झारखंड में मिली जीत फिर भी टेंशन में कांग्रेस
झारखंड में हेमंत सोरेन की सत्ता रिपीट हो गई है. सहयोगी कांग्रेस का प्रदर्शन भी पिछली बार की तरह ही रहा है. इसके बावजूद कांग्रेसी यहां टेंशन में हैं. झारखंड में जीत के बावजूद कांग्रेसियों के टेंशन में होने की 3 वजहें बताई जा रही हैं. इनमें पहली वजह विधायकों की संख्या, दूसरी वजह सरकार में हिस्सेदारी और तीसरी वजह सम्मान मिलना है.
बहुमत के लिए JMM को कांग्रेस की जरूरत नहीं
झारखंड मुक्ति मोर्चा अकेले दम पर 34 सीटों पर जीत हासिल कर ली है. जो सरकार बनाने से सिर्फ 7 कम है. जेएमएम की सहयोगी माले को 2 और आरजेडी को 4 सीटों पर जीत मिली है. आजसू, जेडीयू और जेएलकेएम जैसी पार्टियों ने भी 1-1 सीट पर जीत हासिल की है.
कांग्रेस को 16 सीटों पर इस बार जीत जरूर मिली है, लेकिन पार्टी किंगमेकर की भूमिका में नहीं है. कांग्रेस अगर समर्थन नहीं भी करती है तो हेमंत सोरेन को सरकार संचालन में कोई परेशानी नहीं होने वाली है.
किंगमेकर की भूमिका में न आ पाना कांग्रेस के लिए टेंशन का कारण बन गया है. कांग्रेस अब सरकार में शामिल भी होती है तो उसकी पूछ ज्यादा नहीं होने वाली है.
सत्ता की हिस्सेदारी में मोलभाव नहीं कर पाएगी
कांग्रेस पिछली बार जब इतनी ही सीटों पर चुनाव जीती थी, तो उसे 4 मंत्री पद मिले थे. विभाग बंटवारे में भी कांग्रेस को तवज्जो मिली थी. पार्टी को वित्त, ग्रामीण विकास, कृषि और स्वास्थ्य जैसे विभाग मिले थे. हालांकि, उस सरकार में माले और आरजेडी का दबदबा नहीं था.
अब आरजेडी की सीटों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. आरजेडी भी अपने लिए बड़े विभाग चाहेगी. ऐसे में कांग्रेस को विभाग बंटवारे में तवज्जो मिले, इसकी गुंजाइश कम है. जम्मू कश्मीर में हाल ही में कांग्रेस को कम सीट मिलने पर उमर अब्दुल्ला ने भाव नहीं दिया था.
नाराज होकर कांग्रेस ने सरकार में शामिल न होने का फैसला किया था. झारखंड की स्थिति भी ऐसी ही बताई जा रही है. हालांकि, फाइनल फैसला हेमंत सोरेन को लेना है.
कांग्रेस के पास कॉर्डिनेशन वाले नेता की कमी
कांग्रेस में पूरे झारखंड के विधायकों को कॉर्डिनेट कर पाने वाले नेता की कमी है. पहले झारखंड कांग्रेस के भीतर बेरमो से विधायक राजेंद्र सिंह यह काम देखते थे. सिंह के निधन के बाद यह काम आलमगीर आलम को सौंपा गया था. आलम के विधायक दल के नेता रहते हुए कांग्रेस एक दर्जन विधायकों ने बगावत का रूख अख्तियार कर लिया था.
ये सभी विधायक दिल्ली आकर डट गए थे. बाद में आलमगीर आलम खुद जेल चले गए. आलम की जगह कांग्रेस ने रामेश्वर ओरांव को विधायक दल का नेता बनाया, लेकिन विधानसभा के इस चुनाव में रामेश्वर अपनी सीट लोहरदगा से बाहर ही नहीं निकले.
कहा जा रहा है कि इस बार जो भी विधायक जीते हैं, उनमें से कोई भी ऐसा नहीं हैं, जिनकी अपील पूरे कांग्रेस के भीतर हो. ऐसे में सबको साधे रखना ओल्ड ग्रैंड पार्टी के लिए आसान नहीं है.
सरकार बनाने को लेकर गुलाम मीर ने क्या कहा?
झारखंड कांग्रेस के प्रभारी महासचिव गुलाम अहमद मीर ने कहा है कि नतीजे आने के बाद सरकार बनाने की कवायद की जाएगी. अभी हम फाइनल नतीजे का इंतजार कर रहे हैं. वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि सरकार को लोगों ने जनादेश दिया है. हम अपना वादा पूरा करेंगे.
झारखंड की 81 में से 34 सीटों पर जेएमएम, 16 पर कांग्रेस, 4 पर आरजेडी और 2 पर माले ने जीत हासिल की है. एनडीए गठबंधन को 24 सीटों पर जीत मिली है. एक सीट पर जयराम महतो ने जीत हासिल की है.
झारखंड में सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों की जरूरत होती है.
– India Samachar
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