प्रयागराज में 2025 में होने वाले महाकुंभ के लिए तैयारियां जोरों पर हैं. इस ऐतिहासिक और विशाल आयोजन को सफल बनाने के लिए रेलवे ने श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर कई विशेष कदम उठाए हैं. रेलवे ने कुल ₹5000 करोड़ की लागत से प्रयागराज और इसके आसपास के नौ प्रमुख स्टेशनों को विकसित करने का निर्णय लिया है. इन स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं को आधुनिक बनाने के साथ भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष तकनीकें अपनाई गई हैं.
रेलवे ने फाफामऊ में एक नया स्टेशन बनाया है, जिससे पूरे क्षेत्र में यातायात का भार 6-7% तक कम होने की उम्मीद है. झूसी स्टेशन को भी विशेष रूप से विकसित किया गया है. यहां प्लेटफॉर्म की संख्या तीन से बढ़ाकर चार कर दी गई है. यात्रियों की सुविधा के लिए तीन फुट ओवरब्रिज और छह स्थायी आश्रय स्थल बनाए गए हैं, जहां यात्री आराम से बैठकर गाड़ियों की प्रतीक्षा कर सकते हैं.
तकनीकी सुधार और सुरक्षा प्रबंधन
यात्रियों की सुरक्षा के लिए 122 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिनमें से 16 फेस रिकग्निशन तकनीक से लैस हैं. स्टेशनों पर दूसरा प्रवेश द्वार बनाया गया है, और पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, स्वच्छता सुविधाएं, और पीने के पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है. झूसी स्टेशन परिसर में लगभग 10,000 यात्रियों के लिए अस्थायी यात्री शेड का निर्माण किया गया है.
प्रमुख रेल मार्गों का विस्तार
महाकुंभ के लिए बनारस-प्रयागराज रेलखंड को दोहरीकरण और विद्युतीकरण के जरिए आधुनिक बनाया गया है. इस परियोजना पर ₹2511 करोड़ की लागत आई है. झूसी-प्रयागराज खंड में गंगा नदी पर नया रेल पुल बनाकर इस मार्ग को और अधिक सुगम किया गया है.
अयोध्या से प्रयागराज सर्किट का विकास
राम मंदिर के निर्माण के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, अयोध्या-प्रयागराज-बनारस सर्किट विकसित किया गया है. ट्रेन के माध्यम से अयोध्या से प्रयागराज की दूरी 3.5 घंटे और प्रयागराज से बनारस की दूरी 2 घंटे में पूरी की जा सकेगी.
12 भाषाओं में सुविधा
महाकुंभ में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने बहुभाषी सूचना केंद्र विकसित किए हैं. इन केंद्रों में 12 भाषाओं में जानकारी उपलब्ध होगी, जिससे यात्री अपनी यात्रा, ठहरने और प्रमुख धार्मिक स्थलों तक पहुंचने की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकेंगे.
वॉच टावर और फेस रिकग्निशन सिस्टम
प्रयागराज जंक्शन पर वॉच टावर बनाया गया है, जहां से मैन्युअल और सीसीटीवी के माध्यम से निगरानी की जाएगी. रेलवे ने लगभग 2000 कैमरे विभिन्न स्थानों पर लगाए हैं, जो एआई तकनीक का उपयोग करके भीड़ प्रबंधन में मदद करेंगे. असामाजिक तत्वों पर नज़र रखने और उनकी पहचान के लिए फेस रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा.
महाकुंभ 2025 के लिए रेलवे की ये तैयारियां न केवल श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम बनाएंगी, बल्कि भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी सम्मानित करेंगी.
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