धीरे-धीरे मोह भंग हो रहा है. जिसका ताजा प्रमाण वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए शासन की तरफ से 1575 शादियां कराए जाने का लक्ष्य समाज कल्याण विभाग को मिला है. लेकिन अभी तक मात्र 242 गरीब लड़कियों की ही शादी हो पाई हैं, जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि इस योजना से लोग अब बच रहे हैं.
क्यों सामूहिक विवाह में शादी नहीं कर रहे लोग?
गाजीपुर में होने वाले सामूहिक विवाह योजना में जो सबसे बड़ी खामी निकाल कर आई थी. जिन लड़कियों की योजना के अंतर्गत शादी कराई गई, उसमें से अधिकतर लड़कियों का सिंदूरदान नहीं हो पाया और फिर अगली तारीखों पर उनके घर पर शादी होना भी एक बड़ा कारण सामने आया. इसके अलावा सनातन परंपरा के अनुसार हर कोई अपनी बेटियों की शादी वैदिक परंपरा के अनुसार ब्राह्मणों की देखरेख में करने की सोच रखता है. गाजीपुर में गायत्री परिवार के द्वारा ही शादियां कराई जाती रही. यह भी एक मुख्य कारण माना जा रहा, जिससे लोग इस सामूहिक विवाह में शादी कराने से दूर होने लगे. हालांकि पिछले दो बार से समाज कल्याण विभाग वैदिक परंपरा का निर्वाहन करते हुए शादियों में करीब आधा दर्जन ब्राह्मण को भी बुलाया, जो शादियों को संपन्न करा रहे हैं.
क्या ये है वजह?
वहीं शादी में लड़कियों को दिए जाने वाले सामान में सिंदूर रखने का पात्र सिंधोरा भी अब तक नहीं दिया गया. उसकी जगह एक छोटी सी डिब्बी में सिंदूर दिया गया. जबकि हिंदू रीति रिवाज की बात करें तो हिंदू धर्म में सिंदूर और सिंधोरा का विशेष महत्व होता है. मुस्लिम लड़कियों की शादी के लिए मुस्लिम धर्म के अनुसार शुरू से ही मुस्लिम धर्म गुरुओं की देख-रेख में शादियां संपन्न कराई जा रही है फिर भी मुस्लिम समाज की शादियों की संख्या भी इन सामूहिक विवाह योजना में काफी कम रहती है.
1575 शादियों का मिला था लक्ष्य
वहीं इस संबंध में समाज कल्याण अधिकारी राम नगीना यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष में 1575 शादियों का लक्ष्य विभाग को मिला है. जिसके लिए विभाग लगातार कार्य करते हुए दो बार सामूहिक विवाह का आयोजन कराया, जिसमें 242 शादियां वैदिक परंपरा के अनुसार संपन्न कराई गई और आगे भी शादियां संपन्न कराने के लिए जिलाधिकारी के द्वारा तारीख भी घोषित करा दी गई है. योजना के अंतर्गत शादी करने वाले लोगों से ऑन लाइन आवेदन लिए जा रहा हैं और उम्मीद है कि जो भी शासन के द्वारा लक्ष्य दिया गया है उसे पूर्णकरलियाजाएगा.
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