उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक फिर बड़ा बयान दिया है. इस बयान को लेकर भले ही राजनीतिक हलके में बवाल मच गया है, लेकिन पौराणिक प्रसंगों को झुठलाया नहीं जा सकता. उत्तर प्रदेश का संभल केवल ऐतिहासिक नगर ही नहीं है, बल्कि इस नगर की पौराणिक मान्यताएं भी हैं. इस नगर की चर्चा आज से साढ़े पांच हजार साल पूर्व महर्षि वेद व्यास द्वारा रचित श्रीमद भागवत में भी मिलता है. श्रीमद भागवत के 12वें स्कंध के दूसरे अध्याय में महर्षि वेद व्यास ने बताया है कि यहां भगवान नारायण के 24वें अवतार कल्कि का अवतरण होगा.
इसी प्रसंग में वह लिखते हैं कि यह अवतार दुष्टों के विनाश के लिए होने वाला है. केला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तर्कों का समर्थन करते हैं.उन्होंने श्रीमद भागवत कथा के हवाले से बताया कि एक बार भगवान कृष्ण रुक्मणी को लेकर संभल से के रास्ते कहीं जा रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा था कि इसी स्थान पर कलियुग में हम अवतार लेकर आने वाले हैं. श्रीमद भागवत में संभल नगर को लेकर विस्तार से विवरण मिलता है. इसमें इस नगर को 68 तीर्थ, 19 कूप, 36 पूरे, और 52 सराय वाला बताया गया है.महंत ऋषिराज गिरी के मुताबिक संभल के अंदर आज भी बहुत कुछ है. यहां सभी तीर्थ हैं और यह सुंदर नगरी है.
पुराणों में है संभल की चर्चा
महंत के मुताबिक पुराणों में वर्णन मिलता है कि समय लोगों को तोल रहा है, इतिहास के पन्ने खोल रहा है. सत सनातन की आंखों में काशी मथुरा डोल रहा है.पांच सदी से मौन यह संभल भी अब हरिहर-हरिहर बोल रहा है. हालांकि उन्होंने कहा कि मामला कोर्ट में है और कोर्ट का फैसला ही सर्वमान्य होना चाहिए. चूंकि प्रसंग उठा है तो यहां पर संभल के बारे में वह चर्चा भी होनी चाहिए, जो पुराणों में वर्णित है.भगवान शुकदेव ने 88 हजार ऋषियों को श्रीमद भागवत की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान कल्कि का अवतरण कलियुग के आखिर में होना है.उस समय तक इंसान गधों की तरह हो जाएंगे. लोग एक दूसरे को मारकर खाने लगेंगे.ऐसे हालात में भगवान नारायण को धर्म रक्षा के लिए कल्कि का रूप लेना होगा.
सावन शुक्ल पंचमी को होगा कल्कि अवतार
इसी प्रसंग में शुकदेव जी ने कल्कि अवतार का समय और जगह भी बताई है. कहा कि सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को जब गुरु, सूर्य, और चंद्रमा एक साथ पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, भगवान नारायण कल्कि के रूप संभल में अपनी पत्नी पद्मा के साथ अवतार लेंगे. वह सफेद घोड़े देवदत्त पर सवार होकर अधर्मियों का विनाश करेंगे.इस प्रसंग में भगवान शुकदेव ने बताया कि कल्कि की दूसरी पत्नी का नाम रमा होगा. वहीं उनके चार पुत्र जय, विजय, मेघमाल और बलाहक होंगे. उस समय भगवान के पुरोहित महर्षि याज्ञवलक्य और गुरु परशुराम होंगे.
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