मल्लिकार्जुन खरगे, उद्धव ठाकरे और शरद पवार.
महाराष्ट्र में मतदान के बाद अब सियासी गुणा-गणित को लेकर माथापच्ची चल रही है. पोल ऑफ पोल्स में किसी भी पार्टी को बहुमत मिलता नजर नहीं आ रहा है, जो महाविकास अघाड़ी के लिए टेंशन बढ़ाने वाला है. 4 महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी को विधानसभा की 151 सीटों पर बढ़त मिली थी.
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर 4 महीने में ऐसा क्या हुआ, जो महाविकास अघाड़ी सरकार बनाने के लिए जरूरी 145 के आंकड़ों को छूने के लिए जद्दोजहद कर रही है.
1. सीट बंटवारे में कांग्रेस ने पेंच फंसाया
महाविकास अघाड़ी का सीट बंटवारा काफी सुर्खियों में रहा. कांग्रेस की स्थानीय इकाई 120 सीटों से कम पर लड़ने को तैयार नहीं थी. आखिर में हाईकमान के दखल के बाद पार्टी आधिकारिक रूप से 102 सीटों पर मानने को तैयार हुई.
इस दौरान शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के बीच कलह की खबरें खूब चर्चा में रही. बीजेपी ने इसको मुद्दा बनाने की भी कोशिश की और महाविकास अघाड़ी को अननैचुरल अलायंस बताया.
2. कई सीटों पर भितरघात की खबरें
महाविकास अघाड़ी के कमजोर होने की एक वजह कई सीटों पर भितरघात है. मसलन, सोलापुर दक्षिण सीट पर शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार मैदान में हैं. यह सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है. पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे यहां के नेता हैं.
मतदान के बीच सुशील कुमार शिंदे ने उद्धव के उम्मीदवार को छोड़ निर्दलीय का समर्थन कर दिया है. हाल ही में संजय राउत ने आशंका जताई थी कि कई सीटों पर सांगली मॉडल का खेल चल रहा है.
दरअसल, लोकसभा चुनाव में सांगली सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने गठबंधन के उम्मीदवार को छोड़ निर्दलीय विशाल पाटिल को समर्थन दे दिया. इससे शिवसेना (उद्धव) के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर पहुंच गए.
3. सीएम चेहरे पर फाइनल फैसला न करना
2019 में जब महाविकास अघाड़ी का गठन हुआ था, उस वक्त उद्धव ठाकरे गठबंधन का चेहरा थे. सरकार गिरी तो सिंपैथी भी ठाकरे ने ही लेने की कोशिश की. लोकसभा के चुनाव में इसका फायदा भी महाविकास अघाड़ी को मिला, लेकिन इसके बाद कांग्रेस के सुर बदल गए.
कांग्रेस ने सीएम पद को लेकर पेच फंसा दिया. उद्धव ठाकरे को सीएम न घोषित कर पार्टी ने चुनाव बाद फैसला करने की बात कह दी. शरद पवार ने भी कांग्रेस के सुर में ही सुर मिला दिए.
सीएम चेहरे की रस्साकसी की वजह से गठबंधन में कई जगहों पर दरारें देखने को मिली. मसलन, उन सीटों पर जहां शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस मजबूत स्थिति में है.
4. कांग्रेस के पास कमजोर लीडरशिप
एमवीए की तरफ से पूरे महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कांग्रेस 102 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरी है, लेकिन पार्टी के पास न तो पूरे महाराष्ट्र का कोई चेहरा था और न ही समीकरण. प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले विदर्भ में ही सिमटे रहे. देशमुख परिवार भी लातूर से बाहर नहीं निकल पाए. मुंबई में भी पार्टी के पास लोकप्रिय चेहरा नहीं था.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस दलित और संविधान के मुद्दे पर विदर्भ में खेल करने में कामयाब रही थी, लेकिन इस बार यहां उन मुद्दों को पार्टी ने मजबूती से हवा नहीं दी.
हालांकि, किसानों को लेकर कांग्रेस के वादे को गेमचेंजर माना जा रहा है. कांग्रेस ने चुनाव से पहले कपास और प्याज के किसानों के लिए कई बड़े वादे किए हैं.
महाराष्ट्र का पोल ऑफ पोल्स क्या है?
महाराष्ट्र को लेकर जिन एजेंसियों ने एग्जिट पोल जारी किए हैं, उनमें से अधिकांश ने एनडीए गठबंधन को बहुमत दिया है. Peoples Pulse के एग्जिट पोल में एनडीए को 175 से 195, इंडिया गठबंधन को 85 से 112 और अन्य को 7 से 12 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.
पी मार्क ने क्लोज फाइट की संभावनाएं जाहिर की है. इसके पोल के मुताबिक एनडीए को 137-157, इंडिया को 126-146 और अन्य को 2-8 सीटें मिल सकती है.
MATRIZE एग्जिट पोल में एनडीए को 150 से 170 और इंडिया गठबंधन को 110 से 130 सीटें मिलती दिख रही हैं. वहीं 8 से 10 सीटें अन्य के खाते में भी जा सकती हैं. चाणक्य Strategies के एग्जिट पोल में एनडीए को 152 से 160, इंडिया गठबंधन को 130 से 138 और अन्य को 6 से 8 सीटें मिल सकती हैं.
– India Samachar
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