उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में बहने वाली भैसही नदी गाजीपुर और मऊ की सीमा को भी बाटती है. गाजीपुर जिले का अंतिम गांव कोर गांव है जो भैसही नदी के किनारे बसा है. नदी को पार करते ही मऊ जिले में पहुंच जाते हैं. ऐसे ही लोगों के आवागमन की सुविधा को बेहतर करने के लिए करोड़ों रुपए की लागत से एक पुल का निर्माण कराया गया. लेकिन 12 साल बीत जाने के बाद भी करोड़ों रुपए की लागत से बना ये पुल किसी काम का नहीं है. पुल को मऊ जिले की तरफ से जोड़ने के लिए कोई प्रयास नहीं किया. जिसकी वजह से आज भी यहां के लोग काफी दिक्कतों का सामना करते हैं.
गाजीपुर जिले के नखतपुर कोर गांव को मऊ के गजेंद्रपुरा और कहिनौर गांव से जोड़ने के लिए भैसही नदी पर पुल बनाने का काम करीब 12 साल पहले शुरू हुआ था. लेकिन पुल की दूसरी तरफ मऊ जिले की तरफ वन क्षेत्र होने के कारण वन विभाग से एनओसी नहीं मिलने की वजह से अप्रोच मार्ग का निर्माण नहीं हो सका है. जबकि गाजीपुर जिले की तरफ संबंधित विभाग और ठेकेदार के द्वारा कंकड़ डालकर छोड़ दिया गया जिसकी वजह से पुल के दोनों तरफ गहरे गड्ढे बने हुए हैं.
लोगों ने जनप्रतिनिधियों से लगाई गुहार
स्थानीय लोगों ने पुल के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए तत्कालीन सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा, वर्तमान सांसद अफजाल अंसारी, विधायक वीरेंद्र यादव सहित तमाम जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके हैं. लेकिन पुल का निर्माण पूरा नहीं हो सका. जिसकी वजह से यह पुल बनने के बाद भी अस्तित्व विहीन है. करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी लोगों को कोई लाभ नहीं हुआ.
वहीं पुल से आने जाने वाले लोगों की बात करें तो जनपद के कोर, नखतपुर, बिजोरा, मुस्तफाबाद, नेवादा, भोजपुर ,मिर्जापुर आदि गांव के लोगों का पुल बन जाने से मऊ जाने में समय की बचत होगी. वहीं दूसरी तरफ मऊ जिले में गजेन्द्रपुर कोहिनूर आदि भैसही नदी के किनारे के गांव के लोगों को गाजीपुर जिले में आने के लिए सुविधा हो जाएगी.
क्यों नहीं हो सका लोकार्पण?
वहीं इस संबंध में पीडब्ल्यूडी विभाग के प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता बीएल गौतम ने कहा कि मऊ जनपद के वन देवी और गाजीपुर के कोर गांव के बीच में करीब 60 मीटर का पुल बनाकर पूर्ण रूप से तैयार है. कोर गांव की तरफ पहुंच मार्ग बना दिया गया है. मऊ की तरफ वन विभाग की जमीन होने के कारण अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हो सका. वहीं रोड बनाने के लिए जो मुआवजा दिया जाएगा उसका भी अभी तक प्रावधान नहीं हुआ. इसलिए मऊ की तरफ पहुंच मार्ग बनने में देरी हुई. उन्होंने बताया कि पुल 2022 में पूर्ण हो चुका है. इसके लिए विभाग की तरफ से रिपोर्ट शासन को भेज दी गई और शासन से निर्देश प्राप्त होते ही आगे की कार्रवाई करेंगे.
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