इंदौर-जबलपुर के बहुचर्चित लव जिहाद मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अहम आदेश दिया है. इंदौर की रहने वाली अंकिता राठौर और जबलपुर के सिहोरा इलाके में रहने वाले हसनैन अंसारी की शादी के लिए हाई कोर्ट ने पुलिस और प्रशासन को हरसंभव मदद करने का आदेश दिया है. यह मामला तब सुर्खियों में आया जब लड़की के पिता ने याचिका दायर कर स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत उनकी शादी पर रोक लगाने की मांग की थी. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत की कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई.
पूरे मामले में कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 की धारा 4 के तहत किसी भी जोड़े को शादी का अधिकार है. कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रेमी जोड़े की शादी के रास्ते में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए. युवक और युवती ने सुनवाई के दौरान अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी. जिसके बाद हाई कोर्ट ने पुलिस और प्रशासन को उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि शादी से एक महीने तक प्रेमी जोड़े को पुलिस सुरक्षा दी जाए. इसके अलावा, संबंधित जिले के एसपी को निर्देशित किया गया कि सुरक्षा की आवश्यकता के अनुसार कदम उठाए जाएं.
कोर्ट ने मैरिज कोर्ट को निर्देश दिया कि अंकिता और हसनैन की शादी बिना किसी रुकावट के कराई जाए. यदि किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न होती है, तो पुलिस और प्रशासन तत्काल एक्शन लें. कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला केवल दो व्यक्तियों का नहीं है, बल्कि उनके संवैधानिक अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा है. लड़की के पिता द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट का उद्देश्य धर्म, जाति, और समुदाय की सीमाओं से परे जाकर विवाह को मान्यता देना है. अदालत ने कहा कि यह अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त है, जिसे कोई बाधित नहीं कर सकता.
क्या है मामला
इंदौर की रहने वाली युवती अंकिता राठौर और जबलपुर के सिहोरा इलाके में रहने वाले हसनैन अंसारी ने शादी के लिए 7 अक्टूबर को कलेक्ट्रेट कार्यालय में आवेदन दिया था. आवेदन के बाद मचे बवाल को देखते हुए प्रेमी जोड़े ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सुरक्षा की गुहार लगाई थी. एमपी हाई कोर्ट के जस्टिस विशाल धगट की एकल पीठ में पूरे मामले की सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान प्रेमी जोड़े से कोर्ट ने अलग से चर्चा भी की जिसके बाद अदालत ने इंदौर की रहने वाली अंकिता राठौर को 15 दिन के लिए नारी निकेतन भेज दिया था. इस बीच उसके माता-पिता भी उससे नहीं मिल सकते, इसके अलावा कोर्ट ने सिहोरा के युवक हसनैन अंसारी को भी पुलिस सुरक्षा देने के निर्देश दिए हैं. 15 दिन के लिए युवती को नारी निकेतन भेजने के पीछे मकसद यह है कि इस मियाद में वह पूरी तरह सोच विचार करें और अपना फैसला ले.
सामाजिक समरसता वाला फैसला
अधिवक्ता ज्वलंत सिंह चौहान ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह आदेश समाज में समानता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करेगा. हाई कोर्ट के इस फैसले को सामाजिक समरसता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. यह मामला न केवल कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने में बदलाव का प्रतीक भी है. हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद पुलिस और प्रशासन इस शादी को संपन्न कराने और सुरक्षा सुनिश्चित करने की तैयारी में जुट गए हैं.
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