बांग्लादेश में इस्कॉन लीडर चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर बवाल बढ़ता ही जा रहा है. जहां बुधवार को हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग की गई है तो वहीं जमात के कार्यकर्ता अब इस्कॉन को लेकर धमकियां दे रहे हैं.
बांग्लादेश के सोनाली मार्केट में स्थित इस्कॉन मंदिर को 24 घंटे में बंद करने का अल्टीमेटम दिया गया है. जमात के कार्यकर्ताओं की ओर से यह धमकी दी गई है, वहीं इससे पहले मंदिर का एक बोर्ड भी हटाया गया था.
बांग्लादेश में इस्कॉन को लेकर क्या है विवाद?
दरअसल बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से हिंदुओं के खिलाफ हिंसा बढ़ गई है. इस्कॉन लीडर चिन्मय कृष्ण दास हिंदुओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाते रहे हैं. उन पर अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है.
25 नवंबर को राजद्रोह के आरोप में चिन्मय कृष्ण दास को एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया था. जिसके बाद उनके समर्थकों और हिंदू समुदाय के लोग आक्रोशित हैं. बांग्लादेश की अदालत ने चिन्मय दास को जमानत देने से इनकार कर दिया जिसके बाद उनके समर्थक भड़क गए और कोर्ट के बाद हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान एक सरकारी वकील की मौत हो गई.
इस्कॉन के खिलाफ जमात का प्रोपेगेंडा!
वकील सैफुल इस्लाम की मौत से बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी को एक बार फिर इस्कॉन के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बनाने का मौका मिल गया है. कुछ दिनों पहले जमात ने यूनुस सरकार से इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग भी की थी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश में हिंदुओं की एकजुटता से जमात को लगता है कि हिंदू आंदोलन बांग्लादेश में अवामी लीग और वैध चुनावों को जगह दे सकता है और उन पर फिर से प्रतिबंध लगाया जा सकता है.
बांग्लादेश में 65 इस्कॉन टेंपल
बांग्लादेश में इस्कॉन के 65 मंदिर हैं और 50 हजार से अधिक फॉलोवर्स हैं. ढाका में जहां 13 इस्कॉन मंदिर हैं तो चटगांव में 14, सिलहाट में 9, खुलना में 8 और रंगपुर में 7 इस्कॉन मंदिर हैं. एक ओर जमात कार्यकर्ता इस्कॉन मंदिर को बंद करने चेतावनी दे रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर गुरुवार को इस्कॉन पर बैन की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. जमात के दबाव के आगे लाचार दिख रही बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने कोर्ट ने इस्कॉन को कट्टरपंथी संगठन बताया है. अब देखना होगा कि बांग्लादेश की अदालत इन बेबुनियाद आरोपों पर क्या फैसला करती है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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