उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और शरद पवार.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे शनिवार को आएंगे. उससे पहले असल लड़ाई मुख्यमंत्री पद को लेकर छिड़ गई है. कांग्रेस के अगुवाई वाले महाविकास अघाड़ी और बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने इस बार सीएम चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ा था, जिसके चलते दोनों ही गठबंधन में खींचतान तेज हो गई. कांग्रेस अपना सीएम बनाने की फिराक में है तो उद्धव ठाकरे को यह मंजूर नहीं है. इसी तरह बीजेपी में भी सीएम पद को लेकर पेंच फंसा हुआ है. महाराष्ट्र में सीएम पद के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष से छह दावेदार हैं लेकिन मुख्यमंत्री के किरदार में कौन होगा… ये सबसे बड़ा सवाल है?
सीएम की कुर्सी पर विराजमान होने को लेकर पांच साल में तीन सरकारें बनीं और गिरीं. इतना ही शिवसेना और बीजेपी की ढाई दशक से चली आ रही दोस्ती टूटी ही नहीं बल्कि शिवसेना-एनसीपी दो-दो धड़ों में बंट गई. इस बार भी मुख्यमंत्री पद को लेकर नतीजे से पहले सियासी कसरत शुरू हो गई है. महायुति में सीएम पद के दावेदारों में शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे से लेकर बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी के प्रमुख अजीत पवार हैं. सीएम की कुर्सी को लेकर आमने-सामने तीनों नेता खड़े दिख रहे हैं. इसी तरह महाविकास अघाड़ी में उद्धव ठाकरे के लेकर कांग्रेस के नाना पटोले और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले में भी शह-मात का खेल शुरू हो गया है.
फडणवीस के सिर सजेगा सत्ता का ताज?
महाराष्ट्र में बीजेपी 2019 में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी पांच साल तक अपना मुख्यमंत्री नहीं बना सकी. इस बार भी बीजेपी ने दोनों ही गठबंधन में सबसे ज्यादा उम्मीदवार अपने खड़े किए हैं. यह माना जा रहा है कि बीजेपी ही अकेली सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी होगी, लेकिन क्या सीएम अपना बना पाएगी? बीजेपी की तरफ से देवेंद्र फडणवीस को सीएम का दावेदार माना जा रहा है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि फडणवीस को सीएम बनना चाहिए.
उन्होंने कहा कि महायुति को बहुमत मिले या न मिले लेकिन सरकार बनाने के लिए अब निर्दलीय को अपने साथ रखेंगे. इसके यह साफ है कि बीजेपी सरकार बनाने के लिए पूरी तरह मुस्तैद है तभी निर्दलीय को अभी से साधने में लगी है लेकिन एक बाधा जरूर है. फडणवीस ब्राह्मण समाज से आते हैं, जिन्हें लेकर मराठा समुदाय राजी नहीं होगा.
एकनाथ शिंदे की भी दावेदारी
महाराष्ट्र में महायुति के सीएम फिलहाल एकनाथ शिंदे हैं और उनकी पार्टी शिवसेना भी चाहती है कि जब विधानसभा चुनाव शिंदे के चेहरे पर लड़ा गया है तो सीएम बनने का हक भी उनका बनता है. अमित शाह ने चुनाव के दौरान ही कह दिया था कि शिंदे सीएम जरूर हैं लेकिन नए मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव नतीजे के बाद तय होगा. महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के दोबारा सीएम बनने की उम्मीद तभी है, जब उनकी पार्टी के 50 से ज्यादा विधायक जीतकर आएं. इसके अलावा बीजेपी के 100 से कम और अजीत पवार के भी 40 से कम विधायक हों. इस तरह बीजेपी के महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिंदे के ऊपर निर्भर रहना पड़े, तभी सीएम की कुर्सी उन्हें दोबारा मिल सकती है.
उद्धव ठाकरे क्या फिर बनेंगे सीएम?
महाविकास अघाड़ी की सत्ता में वापसी होती है तो उद्धव एक बार फिर से सीएम पद के दावेदार बन सकते हैं. मुख्यमंत्री पद के लिए ही उद्धव ठाकरे ने साल 2019 में बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ लिया था और अपनी वैचारिक विरोधी कांग्रेस और एनसीपी के साथ हाथ मिलाया था. उद्धव अपनी पार्टी का अस्तित्व बचाने के लिए किसी हाल में सत्ता से बाहर रहना बर्दाश्त नहीं कर सकते. सत्ता से बाहर रहने पर उनके कई विधायक पाला बदल सकते हैं. उद्धव के लिए सत्ता इसलिए भी जरूरी है. मगर, उसके लिए कांग्रेस और शरद पवार का रजामंद होना जरूरी है. 2019 में कांग्रेस ने उनकी शर्त को इसीलिए मान लिया था कि बीजेपी से गठबंधन तोड़कर आए थे. शिवेसना दो गुटों में बंट जाने के बाद उद्धव के लिए बीजेपी के साथ हाथ मिलाना अब आसान नहीं रह गया है, लेकिन शिवसेना (यूबीटी) 50 से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रहती है तो फिर सत्ता की चाबी उसके हाथ में होगी.
नाना पटोले की किस्मत होगी बुलंद
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने सीएम पद पर अपनी दावेदारी पेश कर दी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनेगी और सीएम कांग्रेस का होगा. पटोले की इस बात पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा कि हमें यह स्वीकार नहीं है. उन्होंने कहा, अगर ऐसा है तो राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को नाना पटोले को मुख्यमंत्री घोषित कर देना चाहिए. नाना पटोले के सीएम बनने के लिए सहयोगी दल ही नहीं बल्कि कांग्रेस नेताओं की भी स्वीकार्यता हासिल करनी होगी. कांग्रेस के मराठा नेता किसी भी सूरत में नाना पटोले को सीएम के लिए स्वीकार नहीं करेंगे. कांग्रेस अगर गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है और मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ती है तो उद्धव किसी दूसरे विकल्प पर भी विचार कर सकते हैं.
पवार परिवार के हाथों में होगी पावर
शरद पवार को महाराष्ट्र की सियासत का चाणक्य कहा जाता है. मगर, उनकी पार्टी दो गुटों में बंट चुकी है. शरद के भतीजे अजीत पवार बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति का हिस्सा हैं तो शरद कांग्रेस की अगुवाई वाले महाविकास अघाड़ी के साथ हैं. अजीत पवार के लिए यह विधानसभा चुनाव अस्तित्व बचाने का चुनाव है लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा जगजाहिर है. अजीत की पार्टी एनसीपी 59 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है, जिनमें से 37 सीटों पर उनका मुकाबला सीधे शरद पवार की एनसीपी के उम्मीदवारों से है.
अजीत पवार की सीएम पद की दावेदारी तभी हो सकती है जब वो अपने कोटे की 80 फीसदी से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रहें. ऐसे में अगर बेहतर प्रदर्शन नहीं करते हैं तो फिर बीजेपी पर आश्रित रहना होगा. इसके अलावा अजीत पवार अगर नतीजे के बाद सियासी पाला बदलते हैं और महाविकास अघाड़ी के सरकार बनाने में रोल अदा कर देते हैं तो उनकी किस्मत के सितारे बुलंद हो सकते हैं. मगर, इसके लिए शरद पवार का रजामंद होना जरूरी है. लोकसभा चुनाव के दौरान शरद पवार जिस तरह अपने कोटे की ज्यादातर सीटें जीतने में कामयाब रहे हैं, वैसा ही प्रदर्शन विधानसभा चुनाव में रहते हैं तो अपनी बेटी सुप्रिया सुले को सीएम बनने का दांव चल सकते हैं. इसके लिए शरद पवार को अपने भतीजे अजीत पवार को भी साथ मिलाना होगा. इसके बाद ही मन की मुराद पूरी होगी.
– India Samachar
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