क्या है महाराष्ट्र चुनाव का सियासी मिजाज?
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का प्रचार सोमवार शाम को थम गया और अब वोटिंग की बारी है. राज्य की सभी 288 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में बुधवार को मतदान है, जिसमें 4136 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है. बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन (महायुति) सत्ता की हैट्रिक लगाने की कवायद में है तो कांग्रेस की अगुवाई वाला इंडिया गठबंधन अपनी वापसी के लिए बेताब नजर आ रही है. प्रकाश अंबेडकर की वीबीएस से लेकर असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM सहित कई छोटी पार्टियां किंगमेकर बनने की फिराक में है.
महाराष्ट्र का सियासी मिजाज इस बार पूरी तरह से एक नहीं है, कहीं महायुति का सियासी पलड़ा भारी है तो कहीं महा विकास अघाड़ी को बढ़त मिलने की संभावना दिख रही है. इस बार जिस तरह सीट वाइज फाइट होती दिख रही है, उसके चलते छोटे दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों की भूमिका अहम रहने वाली है. इस बार कुल 158 पार्टियां किस्मत आजमा रही है. बीजेपी एकनाथ शिंदे की शिवेसना और अजित पवार की एनसीपी के साथ चुनाव लड़ रही है तो कांग्रेस उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी (एस) के साथ मिलकर चुनाव में उतरी है.
किस पार्टी के कितने उम्मीदवार
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी ने सभी 288 सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. बीजेपी 149 सीट पर किस्मत आजमा रही है तो एकनाथ शिंदे की शिवसेना 81 और अजित पवार की एनसीपी ने 59 सीटों पर ताल ठोक रखी है. इसी तरह 101 विधानसभा सीट पर कांग्रेस के कैंडिडेट मैदान में है तो शरद पवार की एनसीपी (एसपी) 86 सीट और उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) 95 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. बसपा 237 सीट पर किस्मत आजमा रही हैं तो प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी ने 200 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए हैं.
राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने 125 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं. महाराष्ट्र स्वराज पार्टी 32 सीटों पर चुनाव लड़ रही है तो प्रहार जनशक्ति पार्टी 38 सीट और राष्ट्रीय समाज पक्ष 93 सीट पर चुनाव लड़ रही है. असुदद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने कुल 17 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं जबकि समाजवादी पार्टी 9 सीटों पर किस्मत आजमा रही है. इन दलों के अलावा करीब 2,086 निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं.
किसकी क्या प्रतिष्ठा दांव पर लगी
महाराष्ट्र के 2019 विधानसभा चुनाव के नतीजे देखें तो 288 सीटों में से बीजेपी 105 सीटें जीती थी और शिवसेना ने 56 सीटें जीती थी. वहीं, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थी. इसके अलावा करीब 29 सीटें अन्य को मिली थीं, जिसमें 16 सीटें छोटे दलों ने जीत दर्ज की थीं जबकि 13 सीटों पर निर्दलीय विधायक चुने गए थे. बीजेपी-शिवसेना ने मिलकर 161 सीटें जीती थी तो कांग्रेस-एनसीपी 98 सीटें जीतने में सफल रही थीं.
एनडीए बहुमत से ज्यादा सीटें जीती थी, लेकिन सीएम पद को लेकर शिवेसना और बीजेपी के रिश्ते बिगड़ गए थे. उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से नाता तोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. ढाई साल के बाद शिवेसना में बगावत हो गई. एकनाथ शिंदे ने 38 विधायकों के साथ उद्धव का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. इसके बाद 2023 में एनसीपी में भी बगावत हो गई और अजित पवार 40 विधायकों के संग सरकार में शामिल हो गए.
2024 की पॉलिटिक्ल केमिस्ट्री
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में एक बार फिर बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन (महायुति बनाम महाविकास आघाड़ी) के बीच मुकाबला है. इसी गठबंधन के पैटर्न पर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा गया था, महाविकास आघाड़ी सत्तारूढ़ महायुति पर भारी पड़ी थी. महा विकास अघाड़ी ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि 17 सीटों से महायुति को संतोष करना पड़ा था.
लोकसभा चुनावों के नतीजों के आधार पर महाविकास आघाड़ी तकरीबन 160 सीटों पर आगे रही थी जबकि महायुति ने 128 सीटों पर बढ़त हासिल की थी. महायुति और महाविकास आघाड़ी को मिले वोटों में महज 0.7 प्रतिशत का अंतर रहा था. ऐसे में 2 से 3 प्रतिशत का वोट स्विंग किसी भी गठबंधन का खेल बना और बिगाड़ सकता है. विदर्भ में कांग्रेस और उत्तर महाराष्ट्र में बीजेपी मजबूत थी. ऐसे ही पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में कांग्रेस-उद्धव-शरद पवार की जोड़ी हिट रही तो कोंकण में शिंदे-बीजेपी का दबदबा दिखा था. मुंबई की सीटों पर दोनों ही गठबंधन के बीच बराबर की फाइट रही.
महाराष्ट्र में चुनावी राह हुई कठिन
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की राह किसी के लिए आसान नहीं है. विधानसभा चुनाव में इस बार कोई भी ऐसा एक मुद्दा नहीं रहा, जिसके जरिए पूरे राज्य में सभी विधानसभा सीटों पर प्रभाव पड़ सके. इस वजह से नारों को लेकर भी संदेह और असमंजस की स्थिति दिख रही है. बीजेपी ने ‘बटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ नारों से नैरेटिव सेट करने की कोशिश की, लेकिन खुद एनडीए खेमे में भी इस पर सहमति नहीं बन सकी. अजित पवार ही नहीं, बीजेपी के भी कई नेताओं ने इस नारे को अस्वीकार करने की बात कह दी.
इस बार की चुनावी लड़ाई का स्वरूप इस मायने में भी बदला है कि हर विधानसभा क्षेत्र में बहुकोणीय मुकाबला हो गया है, दो शिवसेना और दो एनसीपी के साथ ही कांग्रेस और बीजेपी के अधिकृत प्रत्याशी तो तय सीटों पर हैं ही. इन दलों के बागी प्रत्याशी भी कई जगहों पर चुनावी मुकाबले को कठिन बना रहे हैं. ऐसे में कौन किस तरफ से किसके वोटों में कितनी सेंध लगाने वाला है? इसे लेकर हर खेमे में उलझन बनी हुई है, जिसे साधने के लिए हर संभव दांव चला जा रहा है.
73 सीट से तय होगी सत्ता की दिशा
महाराष्ट्र की कुल 288 सीटों में से करीब एक चौथाई विधानसभा सीट सत्ता के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकती हैं. पिछले चुनाव में 73 विधानसभा सीटों पर जीत-हार का अंतर दस हजार से कम वोटों का था. ऐसे में इन 72 सीटों पर कुछ वोट के इधर से उधर होने पर सारा खेल ही गड़बड़ा सकता है, जिसके चलते किसी को यह सीटें डरा रही हैं तो किसी की उम्मीद जगाने का काम कर रही हैं. पांच सीटों पर हार-जीत का अंतर एक हजार से कम वोटों का था तो चार सीटों पर जीत-हार का मार्जिन एक हजार से 2 हजार वोटों के बीच था. 28 सीटों पर जीत-हार का अंतर 2 हजार से 5 हजार के बीच था. 36 सीटें ऐसी थी, जहां पर पांच से 10 हजार के वोटों का अंतर रहा था.
विधानसभा चुनाव को लेकर जिस तरह राजनीतिक स्थिति बन रही है, उससे सूबे में कम मार्जिन वाली 73 सीटों पर सारा सियासी दारोमदार आकर टिक गया है. इन 73 सीटों पर पिछले चुनाव में जीत का अंतर 10000 वोटों से कम था, जहां कुछ वोटों के हेरफेर से सत्ता का खेल ही बदल जाएगा. पिछले चुनाव के नतीजों को देखें तो कम मार्जिन वाली 73 सीटों में से 28 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. एनसीपी ने 15 तो कांग्रेस ने 12 सीटें और शिवसेना ने 5 सीटें जीती थी. इसके अलावा 13 सीटें अन्य और निर्दलीय ने जीती थी.
– India Samachar
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