Ghaziabad News :
कौशांबी थानाक्षेत्र में एक बड़ा दर्दनाक मामला सामने आया है। वैशाली के सेक्टर – तीन में रहने वाली एक 17 वर्षीय किशोरी ने प्री बोर्ड पर कम नंबर आने पर जान दे दी। घटना के समय किशोरी के पिता अपने आफिस में थे। शाम के समय किशोरी की मां और भाई बाहर टहलने गए हुए थे, इसी बीच घर में खुद को अकेला पाकर किशोरी ने चुन्नी का फंदा बनाया और झूल गई। मां और भाई घर लौटे तो नजारा दिल दहला देने वाला था। किसी तरह उन्होंने किशोरी के पिता को सूचना दी। परिजन किशोरी को तत्काल वैशाली स्थित एक निजी अस्पताल में लेकर पहुंचे, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
अस्पताल से मिली थी पुलिस को सूचना
किशोरी के सुसाइड की सूचना अस्पताल की ओर से कौशांबी थाना पुलिस को दी गई। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है। एसीपी इंदिरापुरम स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। जांच में पता चला है कि किशोरी प्री बोर्ड में नंबर कम आने से तनाव में थी। किशोरी दिल्ली के एक स्कूल में इंटर की छात्रा थी, दो दिन पहले वह माता-पिता के साथ पीटीएम में गई थी,जहां नंबर कम आने पर माता- पिता ने उसे पढ़ाई पर ध्यान देने की बात कही थी।
निजी बैंक में काम करते हैं पिता
एसीपी इंदिरापुरम स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि किशोरी के पिता दिल्ली के एक निजी बैंक में काम करते हैं। प्री- बोर्ड परीक्षा के बाद किशोरी के स्कूल में पीटीएम थी। माता- पिता, दोनों किशोरी के साथ पीटीएम में गए थे। नंबर कम आने पर टीचर्स से भी बात हुई थी और माता- पिता ने भी किशोरी से पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहा। किशोरी को लेकर माता- पिता घर लौट आए। शाम के समय किशोरी की मां और भाई बाहर टहलने चले गए, उसी दौरान किशोरी ने आत्मघाती कदम उठा लिया। एसीपी ने बताया कि मामले में किसी तरह का आरोप होने की बात सामने नहीं आई है।
बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करें
मनोचिकित्सक डा. साकेतनाथ तिवारी का कहना है कि बच्चों पर अनावश्यक रूप से ज्यादा नंबर लाने का दवाब कतई न बनाएं। बच्चों से अपना व्यवहार दोस्ताना रखें ताकि वह कोई भी परेशानी होने पर आपसे शेयर कर सकें। नंबरों को लेकर डांट- फटकार कतई न करें, बल्कि मित्रवत समझाएं। ध्यान रहे, ऐसी स्थिति न आने पाए कि बच्चा खुद को अलग- थलग महसूस करने लगे। बच्चा तनाव में हो तो उसे अकेला न छोड़ें बल्कि एक मित्र की तरह उसके साथ रहें। नकारात्मक बातें करने के बजाय उन्हें अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करें। खासकर परीक्षा के दौरान और उसके बाद बच्चों भावनात्मक सपोर्ट की ज्यादा जरूरत होती है।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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