देवेंद्र फडणवीस.
महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति की शानदार जीत के बाद अब मुख्यमंत्री पद पर सस्पेंस बना हुआ है. सबकी नजर इस बात पर है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? मुंबई से लेकर दिल्ली तक सियासी चर्चाएं चल रही हैं. एक ओर, शिवसेना एकनाथ शिंदे को फिर से सीएम बनाने की मांग कर रही है, तो महायुति की रिकॉर्डतोड़ जीत के बाद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस सबसे आगे माने जा रहे हैं. एनसीपी के नेता अजित पवार ने फडणवीस के नाम का समर्थन किया है. उधर, नागपुर में भी मुख्यमंत्री के तौर पर फडणवीस के पोस्टर लगाए गए हैं.
बीजेपी कार्यकर्ताओं की मांग है कि फडणवीस फिर से मुख्यमंत्री बनें. सूत्रों का कहना है कि बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने भी फडणवीस के नाम पर सहमति जताई है और एकनाथ शिंदे और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद का दायित्व दिया जा सकता है.
एक सूत्र ने कहा कि शिवसेना को करीब 12 मंत्री के साथ कुछ अहम विभाग और एनसीपी को भी करीब 10 मंत्री पद दिये जाने की बात हो रही है. वहीं, बीजेपी को 21 मंत्री पद मिलने के आसार हैं.
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क्यों हैं फड़णवीस मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार?
- साल 2019 में उद्धव ठाकरे ने गठबंधन तोड़कर कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाई. इसलिए बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिलने के बाद भी देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री नहीं बन सके. बाद में शिव सेना में बगावत के बाद एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने और देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनना पड़ा.
- महाराष्ट्र में शिवसेना के बाद एनसीपी भी टूट गई. वहीं, मनोज जारांगे ने भी फडणवीस की आलोचना करते हुए धमकी दी थी कि ‘या तो तुम रहो या मैं रहूं.’ लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने आलोचनाओं के बावजूद परिपक्क नेता के रूप में उभरे हैं.
- देवेंद्र फडणवीस पर दो पार्टियों को बांटने का आरोप लगा. जिसने उन्हें आलोचना का केंद्र बना दिया. देवेंद्र फडणवीस ने इन सबका सामना किया और अपना संयम बनाए रखा और सहयोगी पार्टियों शिवसेना और एनसीपी के साथ बहुत अच्छी तरह से तालमेल के साथ काम किया.
- लोकसभा में महायुति को बड़ा झटका लगने के बाद, फडणवीस ने रणनीति को शानदार ढंग से क्रियान्वित किया और विधानसभा चुनावों में राज्य के इतिहास में महायुति को अपनी सबसे बड़ी जीत दिलाई. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि देवेंद्र फडणवीस मैन ऑफ द मैच रहे. हालांकि एकनाथ शिंदे दो साल तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन उन्हें हर फैसले पर फडणवीस की मंजूरी और 115 बीजेपी विधायकों का समर्थन हासिल था. इसलिए वे इस तरह के फैसले ले सकें.
- लोकसभा में खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए देवेंद्र फडणवीस ने इस्तीफा देने की पेशकश की थी, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के आदेश के बाद वह पद पर बने रहे. लेकिन विधानसभा में उन्होंने बीजेपी की रणनीति को जमीन पर लागू किया और बीजेपी के नेतृत्व में महागठबंधन ने रिकॉर्ड जीत हासिल की.
फडणवीस के नेतृत्व में सबसे बड़ी जीत
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व किसी और को मुख्यमंत्री बनाता है तो बीजेपी वही गलती दोहराएगी जो उसने 2019 में उद्धव ठाकरे को जनादेश देने से इनकार करके की थी. लेकिन राज्य ने एक बार फिर फडणवीस को बड़ा जनादेश दिया है.
2014 में मोदी लहर में बीजेपी ने 122 सीटें जीती थी. फिर 2019 में 105 सीटें जीती, लेकिन मौजूदा चुनाव में बीजेपी ने 132 सीटों पर जीत हासिल की है. उन्होंने ये रिकॉर्ड तोड़ दिया है. जबकि शिंदे और अजित की पार्टी से लड़ने वाले 9 बीजेपी नेताओं ने जीत हासिल की है. इस तरह बीजेपी के कुल 142 विधायक चुने गए हैं. इसके अलावा 5 निर्दलीय विधायकों ने भी मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस का समर्थन किया है.
इनपुटः टीवी 9 मराठी
– India Samachar
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