सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विवाह के वक्त एक लड़की के नाबालिग रहने के आधार पर उसके पार्टनर के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई वाली याचिका को खारिज कर दिया. दायर याचिका खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘संतान कोई संपत्ति नहीं है.’ यह याचिका युवती के माता-पिता ने दायर की थी.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना और जज संजय कुमार की पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया. पीठ ने कहा कि विवाह के समय लड़की नाबालिग नहीं थी. व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई क्योंकि उसके (लड़की के) माता-पिता को यह रिश्ता मंजूर नहीं था. वहीं, कोर्ट ने कहा कि ‘अपनी संतान की शादी को स्वीकार करें.’
आप अपनी संतान को एक संपत्ति मानते हैं- SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘आपको कैद करने का अधिकार नहीं है. आप अपने बालिग बच्चे के रिश्ते को स्वीकार नहीं करते हैं. आप अपनी संतान को एक संपत्ति मानते हैं. संतान कोई संपत्ति नहीं है.’ चीफ जस्टिस ने कहा कि अपनी संतान की शादी को स्वीकार करें. पीठ ने महिला के माता-पिता द्वारा न्यायालय में जमा किए गए जन्म प्रमाण पत्र में विसंगतियों का हवाला दिया और कहा कि वह मामले को आगे नहीं बढ़ा रहा है.
बेटी को बहला-फुसला कर अपहरण कर लिया गया
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 16 अगस्त को, नाबालिग के कथित अपहरण और यौन उत्पीड़न मामले में महीदपुर निवासी एक व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी रद्द कर दी थी. नाबालिग के पिता ने अपहरण और अन्य अपराधों से संबंधित प्रावधानों के तहत एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि उनकी 16 साल की बेटी लापता है.
ये भी पढ़ें- मेरी बेटी ढूंढ दो साहब बोले दंपति ने कमिश्नर ऑफिस के बाहर अपने ऊपर डाल लिया पेट्रोल, पुलिस के हाथ-पांव फूले
यह आरोप लगाया गया था कि एक व्यक्ति ने उनकी बेटी को बहला-फुसला कर उसका अपहरण कर लिया. हाईकोर्ट ने इस तथ्य पर गौर करते हुए प्राथमिकी रद्द कर दी कि लड़की बालिग थी और उसकी सहमति से यह शादी हुई थी. वहीं, शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त करने से इनकार कर दिया.
अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए हमारा एप्प डाउनलोड करें |
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Source link